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03-Nov-2023 08:59 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार की राजधानी पटना में बड़ी जोर-शोर के साथ जिस विपक्षी गठबंधन की नींव पड़ी थी। लेकिन, अब यह दरकती दिख रही है। सबसे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका को लेकर तल्ख तेवर दिखाए।अब इस एकजुटता की कवायद के कर्णधार बनें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नाराज हैं।
दरअसल, इंडिया गठबंधन की बैठक में तय हुआ था कि तीस अक्टूबर तक सीटों के बंटवारे पर फार्मूला तय हो जाएगा। गठबंधन में शामिल गैरकांग्रेसी पार्टियों ने नवंबर में बैठक करने का मन बनाया था। लेकिन विधानसभा चुनावों में फंसे होने के बहाने कांग्रेस ने इसे टाल दिया। एनसीपी ने तो गठबंधन की अगली बैठक के लिए जगह और तारीख भी बता दी थी। ऐसा कहा गया था कि नागपुर में पहले हफ्ते में मीटिंग कर ली जाए। लेकिन कांग्रेस की तरफ से मैसेज दिया गया कि ये अभी संभव नहीं है।
वहीं,विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए पटना से कोलकाता, दिल्ली से चेन्नई एक कर देने वाले नीतीश कुमार ने कहा है कि आजकल गठबंधन का कोई काम नहीं हो रहा. कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त है, इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। हम सबको एकजुट कर, साथ लेकर चलते हैं। हम लोग सोशलिस्ट हैं। सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट को एक होकर आगे चलना है। ऐसे में अब नीतीश के इस बयान के कई मतलब निकाले जाने लगे हैं। यह पूछा जाना शुरू हो गया है कि एनडीए को हराने के लिए एक सीट पर एक उम्मीदवार के फॉर्मूले की वकालत करने वाले नीतीश आखिर अचानक इतने तल्ख क्यों हो गए?
बताया जा रहा है कि, सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि इस बयान के एक दिन पहले ही नीतीश कुमार से जब इंडिया गठबंधन में अनबन को लेकर सवाल हुआ, तब उन्होंने हाथ जोड़ लिए थे। उसके बाद कुछ ही हफ्ते पहले तक जो अखिलेश यादव य कहते थे ‘जीतेगा इंडिया’. अब वही अखिलेश यादव यह कहते हैं- हमारी तैयारी लोकसभा की सभी 80 सीटों की है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तो अब कांग्रेस का नाम लेने से भी बचते हैं। अपनी कोर टीम की मीटिंग में उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस से गठबंधन करने पर उन्हें कभी फायदा नहीं हुआ।
यहां तक तो यह मान भी लिया जाए कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के लिए एमपी में सीट नहीं छोड़ी. ऐसे में अखिलेश यादव का नाराज होना स्वाभाविक है। लेकिन अब नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कह चुके हैं कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। हम फिर बैठेंगे और मिलकर आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। ऐसे में अब सवाल विपक्षी गठबंधन के भविष्य को लेकर भी उठ रहे है।
ऐसे में अब इन लोगों की नाराजगी की वजह तलाशी जाती है तो बात सीट बंटवारा पर आ टिकता है। जदयू के एक करीबी सूत्रों की मानें तो इस नए विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां बिहार में 14 सीटों पर दावा कर रही हैं। ऐसे में 40 सीटों वाले सूबे में अगर कांग्रेस-लेफ्ट को उनकी मांग के मुताबिक 14 सीटें दे दी जाएं तो फिर जेडीयू और आरजेडी के लिए 26 सीटें ही बचती हैं। इसके बाद यदि राजद जदयू से अधिक सीट पर चुनाव लड़ती है तो फिर नीतीश कुमार को अपने सिटिंग सांसद का पत्ता काटना पड़ सकता है। जिससे पार्टी में नजारजगी और फुट होने की संभावना नजर आती है। यही वजह है कि नीतीश कुमार जल्द से जल्द इन चीज़ों की निपटा लेना चाहते हैं। लेकिन, कांग्रेस लगातार इस मसले पर सबको वेटिंग करवा रही है।
उधर, यह भी कहा गया जा रहा है कि नीतीश कुमार के ताजा बयान को कांग्रेस के लिए सख्त संदेश की तरह देखा जा रहा है कि बिहार में उसे उनकी ही माननी पड़ेगी। नीतीश कुमार अखिलेश यादव की तरह शांत बैठने वाले नहीं है वो राजनीति के काफी माहिर खिलाड़ी है और किसी भी हाल में वह खुद और अपनी पार्टी को नुकसान में देखना नहीं पसंद कर सकते हैं। ऐसे में सवाल ये भी है कि अपनी खोई जगह वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस नीतीश कुमार की शर्तें मानेगी या यहां इंडिया गठबंधन का रास्ता ब्लॉक हो जाएगा?