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उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Unnao Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने सेंगर की आजीवन सजा को सस्पेंड कर जमानत दी थी।

Unnao Rape Case

29-Dec-2025 02:00 PM

By FIRST BIHAR

Unnao Rape Case: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली बेंच, जिनकी अध्यक्षता सीजेआई सूर्यकांत कर रहे हैं, ने उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है और आरोपी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी किया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की आजीवन कैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।


सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि हाई कोर्ट के जिस जज ने यह फैसला सुनाया वह अच्छे जज हैं, लेकिन गलती किसी से भी हो सकती है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर पॉक्सो एक्ट के तहत कॉन्स्टेबल लोक सेवक माना जा सकता है, तो विधायक को क्यों अलग रखा गया।


सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले को कानून के खिलाफ, गलत और समाज के लिए गंभीर खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सीबीआई का कहना था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की सजा को सस्पेंड करके पॉक्सो एक्ट के उद्देश्य को नजरअंदाज कर दिया।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले पीड़िता की तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, सुनवाई के दौरान पीड़िता भी कोर्ट में मौजूद थीं। सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बच्ची के साथ हुआ बलात्कार बेहद भयावह था। उस समय पीड़िता 16 साल की भी नहीं थी। आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत आरोप तय किए गए थे।


सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने यह तर्क दिया कि यदि कोई कॉन्स्टेबल या उच्च पदस्थ अधिकारी इस प्रकार का अपराध करता है, तो उसे एग्रेवेटेड सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी माना जाएगा। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि बड़े पद पर होने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी आम नागरिक से कहीं ज्यादा होती है।


पीड़िता ने 2017 में बीजेपी नेता और तत्कालीन विधायक कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। शुरुआती दौर में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार किया। 2018 में मुख्यमंत्री आवास के पास पीड़िता ने आत्महत्यासे प्रयास किया, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया।


2019 में दिल्ली की निचली अदालत ने सेंगर को पॉक्सो एक्ट के तहत एग्रेवेटेड पेनिट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। सेंगर के वकीलों का तर्क था कि विधायक को लोक सेवक नहीं माना जा सकता।


हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक सजा सस्पेंड कर दी और शर्तों के साथ जमानत दे दी। सेंगर पीड़िता के गांव के पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएंगे और किसी पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करेंगे। सेंगर अभी भी पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा के कारण जेल में हैं।