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                            17-Mar-2021 03:34 PM
PATNA : क्या बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा बिहार बीजेपी को चला रही जोड़ी भूपेंद्र यादव-नित्यानंद राय के टारगेट पर आ गये हैं. भरी सदन में आज भूपेंद्र यादव-नित्यानंद राय के खास सम्राट चौधरी ने जिस तरीके से अध्यक्ष को बेइज्जत किया. या फिर पिछले कुछ दिनों में सदन में डिप्टी सीएम समेत बीजेपी के दूसरे नेताओं के बयान आये उससे सवाल यही उठ रहा है. वैसे बीजेपी को जानने वाले कई नेता इसके पीछे बीजेपी के अंदर हो रहे जाति के खेल को भी जिम्मेवार करार दे रहे हैं.
विधानसभा में आज क्यों शर्मसार हुआ लोकतंत्र
बिहार विधानसभा के अंदर आज जिस तरीके से मंत्री सम्राट चौधरी ने अध्यक्ष को बेइज्जत किया, वो अभूतपूर्व था. सदन की कार्यवाही लाइव हो रही थी. उसमें दिख रहा था कि अध्यक्ष ने कोई ऐसी बात नहीं कही थी जिससे मंत्री को कुछ बुरा मान जाना चाहिये था. अध्यक्ष मंत्री सम्राट चौधरी को सिर्फ ये कह रहे थे कि पहले से तय हुए नियम के मुताबिक वे विधायकों के सवालों का जवाब ऑनलाइन डाल दें.
दरअसल सदन में ज्यादा से ज्यादा विधायकों को सवालों पूछने का मौका मिले, इसके लिए ये व्यवस्था की गयी है. विधायकों को जब सवालों का जवाब ऑनलाइन मिल जाता है तो मंत्री को सदन में पूरा जवाब नहीं पढना पड़ता. ऐसे में समय बचता है और ज्यादा विधायक सवाल पूछ पाते हैं. विधान सभा अध्यक्ष को सिर्फ इस बार पर आपत्ति थी कि मंत्री सम्राट चौधरी के विभागों के सवालों का जवाब ऑनलाइन नहीं आता. मंत्री ने जब सदन को गलत जानकारी दी तो अध्यक्ष ने उन्हें टोका और आंकड़े बताये कि सिर्फ 67 परसेंट जवाब ही ऑनलाइन दिये जा रहे हैं.
इसके बाद जो हुआ वो शर्मनाक था. मंत्री ने भरे सदन में अध्यक्ष को जलील कर दिया. ये ऐतिहासिक शर्मनाक वाकया था कि किसी मंत्री से आहत होकर विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही स्थगित कर आसन से उठ जाना पड़ा. सदन को स्थगित करने वक्त विधानसभा अध्यक्ष रूआंसे हो गये थे. उनकी आवाज भर आयी थी.
लंबा चलता रहा ड्रामा
सूत्र बता रहे हैं कि सम्राट चौधरी की बदसलूकी से आहत विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे तक का ऑफर कर दिया था. अध्यक्ष ने सदन में जाने तक से इंकार कर दिया. पहली बार जब सदन स्थगित होकर शुरू हुआ तो अध्यक्ष सदन में नहीं आये. कार्यवाहक अध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव को आसन पर बिठाया गया और सदन को फिर से 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. 2 बजे जब फिर से सदन शुरू हुआ तो अध्यक्ष फिर से नहीं आये. करीब 10 मिनट के बाद वे आसन पर पहुंचे, तब तक बहुत कुछ हो चुका था.
किसकी शह पर अड़े थे सम्राट चौधरी
सूत्र बता रहे हैं कि भरे सदन में अध्यक्ष की बेइज्जती करने के बाद भी सम्राट चौधरी के तेवर ढीले नहीं पडे थे. सदन की गरिमा तार-तार हो गयी थी लेकिन सम्राट चौधरी को कोई असर नहीं पड रहा था. जानकारों की मानें तो वे खेद जताने तक को तैयार नहीं थे. इस बीच अध्यक्ष के कक्ष में संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी से लेकर सत्ताधारी दल के कई विधायक पहुंचे. वे अध्यक्ष को मना रहे थे लेकिन विजय सिन्हा सदन में जाने को तैयार नहीं थे.
