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11-Oct-2025 02:10 PM
By First Bihar
Sleep Problems in Youth: हाल ही में न्यूजीलैंड की ओटागो यूनिवर्सिटी (Otago University) में की गई एक स्टडी में यह पाया गया कि आज के 90% से ज्यादा टीनएजर्स सोने से पहले तक अपने मोबाइल या लैपटॉप पर एक्टिव रहते हैं। इससे उनके दिमाग को आराम नहीं मिल पाता और नींद का पैटर्न पूरी तरह से बिगड़ जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की कमी से न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, याददाश्त घटती है और पढ़ाई या काम में फोकस करना भी मुश्किल हो जाता है।
आज के दौर में युवाओं में नींद की गड़बड़ी के कई कारण हैं। स्क्रीन टाइम का बढ़ना: मोबाइल, टीवी, लैपटॉप जैसी डिवाइसेज का अत्यधिक उपयोग, खासकर सोने से पहले। दिनभर बैठकर पढ़ाई करना या गेम खेलना अब सामान्य हो गया है, जिससे शरीर थकता नहीं और नींद आने में दिक्कत होती है। वहीं, हमेशा ऑनलाइन रहने, पोस्ट करने और दूसरों की पोस्ट देखने का तनाव दिमाग को आराम नहीं देता। देर रात भारी खाना, स्नैक्स या कॉफी जैसे कैफीन युक्त पेय लेने से नींद की गुणवत्ता और खराब हो जाती है।
रिसर्च के दौरान 100 से ज्यादा टीनएजर्स की नींद की निगरानी की गई, जिसमें बॉडी कैमरा और फूड डायरी जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया। परिणामों में पाया गया कि 99% टीनएजर्स सोने से पहले स्क्रीन यूज़ करते हैं, जबकि 63% देर रात कुछ न कुछ खाते हैं। करीब 22% टीनएजर्स सोने से पहले एक्सरसाइज करते हैं, जिससे शरीर अधिक एक्टिव हो जाता है और नींद देर से आती है।
अगर आप भी नींद की समस्या से परेशान हैं तो कुछ बदलाव मदद कर सकते हैं जिसमें हर दिन एक ही समय पर सोएं और जागें ताकि शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक सेट रहे। रात को दिमाग शांत करने वाली गतिविधियां करें जैसे किताब पढ़ना, मेडिटेशन, या हल्का संगीत सुनना। सोने से पहले मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का उपयोग न करें। रात के खाने को हल्का रखें और कैफीन शाम 5 बजे के बाद न लें। बेडरूम का वातावरण शांत, ठंडा और अंधेरा रखें ताकि नींद जल्दी और गहरी आए।
नींद की कमी को अगर समय रहते नजरअंदाज किया गया तो आगे चलकर यह डिप्रेशन, मोटापा, हार्मोनल असंतुलन और हृदय रोगों का कारण भी बन सकती है। इसलिए बेहतर सेहत और मानसिक शांति के लिए अच्छी नींद लेना किसी लग्ज़री नहीं, बल्कि जरूरत बन चुकी है।