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NDA government Bihar : बिहार में नई सत्ता संरचना: एनडीए सरकार में बीजेपी की पकड़ और नीतीश की सीमित भूमिका की पूरी कहानी

बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के बाद सत्ता संतुलन बदल गया है। विभागीय बंटवारे में बीजेपी ने बढ़त बनाई है। गृह मंत्रालय से लेकर कृषि और नगर विकास जैसे प्रभावी विभाग उसके हिस्से में आए हैं।

 NDA government Bihar : बिहार में नई सत्ता संरचना: एनडीए सरकार में बीजेपी की पकड़ और नीतीश की सीमित भूमिका की पूरी कहानी

22-Nov-2025 09:11 AM

By First Bihar

NDA government Bihar : बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के साथ ही सत्ता संतुलन का नया समीकरण सामने आ गया है। भले ही मुख्यमंत्री पद एक बार फिर नीतीश कुमार के पास है, लेकिन सत्ता और प्रशासन की कमान इस बार पहले से कहीं अधिक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हाथों में सिमटी दिख रही है। शुक्रवार को हुए विभागीय बंटवारे ने साफ कर दिया कि इस गठबंधन सरकार में वास्तविक ताकत किसके पास होगी। सबसे बड़े और प्रभावशाली मंत्रालय बीजेपी के हिस्से आए हैं, जबकि जेडीयू की पकड़ पहले की तुलना में काफी कमजोर हुई है।


गृह विभाग बीजेपी को — सबसे बड़ा संकेत

करीब दो दशकों में पहली बार ऐसा हुआ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास नहीं रखा। इसे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को सौंप दिया गया है। यह बदलाव केवल विभागीय फेरबदल भर नहीं है, बल्कि यह बताता है कि बिहार की नई सरकार में कौन ‘ड्राइविंग सीट’ पर है। गृह विभाग वह मंत्रालय है, जिसमें पुलिस से लेकर प्रशासन, कानून-व्यवस्था से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक राज्य का सबसे संवेदनशील तंत्र शामिल होता है। परंपरागत रूप से यह मुख्यमंत्री का विभाग रहा है, लेकिन इस बार इसे बीजेपी के खाते में देना कई राजनीतिक संकेत छोड़ता है।


सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय दिए जाने का मतलब है कि बीजेपी न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि प्रशासनिक रूप से भी राज्य शासन के केंद्र में बैठ चुकी है। चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने कहा भी था कि सम्राट चौधरी की जिम्मेदारियां बढ़ाई जाएंगी। गृह मंत्रालय मिलने के बाद अब सम्राट चौधरी की शक्ति सीधे पुलिस-प्रशासन तक पहुंचेगी। कानून-व्यवस्था, सीमांचल जैसे संवेदनशील इलाकों की स्थिति और घुसपैठ से जुड़े मुद्दों पर अब उनके निर्णय लागू होंगे।


बीजेपी के पास बड़े बजट वाले, प्रभावी मंत्रालय

नए मंत्रिमंडल में कृषि, सहकारिता, नगर विकास, पथ निर्माण, श्रम संसाधन, पर्यटन, पशुपालन, वन और पर्यावरण सहित कई हैवीवेट मंत्रालय बीजेपी के पास गए हैं। इन मंत्रालयों का सीधा असर जनता के बड़े वर्ग पर पड़ता है। बदले राजनीतिक माहौल में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर बीजेपी की रणनीतिक मजबूत पकड़ देखने को मिल रही है।


कृषि विभाग बीजेपी कोटे से रामकृपाल यादव को सौंपा गया है। यह वही विभाग है जिसके माध्यम से सरकार कृषि सब्सिडी, किसान योजनाओं, ग्रामीण विकास मॉडल और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को संचालित करती है। यह मंत्रालय आने वाले वर्षों में चुनावी राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे बीजेपी खेमे को दिया जाना कई संदेश देता है।


सम्राट चौधरी — बढ़ती राजनीतिक हैसियत

गृह विभाग मिलने के बाद सम्राट चौधरी इस सरकार में सबसे शक्तिशाली नेताओं में शामिल हो गए हैं। अब उनके पास क्राइम कंट्रोल से लेकर जिला प्रशासन तक सीधे हस्तक्षेप की ताकत है। राज्य में होने वाले हर बड़े प्रशासनिक फैसले में उनकी भागीदारी होगी। यह बदलाव संकेत देता है कि बीजेपी आने वाले दिनों में प्रशासनिक कार्यप्रणाली में अपना प्रभाव काफी बढ़ाने वाली है और नीतीश कुमार की भूमिका धीरे-धीरे अधिक औपचारिक और सीमित होती जा रही है।


