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18-Nov-2025 07:53 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर राजनीतिक समीकरणों को नई दिशा दे दी है। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर न केवल प्रचंड बहुमत हासिल किया, बल्कि राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। यह जीत 83 फीसदी सीटों पर कब्जे के साथ हाल के वर्षों की सबसे बड़ी चुनावी सफलता मानी जा रही है। लेकिन यदि चरणवार परिणामों पर नज़र डालें, तो यह साफ दिखता है कि मतदाताओं का रुझान पहले चरण में ही पूरी तरह एनडीए के पक्ष में झुक चुका था।
पहले चरण में एनडीए की निर्णायक बढ़त
पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान हुआ था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि ये इलाके एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण रहेंगे, खासकर इसलिए क्योंकि वर्ष 2020 के चुनाव में महागठबंधन को इन सीटों पर दो सीटों की बढ़त मिली थी। वहीं, इस बार भी विपक्ष इन्हें अपनी मजबूत जमीन मान रहा था। महागठबंधन के नेताओं ने दावा किया था कि वे पहले चरण की 121 में से कम से कम 72 सीटें जीतेंगे।
लेकिन परिणाम बिल्कुल उलट निकले। पहले चरण की 121 सीटों में से एनडीए ने 103 सीटें जीतकर लगभग 85 फीसदी हिस्सेदारी अपने नाम कर ली। यह जीत न सिर्फ विपक्ष के दावों को धराशायी कर गई बल्कि चुनाव के शेष चरणों के लिए माहौल भी पूरी तरह एनडीए के पक्ष में कर दिया।
महागठबंधन पहले चरण में केवल 18 सीटों पर ही सिमट गया। 2020 में जहां एनडीए इन 121 सीटों में 59 पर जीता था, इस बार उस आंकड़े को लगभग दोगुना कर डाला। यह बदलाव बताता है कि इन क्षेत्रों में मतदाताओं का मूड पूरी तरह बदल चुका था और एनडीए के पक्ष में बड़ी लहर चल रही थी।
दूसरे चरण में भी बरकरार रहा एनडीए का दबदबा
दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान हुआ। यहां भी एनडीए ने शानदार प्रदर्शन जारी रखा और 99 सीटों पर कब्जा कर लिया। यह कुल सीटों का लगभग 81 प्रतिशत है। महागठबंधन को इस चरण में 17 सीटें मिलीं। वहीं, एआईएमआईएम को पांच और बसपा को एक सीट पर जीत मिली।
हालांकि पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में एनडीए की सीटें थोड़ा कम हुईं, लेकिन प्रदर्शन फिर भी एकतरफा ही रहा। इस चरण के परिणामों ने साफ कर दिया कि पूरे बिहार में एनडीए के पक्ष में एक व्यापक जनसमर्थन था।
2020 के चुनाव से बिल्कुल उलटी तस्वीर
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर बिल्कुल अलग थी। उस समय एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। मुकाबला बेहद कड़ा था और कई सीटों पर जीत का अंतर बेहद कम था। लेकिन 2025 में इस कड़ी टक्कर की जगह एकतरफा नतीजों ने ले ली।
दिलचस्प यह है कि जिन जिलों में 2020 में महागठबंधन ने एनडीए को पीछे छोड़ा था, उन जिलों में इस बार एनडीए ने शानदार प्रदर्शन किया। यह बदलाव राजनीतिक रणनीति, संगठन की मजबूती और उम्मीदवार चयन की प्रभावशीलता को भी दर्शाता है।
पहले चरण में 18 जिलों में और दूसरे चरण में 20 जिलों में चुनाव हुए थे। दूसरे चरण में जिन प्रमुख जिलों में मतदान हुआ, उनमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर शामिल हैं। इन जिलों में भी एनडीए ने अधिकांश सीटों पर जीत हासिल कर अपनी स्थिति मजबूत की।
महागठबंधन के दावे और वास्तविकता
महागठबंधन के नेता चुनाव प्रचार के दौरान दावा कर रहे थे कि जनता सत्ता परिवर्तन के मूड में है। विशेषकर पहले चरण की सीटों को लेकर उनका विश्वास काफी अधिक था। लेकिन परिणाम इस बात की गवाही देते हैं कि उनका आकलन जमीन के वास्तविक माहौल से कोसों दूर था।
पहले चरण का प्रदर्शन यह बताने के लिए काफी था कि बिहार के मतदाता किस दिशा में वोट कर रहे हैं। पहले चरण में एनडीए की 85 प्रतिशत से अधिक जीत ने चुनाव की पूरी तस्वीर बदल दी और महागठबंधन के लिए वापसी के रास्ते लगभग बंद कर दिए।
एनडीए के लिए निर्णायक कारक
एनडीए की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। विकास और स्थिरता का मुद्दा मजबूत चुनावी प्रबंधन और बूथ स्तर तक संगठित नेटवर्क उम्मीदवारों का बेहतर चयन विपक्ष की आपसी खींचतान और कमजोर रणनीति इन सब कारकों ने मिलकर एनडीए के पक्ष में माहौल बनाया।
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों ने यह साफ कर दिया कि जनता ने एनडीए के प्रति अपना भरोसा दोहराया है। पहले चरण से लेकर दूसरे चरण तक परिणामों में एनडीए का दबदबा बरकरार रहा। 2020 की तुलना में इस बार मतदाताओं ने निर्णायक रूप से एकतरफा मतदान किया। पहले चरण में मिली 103 सीटों की भारी बढ़त ने नतीजों की दिशा पहले ही तय कर दी थी। ये चुनाव न सिर्फ एनडीए के लिए बड़ी जीत हैं बल्कि बिहार की राजनीति में आने वाले समय के संकेत भी।