Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जदयू ने पिछली बार के गिरते ग्राफ को पूरी तरह संभालते हुए कमाल कर दिया। पिछले चुनाव में पार्टी को केवल 43 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार उसने सीधे दोगुनी यानी 85 सीटों पर जीत दर्ज की। इसका मुख्य कारण नीतीश कुमार का व्यापक चुनावी रणनीति और व्यक्तिगत संपर्क अभियान रहा। उन्होंने राज्य के 200 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मतदाताओं से सीधे संवाद किया और योजनाओं का लाभ सामने रखा। परिवारवाद से अलग रहते हुए उन्होंने जदयू को समेकित किया और हर वर्ग के वोटरों को साधा, जिससे पार्टी का प्रदर्शन हर क्षेत्र में मजबूत रहा।
वहीं, चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राजनीतिक परिदृश्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। इस बार जदयू ने न केवल पिछली बार की तुलना में दोगुनी सीटें जीतीं, बल्कि पिछले तीन चुनावों में गिरते ग्राफ पर भी ब्रेक लगाते हुए राज्य के राजनीतिक समीकरण को पूरी तरह बदल दिया। पार्टी ने राज्य के हर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की, जिससे यह साफ दिखा कि नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता और चुनावी रणनीति इस सफलता के पीछे अहम भूमिका निभा रही है। पिछले चुनाव में जदयू को केवल 43 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार पार्टी ने 85 सीटों पर कब्जा किया। यह जदयू का तीसरा सबसे बेहतर प्रदर्शन है, जो 2005 अक्तूबर और 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद का सबसे प्रभावशाली परिणाम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी प्रचार में पूरी ऊर्जा के साथ भाग लिया। उन्होंने 84 चुनावी सभाओं का आयोजन किया और व्यापक सड़क संपर्क अभियान के माध्यम से 200 विधानसभा क्षेत्रों तक व्यक्तिगत संपर्क स्थापित किया। इस दौरान उन्होंने मतदाताओं को व्यक्तिगत रूप से संवाद करके वोट की अपील की। नीतीश कुमार ने परिवारवाद से दूरी बनाए रखते हुए लालू परिवार की राजनीति को चुनावी रणनीति में विरोधी के रूप में देखा और इसे अपनी जीत की कुंजी बनाया। उनके बेटे निशांत कुमार राजनीति में शामिल नहीं हुए, जो उनकी पूर्व नियोजित रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। उन्होंने रोजाना 10 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं तक पहुंच बनाकर पार्टी का प्रचार किया।
जदयू के चुनावी प्रदर्शन पर नजर डालें तो पार्टी की स्थापना के बाद 2005 में पहले चुनाव में उसे 55 सीटें मिली थीं। इसके बाद लगातार दो चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हुआ, लेकिन अगले दो चुनावों में उसका ग्राफ नीचे गया। अब 2025 के चुनाव में जदयू ने पिछली कमजोरियों को पीछे छोड़ते हुए अपनी ताकत दिखा दी। लगातार छठे विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने पार्टी का नेतृत्व किया, जिससे यह साफ हुआ कि उनकी रणनीति और अनुभव पार्टी के लिए निर्णायक साबित हुए।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जेडीयू ने जिस तरह से अपना राजनीतिक समीकरण तैयार किया, उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से चुनाव से पहले की गई कल्याणकारी घोषणाएँ सबसे अहम रहीं। सरकार ने जनता के अलग-अलग वर्गों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाओं का ऐलान किया, जिनका सीधा असर मतदाताओं पर पड़ा और चुनावी माहौल जेडीयू के पक्ष में जाता दिखा।
सबसे पहले सरकार ने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की। यह फैसला खासकर ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए बड़ा राहत कदम माना गया। बिजली बिल के बोझ से परेशान लोगों के बीच यह योजना तुरंत लोकप्रिय हो गई और जेडीयू का संदेश घर-घर तक पहुँचा।
इसके बाद सरकार ने वृद्धा पेंशन में बढ़ोतरी की। राज्य में बड़ी संख्या में बुजुर्ग आज भी पेंशन पर निर्भर हैं। पेंशन बढ़ने से इस वर्ग में नीतीश सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बना। जेडीयू का आकलन था कि बुजुर्ग वर्ग चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उनका समर्थन पूरे परिवार के वोट पैटर्न को प्रभावित करता है।
इसी क्रम में एक और बड़ा फैसला हुआ, श्रम कार्ड धारक मजदूरों को दीपावली के समय आर्थिक सहायता। यह कदम असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों को सीधा लाभ देने वाला था। त्योहार के समय मिली राहत ने मजदूर वर्ग में सरकार को लेकर विश्वास और बढ़ाया।
सबसे बड़ा और प्रभावशाली ऐलान महिलाओं के लिए किया गया, जिसके तहत राज्य सरकार ने हर योग्य महिला को 10,000 रुपये की सहायता राशि देने की शुरुआत की। महिलाओं को लंबे समय से जेडीयू का मजबूत वोटबैंक माना जाता रहा है। यह योजना महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को लक्ष्य बनाकर लाई गई, जिसने ग्रामीण और शहरी दोनों ही वर्गों में व्यापक समर्थन जुटाया।
इन योजनाओं का समय और प्रभाव यह संकेत देते हैं कि जेडीयू ने चुनावी रणनीति बहुत सोच-समझकर बनाई। विपक्ष लगातार इन योजनाओं को ‘चुनावी लालच’ बताता रहा, लेकिन जनता तक राहत पहुँचाने वाली घोषणाओं का असर वोटिंग पैटर्न में साफ दिखा।
कुल मिलाकर, कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले कल्याणकारी योजनाओं का ऐसा पैकेज पेश किया जिसने जेडीयू के चुनावी समीकरण को मजबूती दी और उनकी सरकार की ‘लाभार्थी राजनीति’ एक बार फिर चर्चा में आ गई।
इसके अलावा जदयू के प्रभावी प्रचार अभियान में राज्य की विकास योजनाओं और जनकल्याणकारी परियोजनाओं को उजागर करना भी शामिल था। सरकार की पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों और नए वादों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया। इसने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े तबकों के मतदाताओं में जदयू के प्रति विश्वास बढ़ाया। जदयू ने मतदाताओं के लिए व्यक्तिगत संवाद, विकास योजनाओं का प्रदर्शन और क्षेत्रीय मुद्दों को सही ढंग से उठाने का संतुलित मिश्रण अपनाया, जो उसकी जीत की प्रमुख वजह बना।
इस प्रकार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जदयू ने केवल सीटों में वृद्धि ही नहीं की, बल्कि पूरे राज्य में अपने राजनीतिक प्रभुत्व को मजबूत किया और नीतीश कुमार की रणनीति और नेतृत्व की प्रभावशीलता को भी साबित किया। यह चुनाव जदयू के लिए रणनीतिक सफलता और राज्य में उसकी राजनीतिक ताकत की पुष्टि करने वाला साबित हुआ है।