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01-Mar-2025 09:00 AM
By First Bihar
ओडिशा के एक छोटे से शहर भंजनगर में जन्मी बबितारानी स्वैन का सफ़र किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. एक साधारण परिवार से आने वाली बबितारानी ने न सिर्फ़ यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि अपनी मेहनत और लगन से अब वह मणिपुर के एक संवेदनशील जिले चंदेल की पहली महिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) बन गई हैं. अब उनके कंधों पर सीमा क्षेत्र की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने की बड़ी ज़िम्मेदारी है.
बबितारानी का सफ़र आसान नहीं था. पिता कृष्ण चंद्र स्वैन वनपाल थे और हमेशा अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते थे. बबितारानी ने अपनी शुरुआती शिक्षा भंजनगर के केएसयूबी कॉलेज से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने आईआईआईटी भुवनेश्वर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. लेकिन उनका सपना हमेशा देश की सेवा करना था, इसलिए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का फ़ैसला किया. सालों की कड़ी मेहनत के बाद 2020 में उन्होंने 464वीं रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया.
बबीतारानी स्वैन को हाल ही में मणिपुर के चंदेल जिले की पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया है। मणिपुर इस समय संवेदनशील परिस्थितियों से गुजर रहा है और म्यांमार सीमा से सटे होने के कारण चंदेल जिला सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। तस्करी, घुसपैठ और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए यहां मजबूत पुलिसिंग की जरूरत है और यह जिम्मेदारी अब बबीतारानी के कंधों पर है।
यह पहली बार नहीं है कि बबीतारानी को मुश्किल हालात में काम करने का मौका मिला हो। इंफाल ईस्ट में सब-डिविजनल पुलिस ऑफिसर के पद पर रहते हुए उन्होंने बाढ़ बचाव अभियान का नेतृत्व किया और चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में अहम भूमिका निभाई। इससे पहले तामेंगलोंग जिले की एसपी के तौर पर भी उन्होंने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता साबित की थी।
आईपीएस बबीतारानी स्वैन का सफर साबित करता है कि इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान हो सकता है। उनकी सफलता उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देख रहे हैं। वह सिर्फ एक पुलिस अधिकारी नहीं हैं, बल्कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से कोई भी व्यक्ति किस तरह ऊंचाइयों को छू सकता है, इसकी मिसाल हैं।
अब जब बबीतारानी ने चंदेल जिले की कमान संभाल ली है, तो पूरे राज्य की निगाहें उनके फैसलों और कार्यशैली पर टिकी हैं। उनकी नियुक्ति से न सिर्फ प्रशासन को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह भी साबित होगा कि बेटियां हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।