ब्रेकिंग न्यूज़

PK Sahu Bsf jawan: सीमा पार कर गए BSF जवान PK साहू पाकिस्तान से लौटे सुरक्षित, भारत ने भी पाक रेंजर को सौंपा Bihar News: पटना एयरपोर्ट पर शहीद रामबाबू को तेजस्वी की श्रद्धांजलि, कहा "सेना का कोई भी जवान हो, उसे मिले शहीद का दर्जा, अमित शाह को लिखूंगा चिट्ठी" CBSE 12th Result 2025 : गया की बेटी ने ने CBSE 12वीं कॉमर्स में 98.8% लाकर मचाया धमाल, बनी पटना रीजन की कॉमर्स टॉपर Alia Bhatt: सोशल मीडिया पर क्यों हो रही आलिया भट्ट की फजीहत, अभिनेत्री ने कान्स डेब्यू भी किया कैंसिल? Trump mediation India Pakistan Ceasefire: ट्रंप की दोबारा मध्यस्थता की कोशिश: बोले- भारत-पाकिस्तान साथ डिनर करें, भारत ने सख्ती से खारिज किया Anita Anand: गीता की शपथ ले कनाडा की पहली हिंदू महिला विदेश मंत्री बनी अनीता आनंद, किया बेहतर दुनिया का वादा Bihar Khurma Traditional sweets: बिहार के भोजपुर का 'खुरमा' बना अंतरराष्ट्रीय स्वाद का प्रतीक, 80 साल पुरानी परंपरा आज भी कायम Bihar News: तेल टैंकर और ट्रेलर की भीषण टक्कर, दोनों वाहनों में लगी आग, ड्राइवर भी झुलसा Parenting Tips after exam result : अगर बच्चों के आये हैं कम मार्क्स ? इस तरह बढ़ाएं उसका आत्मविश्वास, Parenting में काम आएंगे ये Gold Tips! India-Pakistan Ceasefire: इधर पाकिस्तान ने टेके घुटने, उधर बौरा गया चीन, इस एक बात को पचा नहीं पा रहा ड्रैगन

बच्चों के दिल का कैसे होगा इलाज : बिहार सरकार ने मुफ्त इलाज का एलान तो कर दिया लेकिन सूबे में कोई सर्जन ही नहीं

बच्चों के दिल का कैसे होगा इलाज : बिहार सरकार ने मुफ्त इलाज का एलान तो कर दिया लेकिन सूबे में कोई सर्जन ही नहीं

05-Jan-2021 09:22 PM

PATNA : नीतीश कुमार की सरकार ने बाल हृदय योजना के तहत वैसे बच्चों का मुफ्त इलाज करने का फैसला लिया है, जिनके दिल में छेद है. मंगलवार यानि आज ही सरकार ने ये फैसला लिया है. सरकार का ये फैसला लाखों परिवारों के लिए वरदान बन सकती है, जिनके घर के बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि सरकार इलाज कैसे करायेगी. बच्चों के दिल में छेद का ऑपरेशन करने वाला बिहार में कोई डॉक्टर ही नहीं है. ना सरकारी अस्पताल में और ना ही प्राइवेट अस्पताल में. सवाल ये है कि इलाज कैसे होगा.


कैसे चलेगी बाल हृदय योजना
दरअसल बिहार चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ये वादा किया था कि अगर उसकी सरकार बनी तो वह बच्चों के दिल के छेद की बीमारी के मुफ्त इलाज का इंतजाम करेगी. चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक सरकार बनने के बाद बाल हृदय योजना को मंजूरी दे दी गयी है. इस योजना के तहत जिन बच्चों के दिल में छेद होगा, सरकार उनके इलाज का पूरा खर्च उठायेगी. यानि मुफ्त इलाज करायेगी.


बिहार में कोई पेडियाट्रिक सर्जन नहीं
अब सवाल ये उठ रहा है कि सरकार इस फैसले को अमल में कैसे लायेगी. बिहार में बच्चों के दिल में छेद को ठीक करने का कोई बंदोबस्त है ही नहीं. सूबे के किसी सरकारी या निजी अस्पताल में बच्चों के दिल की सर्जरी करने वाले डॉक्टर यानवि पेडियाट्रिक सर्जन है ही नहीं. बिहार सरकार ने हर्ट के इलाज के लिए खास अस्पताल इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान बना रखा है. इसमें कोई पेडियाट्रिक हर्ट सर्जन नहीं है. राज्य सरकार के एक और बड़े संस्थान IGIMS में भी ऐसा कोई सर्जन नहीं है. पटना एम्स में भी इसके विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं.


हालांकि तीन महीने पहले इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में दिल में छेद की बीमारी से जूझ रहे पांच बच्चों की सर्जरी की व्यवस्था की गयी थी. संस्थान ने बेंगलुरू से पेडियाट्रिक हर्ट सर्जनों को बुलाकर बच्चों का ऑपरेशन कराया था. जनवरी महीने में भी कुछ और बच्चों के ऑपरेशन की व्यवस्था की जा रही है. फिर से बच्चों के ऑपरेशन के लिए बाहर से डॉक्टरों को बुलाया जा रहा है. लेकिन बिहार में दिल के छेद की बीमारी से जूझ रहे बच्चों की तादाद काफी ज्यादा है. उनके इलाज के लिए बाहर से बार-बार सर्जन बुलाना संभव नहीं है. ऐसे में बिहार के अस्पताल में सर्जनों को बहाल कर ही ज्यादा बच्चों को फायदा पहुंचाया जा सकता है.


हजार में 8-10 बच्चों को होती है ये बीमारी
डॉक्टर बताते हैं कि जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में 8 से 10 बच्चों में दिल से जुड़ी बीमारी सामने आ रही है. किसी के दिल में छेद होता है तो किसी आर्टरी में समस्या होती है. ऐसे 10 मामलों में दो-तीन मामले बेहद कठिन होते हैं. दिल के छिद्र वाली बीमारी के कुछ मामलों का इलाज बगैर सर्जरी के भी संभव होता है. लेकिन कई मामलों में ऑपरेशन की जरूरत पडती है. इसके लिए बेहद जरूरी है कि बच्चों का समय पर इलाज कराया जाये. डॉक्टरों के मुताबिक शादी में देर होने या देर से बच्चा पैदा होने के कारण ऐसी बीमारियां ज्यादा होती हैं.


निजी अस्पतालों में मंहगा है इलाज
बिहार में नहीं लेकिन देश के दूसरे बड़े शहरों में इस बीमारी का इलाज होता है लेकिन वह बेहद मंहगा है. प्राइवेट अस्पताल में कम से कम तीन लाख रूपये का खर्च आता है. हालांकि दिल्ली के एम्स में राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के तहत ऐसे बच्चों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था है लेकिन वहां इतनी लंबी कतार है कि ऑपरेशन का समय कई साल बाद का मिलता है.