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अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को छठव्रतियों ने दिया अर्घ्य, छठ घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को छठव्रतियों ने दिया अर्घ्य, छठ घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

07-Apr-2022 06:06 PM

By BADAL ROHAN

PATNA: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का आज तीसरा दिन है। छठव्रतियों ने आज अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। चैती छठ महापर्व करने वाले व्रतियों ने छठ घाटों पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। पटना सिटी के भद्र घाट पर भी आस्था का जनसैलाब उमड़ा। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में व्रती और श्रद्धालु गंगा घाटों पर नजर आए। पटना के अलग-अलग इलाकों बनाए गये छठ घाट पर भी व्रतियों की बड़ी तादाद देखी गयी। कई छठ व्रतियों ने अपने घर के छत पर ही अर्घ्य दिया।


लोक आस्था का महापर्व चैती छठ को लेकर पटना सिटी के किन्नर समाज में भी उत्साह देखने को मिला। किन्नर भी मनोकामना पूर्ति के लिए छठ व्रत करते हैं। उन्होंने भी आज डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। पटना सिटी के भद्र घाट पर किन्नर समाज के लोग नजर आए। गाजे-बाजे के साथ सभी छठ घाट पर पहुंची थीं। किन्नरों ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उदयगामी सूर्य की पूजा अर्चना की। 


और अब बात सूर्यनगरी औरंगाबाद की करते हैं। औरंगाबाद के देव में भी अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की छठव्रतियों ने अर्घ्य दिया।  छठव्रतियों ने पवित्र सुर्यकुंड में डुबकी लगाकर बड़ी ही आस्था और विश्वास के साथ सुर्यदेव को नमन कर अर्घ्य अर्पित किया। देव में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी। 


गौरतलब है कि देव में छठ पूजा का एक अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से यहां छठ पूजा करता है उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है। और यही कारण है कि देव में छठ महापर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां आकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते है। 


भगवान सूर्य का मंदिर देश के 12 सूर्य मंदिरों में से एक है जिसे देवार्क के नाम से भी जाना जाता है। देश के सभी 11 सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्वाभिमुख है लेकिन देव का सूर्य मंदिर एक ऐसा अनोखा सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। इसके पीछे भी कई किवंदतियां हैं जिसमें प्रमुख यह है कि आताताइयों के आक्रमण से सूर्य मंदिर को बचाने के लिए धर्मानुरागियों के द्वारा की गई तपस्या से मंदिर का मुख्य द्वार एक ही रात में पूर्व से पश्चिम की तरफ हो गया। यहां भगवान सूर्य अपने तीन स्वरूप अस्ताचल,मध्याचल एवं उदयाचल सूर्य के रूप में स्थापित है। सूर्य की महिमा अपरंपार है जिसको देखते हुए यहां वर्ष में कार्तिक और चैत्र माह में होनेवाली छठ पर्व को लेकर लगभग 10-15 लाख श्रद्धालु यहां आकर छठ व्रत करते है और सूर्यकुंड तालाब में अर्घ्य समर्पित कर अपनी अटूट आस्था दिखाते है।