जेडीयू के पास वित्त, लेकिन कम प्रभाव

जेडीयू ने अपने पास वित्त मंत्रालय रखा है। वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को वित्त, ऊर्जा, वाणिज्य कर, मद्य निषेध जैसे विभाग दिए गए हैं। वित्त मंत्रालय महत्वपूर्ण जरूर है, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव की दृष्टि से गृह, कृषि, नगर विकास, पथ निर्माण, श्रम जैसे विभागों के मुकाबले इसकी भूमिका अधिक रणनीतिक और बैकएंड आधारित होती है। दिलचस्प यह भी है कि जेडीयू के कई वरिष्ठ मंत्रियों को एक से अधिक विभाग इसलिए दिए गए हैं क्योंकि जेडीयू कोटे से मंत्री संख्या कम है। यह साफ दर्शाता है कि इस बार मंत्रिमंडल में जेडीयू का प्रभाव सीमित है।


नीतीश कुमार के पास अब सबसे कम विभाग

यह संभवतः पहली बार है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास सबसे कम विभाग हैं। उन्होंने अपने पास केवल सामान्य प्रशासन, मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी और निर्वाचन विभाग रखा है। ये विभाग मुख्यतः औपचारिक प्रकार के होते हैं और सीएम ऑफिस की दिनचर्या से जुड़े रहते हैं। इसके अलावा वे केवल उन्हीं विभागों को संभालेंगे जिन्हें कोई मंत्री आवंटित नहीं किया गया है। यह बदलाव संकेत करता है कि नीतीश कुमार की भूमिका अब अधिक समन्वयक, प्रबंधन और औपचारिक नेतृत्व तक सीमित होती जा रही है, जबकि शासन की कमान बीजेपी संभाल रही है।


दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा भी मजबूत भूमिका में

बीजेपी कोटे से ही दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को राजस्व एवं भूमि सुधार और खान-भूतत्व जैसे मंत्रालय मिले हैं। ये मंत्रालय बिहार की भूमि व्यवस्था, औद्योगिक निवेश, खनन कारोबार और रेवेन्यू सिस्टम से जुड़े हैं। यानी एनडीए सरकार के दोनों डिप्टी सीएम न केवल बीजेपी के हैं, बल्कि दोनों के पास प्रभावशाली मंत्रालय हैं।


मंत्रिमंडल में सीटों का समीकरण — बीजेपी ‘बिग ब्रदर’


नई नीतीश सरकार में कुल 26 मंत्री शामिल हैं। इनमें—


बीजेपी: 14


जेडीयू: 8


एलजेपी (आर): 2


हम: 1


आरएलएम: 1


संख्या के आधार पर ही यह साफ है कि बीजेपी गठबंधन में ‘बिग ब्रदर’ की भूमिका निभा रही है। नई कैबिनेट में एक मुस्लिम मंत्री, तीन महिला मंत्री और पहली बार विधायक बने तीन नेताओं को भी जगह दी गई है।


बीजेपी के मंत्री

सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, मंगल पांडेय, डॉ. दिलीप जायसवाल, नितिन नवीन, रामकृपाल यादव, संजय सिंह, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रमा निषाद, लखेंद्र पासवान, श्रेयसी सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार चंद्रवंशी।


जेडीयू के मंत्री

विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, विजेंद्र यादव, अशोक चौधरी, लेसी सिंह, मो. जमा खान, मदन सहनी और डॉ. प्रमोद कुमार।


सहयोगी दलों से

LJPR: संजय पासवान, संजय सिंह


हम : संतोष सुमन


RLSP/रालोसपा: दीपक प्रकाश


पिछले कार्यकाल में कौन था कितना मजबूत?

पिछली सरकार में जेडीयू के पास गृह, जल संसाधन, भवन निर्माण, परिवहन, शिक्षा, ग्रामीण कार्य, योजना एवं विकास, समाज कल्याण समेत कई अहम विभाग थे। जबकि बीजेपी के पास वित्त, स्वास्थ्य, खेल, पंचायती राज, नगर विकास, कृषि, उद्योग, सहकारिता, पथ निर्माण, श्रम संसाधन और कई बड़े मंत्रालय थे।


लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह अलग हैं पिछले मुकाबले इस बार गृह, कृषि, नगर विकास, पथ निर्माण, श्रम, पर्यटन जैसे प्रभावशाली मंत्रालय बीजेपी के पास केंद्रित हो गए हैं। जेडीयू के पास विभागों की संख्या भी कम हुई है और प्रभाव भी।


नई सरकार में विभागों के बंटवारे ने साफ कर दिया कि बिहार में इस बार सत्ता का वास्तविक केंद्र नीतीश कुमार नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी है। नीतीश कुमार औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री जरूर हैं, लेकिन निर्णय लेने की असली मशीनरी बीजेपी नेतृत्व के हाथों में है। गृह, कृषि, नगर विकास, श्रम जैसे मंत्रालयों पर पकड़ के साथ बीजेपी ने न केवल राजनीतिक, बल्कि प्रशासनिक रूप से भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। आने वाले दिनों में यह गठबंधन कितना स्थिर रहेगा और बीजेपी-नीतीश के रिश्ते किस दिशा में जाते हैं, यह बिहार की राजनीति में देखने वाली सबसे बड़ी बात होगी।