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14-Nov-2025 11:38 AM
By First Bihar
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में एनडीए की जबरदस्त बढ़त ने राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। शुरुआती रुझानों में एनडीए को लगभग 186 सीटों पर बढ़त दिखाई दे रही है, जबकि महागठबंधन केवल 55 सीटों पर ही आगे है। इस बीच महागठबंधन के छोटे दलों का प्रदर्शन काफी कमजोर दिख रहा है, जो गठबंधन की रणनीति के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। बड़े दलों – आरजेडी और कांग्रेस – ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखा है, लेकिन छोटे दलों की हालत लगभग 'आउट ऑफ गेम' जैसी नजर आ रही है।
महागठबंधन के छोटे दलों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला CPI-ML इस बार सिर्फ 6 सीटों पर बढ़त बना पाया है। पिछली बार की तुलना में यह काफी कम है और इसका असर ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर भी पड़ा है। इसका मतलब यह है कि महागठबंधन के लिए यह वर्ग पूरी तरह से संजीवनीय समर्थन देने में विफल रहा। वहीं कांग्रेस, महागठबंधन का बड़ा दल होने के बावजूद, इस बार महज 5 सीटों पर बढ़त के साथ छोटे दलों जैसी सीमित भूमिका में नजर आ रही है। इसका संकेत है कि गठबंधन के भीतर कांग्रेस भी अपेक्षित प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही।
सीमांचल क्षेत्र में हमेशा चर्चा में रहने वाली AIMIM इस बार केवल 2 सीटों पर ही बढ़त दर्ज कर पा रही है। इसका मतलब यह हुआ कि गठबंधन में शामिल होने के बावजूद AIMIM अपने पारंपरिक वोटरों को वापस खींचने में सफल नहीं हो पाई। यही नहीं, अन्य छोटे क्षेत्रीय दल जैसे कि CPI, RSP और कुछ स्थानीय क्षेत्रीय पार्टियाँ भी इस चुनाव में कमजोर दिख रही हैं। कई सीटों पर उनके उम्मीदवार तीसरे या चौथे स्थान पर हैं, और कुछ जगहों पर शुरुआती राउंड में ही मुकाबले से बाहर हो चुके हैं।
वहीं, छोटे दलों की यह कमजोरी महागठबंधन के लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। पहला नुकसान यह होगा कि गठबंधन की कुल सीटों में वृद्धि अपेक्षित नहीं है, और इसका सीधा असर RJD और कांग्रेस के प्रभाव पर पड़ेगा। दूसरा, सामाजिक समीकरण में भी कमजोरी दिखाई दे रही है, क्योंकि छोटे दल आमतौर पर जातीय और क्षेत्रीय वोट बैंक को गठबंधन के लिए जोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके कमजोर प्रदर्शन से वोटों का बिखराव हुआ है, जिससे महागठबंधन के बड़े दलों के लिए भी चुनौती बढ़ गई है।
इसके विपरीत एनडीए के छोटे दल जैसे HAM, LJP-RV और कुछ अन्य क्षेत्रीय सहयोगी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन दलों ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत तरीके से एनडीए की ओर खींचा, जिससे मुकाबला और कठिन हो गया। यह साफ संकेत है कि एनडीए का संगठन और गठबंधन रणनीति महागठबंधन की तुलना में अधिक प्रभावी रही है। छोटे दलों के कमजोर प्रदर्शन और एनडीए के सहयोगियों की मजबूती ने मिलकर राज्य की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में कर दी है।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों से यह स्पष्ट हो गया है कि महागठबंधन के छोटे दल इस बार अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे हैं। यह केवल सीटों के नुकसान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गठबंधन की रणनीतिक कमजोरी और सामाजिक समीकरणों पर भी असर डालता है। बड़े दलों के लिए यह चुनौती और कठिन हो गई है, क्योंकि छोटे दलों के बिना महागठबंधन की ताकत कमजोर दिख रही है। एनडीए ने इस कमजोरी का फायदा उठाते हुए राज्य में व्यापक बढ़त हासिल कर ली है और सत्ता के खेल में निर्णायक मोड़ पर खड़ा हो गया है।