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16-Nov-2025 07:38 AM
By First Bihar
Bihar MLAs Wealth: बिहार भले ही विकसित राज्य बनने की दिशा में संघर्ष कर रहा हो, लेकिन सत्ता के गलियारों की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां करती है। प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बीच एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में चुने गए 90 फीसदी विधायक करोड़पति हैं। एडीआर और बिहार इलेक्शन वॉच की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 243 नवनिर्वाचित विधायकों में से 218 करोड़पति हैं। यह आंकड़ा राज्य की राजनीति में बढ़ती आर्थिक असमानता और चुनावी खर्चों की ऊंचाई को एक बार फिर उजागर करता है।
रिपोर्ट जारी करते हुए एडीआर के प्रतिनिधि राजीव कुमार ने कहा कि वर्ष 2010 में जहां मात्र 20% विधायक करोड़पति थे, वहीं 2015 में यह संख्या बढ़कर 67%, 2020 में 81% और अब 2025 में यह आंकड़ा रिकॉर्ड 90% पर पहुंच गया है। यह प्रवृत्ति दिखाती है कि बिहार के सत्ता गलियारों में आर्थिक रूप से संपन्न लोगों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है।
एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि सभी 243 विधायकों की औसत संपत्ति इस बार 9.02 करोड़ रुपये है, जबकि 2020 में यह औसत 4.32 करोड़ रुपये था। यानी पाँच साल में विधायकों की औसत संपत्ति दोगुने से भी अधिक बढ़ गई है। यह वृद्धि सिर्फ निजी संपन्नता का संकेत नहीं बल्कि चुनावी प्रक्रिया में धनशक्ति के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है।
रिपोर्ट में नवनिर्वाचित विधायकों की शिक्षा को लेकर भी दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं। 60% विधायक स्नातक या उससे अधिक शिक्षित हैं। 35% विधायकों की शिक्षा 5वीं से 12वीं के बीच है। 7 विधायक केवल साक्षर हैं। 5 विधायकों ने डिप्लोमा अपनी योग्यता के रूप में घोषित किया है। इस तथ्य के बावजूद कि बिहार शिक्षा के मामले में अभी भी राष्ट्रीय औसत से पीछे है, बड़े पैमाने पर उच्च शिक्षित विधायकों की उपस्थिति एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
उम्र के आधार पर देखा जाए तो विधानसभा का सबसे बड़ा समूह मध्यम आयु वर्ग का है। 59% (143 विधायक) 41–60 वर्ष के बीच हैं। 16% (38 विधायक) 25–40 आयु वर्ग के हैं। 26% (62 विधायक) की उम्र 62–80 वर्ष है। इससे साफ है कि विधानसभा में युवा विधायकों की हिस्सेदारी अब भी सीमित है, जबकि वरिष्ठ और मध्यम आयु वर्ग का प्रभुत्व बरकरार है।
243 विधायकों में से केवल 29 महिला विधायक चुनी गई हैं, यानी कुल का 12%। 2020 के चुनाव में यह आंकड़ा 11% था। महिला राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि बेहद धीमी है और यह सूचक बताता है कि बिहार में महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी अब भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में है।
एडीआर की रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक हिस्सा विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड से जुड़ा है। 53% (130 विधायक) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 42% (102 विधायक) पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि 2020 की तुलना में मामूली सुधार दिख रहा है, तब 163 विधायकों पर आपराधिक मामले थे पर संख्या अब भी चिंताजनक है।
पार्टीवार विश्लेषण भी चौंकाने वाला है
AIMIM के 5 में से 4 विधायक (80%) गंभीर मामलों के आरोपी हैं।
भाजपा के 89 में से 43 (48%),
जदयू के 85 में से 23 (27%),
राजद के 25 में से 14 (56%),
लोजपा (रामविलास) के 19 में से 10 (53%),
कांग्रेस के 6 में से 3 (50%) विधायकों पर गंभीर आरोप हैं।
सबसे अमीर विधायक- कुमार प्रणय, अनंत सिंह और कुमार पुष्पंजय शीर्ष पर
संपत्ति के मामले में सबसे ऊपर भाजपा के मुंगेर विधायक कुमार प्रणय हैं, जिनकी कुल चल-अचल संपत्ति 1,70,81,95,842 रुपये है। दूसरे स्थान पर जदयू के मोकामा विधायक अनंत सिंह हैं, जिनके पास 1,00,61,73,708 रुपये की संपत्ति है। तीसरे स्थान पर जदयू के बरबीघा विधायक डॉ. कुमार पुष्पंजय हैं, जिनके पास 94,53,02,587 रुपये की घोषित संपत्ति है।