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22-Aug-2025 03:48 PM
By First Bihar
Governor salary in India: भारत में राज्यपाल का पद न केवल संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक अत्यंत गरिमा और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ दायित्व भी है। राज्यपाल, किसी भी राज्य में राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं और राज्य की संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनके प्रमुख कार्यों में विधानसभा को संबोधित करना, सरकार के कार्यों पर निगरानी रखना, विधेयकों को मंजूरी देना, और विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना शामिल हैं। अब सवाल उठता है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले राज्यपाल को कितनी सैलरी मिलती है और उन्हें क्या-क्या सुविधाएं प्राप्त होती हैं?
भारत सरकार ने राज्यपालों के लिए एक निर्धारित वेतनमान तय कर रखा है। वर्तमान में किसी भी राज्य का राज्यपाल हर महीने ₹3.5 लाख रुपये का वेतन प्राप्त करता है। यह वेतन पूरे देश में समान है, चाहे वह किसी भी राज्य का राज्यपाल क्यों न हो। यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति एक साथ दो राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाए, तो भी उसे वेतन केवल एक पद का ही मिलेगा यानी अधिकतम ₹3.5 लाख प्रतिमाह ही मिलेंगे।
राज्यपाल को सिर्फ मोटी तनख्वाह ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार की सरकारी सुविधाएं और भत्ते भी दिए जाते हैं, जो उनके कार्यकाल को सहज, सुरक्षित और सम्मानजनक बनाते हैं। उन्हें सरकारी आवास के रूप में भव्य "राजभवन" दिया जाता है, जो अक्सर ऐतिहासिक और विशाल इमारत होती है। यहां राज्यपाल अपने परिवार के साथ रहते हैं।
राज्यपाल को विशेष सुरक्षा व्यवस्था मिलती है। उनके साथ निजी स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और अन्य सहायक कर्मचारी तैनात रहते हैं। उन्हें और उनके परिवार को निशुल्क मेडिकल सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। उनके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है।
इसके अलावा, राज्यपाल को सत्कार भत्ता (hospitality allowance) दिया जाता है, ताकि वे राज्य में आने वाले मेहमानों का सम्मानपूर्वक स्वागत कर सकें। साथ ही उन्हें गृह स्थापना व्यय (furnishing allowance) और कार्यालय व्यय (office expense) के लिए भी सरकारी बजट दिया जाता है।
भारत के संविधान के अनुसार, राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। हालांकि यह पूरी तरह राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है कि राज्यपाल को कार्यकाल पूरा करने दिया जाए या समय से पहले हटा दिया जाए। कई बार केंद्र और राज्य सरकार के संबंधों के आधार पर राज्यपाल की भूमिका और स्थिति काफी संवेदनशील भी हो जाती है।
हाल के वर्षों में कई राज्यपालों की नियुक्ति और उनके कार्यों को लेकर राजनीतिक विवाद भी देखे गए हैं। विशेषकर उन राज्यों में जहां केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं, वहां राज्यपालों की भूमिका अक्सर बहस का विषय बन जाती है। ऐसे में यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि यह पद संवैधानिक मर्यादा और निष्पक्षता के साथ निभाया जाए।