नीतीश ने किया हस्तक्षेप
सूत्र बता रहे हैं कि बात तब बनी जब खुद नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप किया. वर्ना बिहार बीजेपी का नेतृत्व तो अपने मंत्री के साथ खड़ा था. जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार ने बीजेपी के नेताओं से बात की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वाकये से सरकार की भारी फजीहत हो रही है. ऐसे सरकार कैसे चलेगी. तब जाकर बीजेपी का नेतृत्व इस बात पर तैयार हुआ कि सम्राट चौधरी सदन में खेद प्रकट करेंगे. नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष से भी बात कर उन्हें समझाया.
सदन की कार्यवाही शुरू होने के जब विधानसभा अध्यक्ष पहुंचे तो पहले नीतीश कुमार के प्रतिनिधि और संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने ही खेद जताया. उन्होंने मंत्री के आचरण के लिए माफी मांगी और ये भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृति नहीं होगी. विजय चौधरी के बोलने के बाद सम्राट चौधरी खडे हुए और अपने आचरण के लिए खेद जताया.
क्या टारगेट पर हैं विधानसभा अध्यक्ष
सवाल ये उठ रहा है कि क्या विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा बिहार बीजेपी को चला रहे नेताओं के टारगेट पर हैं?सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि सदन में बीजेपी के नेता ही अध्यक्ष पर सवाल उठा रहे हैं. पिछले सप्ताह डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने भरे सदन में कहा था कि सदन में किसी खास व्यक्ति को प्रश्रय दिया जा रहा है. उनका इशारा था कि विधानसभा अध्यक्ष तेजस्वी यादव को बोलने का मौका दे रहे हैं. तारकिशोर प्रसाद बीजेपी विधायक दल के नेता भी हैं. अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष के बारे में सदन में उनका बोलना कई बातें साफ कर गया.
मंगलवार को ही मंत्री प्रमोद कुमार हो या मंत्री रामसूरत राय. दोनों मंत्री अध्यक्ष के मना करने के बावजूद अपनी मनमानी करते रहे. मंत्री रामसूरत राय ने सदन में तेजस्वी यादव के खानदान को उकटने के बाद जब गांधी मैदान में फरिया लेने की धमकी तक दे डाली तो अध्यक्ष को मजबूरन सदन की कार्यवाही स्थगित कर देनी पडी.
मजबूरी में अध्यक्ष बनाये गये थे विजय सिन्हा
दरअसल विजय सिन्हा सुशील मोदी कैंप के माने जाते रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब मंत्रिमंडल बना तो बीजेपी ने भूमिहार मंत्रियों का कोटा कम कर दिया था. पहले के विधानसभा अध्यक्ष भूमिहार थे. बीजेपी को लगा कि अगर अध्यक्ष पद से भूमिहार का पत्ता साफ कर दिया जाये तो उस तबके में भारी नाराजगी फैल सकती है. इसके बाद ही मजबूरी में विजय सिन्हा का नाम आगे आया. लेकिन शायद भूपेंद्र यादव-नित्यानंद राय की जोड़ी अध्यक्ष के बैकग्राउंड को भूल नहीं पा रहे हैं. यानि वे अभी भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि सुशील मोदी कैंप का कोई विधायक विधानसभा अध्यक्ष बन कर बैठा है.
क्या जाति का एंगल भी है कारण
बीजेपी की पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले इसके पीछे जाति का एंगल भी देख रहे हैं. बिहार बीजेपी के पूर्व महामंत्री सुधीर कुमार शर्मा का आरोप है कि भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय ने भूमिहारों को टारगेट पर ले रखा है. बीजेपी से भूमिहार जाति के नेताओं को चुन चुन कर किनारे किया जा रहा है. विधानसभा अध्यक्ष को भी इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि वे भूमिहार जाति से आते हैं. सुधीर शर्मा ने कहा कि सम्राट चौधरी जैसे लोग जब राजद और जेडीयू का झंडा ढोकर बीजेपी और नरेंद्र मोदी को गाली दे रहे थे तब विजय सिन्हा बीजेपी के लिए खून-पसीना बहा रहे थे. अब सम्राट चौधरी जैसों के जरिय विजय सिन्हा को ही जलील किया जा रहा है. इससे पहले भी भूमिहार जाति से आने वाले सीटिंग एमएलसी का पत्ता साफ कर सम्राट चौधरी को विधान परिषद भेजा गया था. मामला क्या है और कहां से गाइड हो रहा है ये बताने की जरूरत नहीं है.