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Dularchand Yadav Murder : सुशासन बाबू जिन्दाबाद के नारे के साथ प्रचार कर रहे अनंत सिंह; क्या देना चाह रहे कोई बड़ा संदेश; आखिर क्या है रणनीति

Dularchand Yadav Murder : मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद राजनीतिक हलचल तेज, अनंत सिंह के प्रचार में सुशासन का संदेश प्रमुख, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत गोली से नहीं हुई, इलाके में न्याय और शांति की मांग बढ़ी।

Dularchand Yadav Murder : सुशासन बाबू जिन्दाबाद के नारे के साथ प्रचार कर रहे अनंत सिंह; क्या देना चाह रहे कोई बड़ा संदेश; आखिर क्या है रणनीति

01-Nov-2025 01:38 PM

By First Bihar

Dularchand Yadav Murder : मोकामा की राजनीति पिछले तीन दिनों से काफी गर्म है। 30 अक्टूबर की शाम को टाल इलाके में जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या हो गई। इस घटना ने क्षेत्र में हलचल बढ़ा दी और राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ावा दिया। प्रारंभ में खबर आई थी कि गोलीबारी की वजह से यह घटना हुई, लेकिन बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया।


दुलारचंद यादव के समर्थकों ने सरकार से न्याय की मांग की और तत्काल कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम भी दिया। इस मामले में अब तक तीन FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से दो FIR मृतक पक्ष द्वारा नामजद लोगों के खिलाफ और एक FIR पुलिस द्वारा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई।


घटना के अगले दिन यानी 31 अक्टूबर की सुबह से लेकर देर शाम तक दुलारचंद यादव के शव का अंतिम संस्कार और पोस्टमार्टम करने के लिए लंबा काफिला उनके पैतृक निवास से बाढ़ अनुमंडलीय अस्पताल तक निकाला गया। पोस्टमार्टम के बाद यह जानकारी सामने आई कि दुलारचंद यादव की मौत गोली लगने से नहीं हुई थी, बल्कि उनकी जीने की हड्डी टूटने से हुई थी। यह रिपोर्ट क्षेत्रीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।


इस घटना के बीच मोकामा के जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने प्रचार में कुछ दूरी बनाए रखी। यह कहा जा रहा था कि वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। जब रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि दुलारचंद यादव की मौत गोलीबारी की वजह से नहीं हुई, तब अनंत सिंह ने प्रचार प्रसार शुरू किया। उन्होंने आज मोकामा के बाजार इलाकों में अपने समर्थकों के साथ रैली निकाली, जो मोकामा प्रधान कार्यालय से शुरू होकर मोकामा बाजार तक चली।


इस रैली में एक विशेष बात देखने को मिली। समर्थकों द्वारा लगाए गए नारे ‘अनंत सिंह जिंदाबाद’ से अधिक ‘सुशासन बाबू जिंदाबाद’ के नारे लगाए जा रहे थे। यह नारे अनंत सिंह और उनके समर्थकों की रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं। उनका उद्देश्य यह संदेश देना था कि इस सरकार में कानूनी प्रक्रिया ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ पूरी की जाती है।


अनंत सिंह के समर्थक मुरारी का कहना है कि यह रणनीति इसलिए बनाई गई है ताकि इलाके में यह संदेश स्पष्ट हो कि मोकामा में अभी भी सुशासन का राज कायम है। यही वजह है कि आज रैली में ‘अनंत सिंह जिंदाबाद’ या किसी अन्य राजनीतिक नारे की अपेक्षा ‘सुशासन बाबू जिंदाबाद’ के नारे अधिक सुनाई दिए।


इसके जरिए यह भी दिखाने की कोशिश की जा रही है कि अगर किसी प्रत्याशी के खिलाफ गलत आरोप लगाए जाएं या जातीय रंग देकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जाए, तो वह बिहार में अब कामयाब नहीं होगा। इस सन्देश के माध्यम से अनंत सिंह और उनके समर्थक यह साबित करना चाहते हैं कि कानून और सुशासन के तहत ही राजनीति की जाती है और किसी भी प्रकार की अनियमितता या गलत आरोप का इस सरकार में कोई स्थान नहीं है।


हालांकि, आज अनंत सिंह का प्रचार केवल मोकामा के बाजार इलाकों तक सीमित रहा। टाल के इलाके में उन्होंने किसी तरह का प्रचार नहीं किया। वहां वह अपने समर्थकों से मुलाकात कर वापस लौट गए। इसका कारण यह बताया गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी संवेदनशील माहौल को देखते हुए टाल क्षेत्र में कोई विवाद या अफवाह फैलने का खतरा नहीं लिया गया।


इस पूरे घटनाक्रम ने मोकामा की राजनीति को नई दिशा दी है। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद उत्पन्न राजनीतिक तनाव और उसके समाधान के प्रयासों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मोकामा में राजनीति अब केवल सुशासन और कानूनी प्रक्रिया के आधार पर संचालित होगी। अनंत सिंह का यह कदम और उनके समर्थकों का यह संदेश इस बात का परिचायक है कि बिहार में अब भी सुशासन कायम है।


यह स्थिति आने वाले दिनों में मोकामा विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में अन्य राजनीतिक दल इस घटनाक्रम और अनंत सिंह की रणनीति पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं। फिलहाल, मोकामा में जनता और राजनीतिक दल दोनों ही इस घटना और उसके बाद के सुशासन के संदेश पर नजर रखे हुए हैं।