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05-May-2025 12:43 PM
By First Bihar
Train Accident Averted: आज सुबह बरेली, उत्तर प्रदेश में एक बड़ा रेल हादसा होने से टल गया। रेलवे ट्रैकमैन विनोद ने भमोरा के बभीयाना स्टेशन के पास बरेली-कासगंज पैसेंजर ट्रेन के रूट पर एक टूटा हुआ ट्रैक देखा। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी और ट्रेन को पुल संख्या 357 के पास रुकवा दिया, जिससे 800 से ज्यादा यात्रियों की जान बच गई। जिसके बाद रेलवे का अमला मौके पर पहुंचा और ट्रैक की मरम्मत शुरू कर दी।
सोमवार की सुबह ट्रैकमैन विनोद नियमित निरीक्षण के दौरान बभीयाना स्टेशन के पास पहुंचे थे। जहाँ उन्होंने देखा कि रेलवे ट्रैक जानबूझकर तोड़ा गया था। जिसके बाद विनोद ने तुरंत अपने सुपरवाइजर को सूचना दी और बरेली-कासगंज पैसेंजर ट्रेन को रुकवाया। इस ट्रेन में 800 से ज्यादा यात्री सवार थे। अगर ट्रेन उस टूटे हुए ट्रैक से गुजरती, तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को "रेल जिहाद" और "आंतरिक साजिश" करार दिया, जिसमें सवाल उठाया गया कि "ये देश के दुश्मन कौन हैं, जो अपने ही लोगों की जान लेने पर तुले हैं?" कुछ लोगों ने इसे भारत की सुरक्षा के लिए आंतरिक खतरा बताया। हालांकि, पुलिस या रेलवे की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि ट्रैक को जानबूझकर तोड़ा गया था या यह तकनीकी खराबी थी।
वैसे बता दें कि बरेली में यह इस प्रकार की पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में रेलवे ट्रैक पर बाधाएं डालने की कई घटनाएं सामने आई हैं। 17 नवंबर 2024 को बरेली के डिबनापुर स्टेशन के पास एक मालगाड़ी के ड्राइवर ने ट्रैक पर लोहे की गर्डर और सीमेंट के खंभे देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए थे, जिससे बड़ा हादसा टला था। इसके अलावा 15 जनवरी 2025 को बरेली-पिलीभीत लाइन पर बिजौरिया स्टेशन के पास एक बड़ा पत्थर ट्रैक पर रखा मिला था, जिसे ट्रेन के इंजन ने हिट किया, लेकिन ड्राइवर की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया।
उत्तर प्रदेश में जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक 41 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो रेलवे ट्रैक को निशाना बनाकर की गईं। भारतीय रेलवे की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में 638 ट्रेन हादसों में 748 लोगों की मौत हुई है। 2024 में 200 बड़े रेल हादसों में 351 लोगों की मौत और 970 लोग घायल हुए थे। इन हादसों के पीछे सिग्नलिंग त्रुटियां, ट्रैक की खराबी इत्यादि मुख्य कारण रहे हैं। बरेली में हुई इस घटना से साफ है कि ट्रैक की निगरानी बढ़ाने और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल अब कितना जरूरी हो गया है।