ब्रेकिंग न्यूज़

रोहतास में भीषण सड़क हादसा: दो बाइकों की आमने-सामने टक्कर में 4 युवकों की दर्दनाक मौत विजिलेंस का ताबड़तोड़ एक्शन: पटना में भ्रष्ट आपूर्ति पदाधिकारी गिरफ्तार, निगरानी ने 10 हजार रुपये घूस लेते दबोचा सहरसा में ट्रैक्टर चालक से दिनदहाड़े एक लाख की छिनतई, चाकू के बल पर बदमाशों ने घटना को दिया अंजाम ट्रेनिंग के दौरान कैसे IAS-IPS अफसरों में हो जाता है प्यार, क्यों बढ़ रही है आपसी शादियों की संख्या अरवल में आंगनबाड़ी सहायिका की रेप के बाद पीट-पीटकर हत्या, इलाके में सनसनी Bihar Sand Scam: पटना में जब्त बालू का बड़ा खेल...EOU की जांच के बाद बिक्रम थाने में लाईसेंसधारियों के खिलाफ केस दर्ज Bihar Ips Officer: बिहार के 5 IPS अफसरों को मिला नया जिम्मा...आने वाले कुछ दिनों तक प्रतिस्थानी के तौर पर करेंगे काम BIHAR: अब 24 घंटे में बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस, परिवहन मंत्री श्रवण कमार ने एजेंसी को दिये सख्त निर्देश सुपौल के लाल मोहम्मद इजहार ने रचा इतिहास, जिले का नाम किया रोशन, मुंबई इंडियंस ने 30 लाख में खरीदा वैशाली में मानव तस्करी और देह व्यापार का खुलासा, दो बहनों का रेस्क्यू, 5 गिरफ्तार

Bihar News: बिहार के इस विश्वविद्यालय में होगी वास्तु शास्त्र की पढ़ाई, वैदिक एस्ट्रोनॉमी समेत ये कोर्स भी होंगे उपलब्ध

Bihar News: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) राज्य का पहला विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जहाँ धातु विज्ञान और वास्तु शास्त्र जैसे मूल्य वर्धित कोर्स शुरू किए जाएंगे.

Bihar News

10-May-2025 12:59 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार में शिक्षा से जुड़ी कई बदलाव लगातार हो रही है और अलग-अलग विषयों को भी जोड़ा जा रहा है, जिससे शिक्षा में और सुधार करने की कोशिश की जा रही है। अब बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) राज्य का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जहां छात्र अब भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत धातु विज्ञान (Metallurgy) और वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) जैसे परंपरागत और ऐतिहासिक विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अगले शैक्षणिक सत्र से इन विषयों को वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में शुरू करने की तैयारी शुरू कर दी है।


बीआरएबीयू में इन पाठ्यक्रमों की शुरुआत से न केवल छात्रों में उत्साह देखा जा रहा है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विश्वविद्यालय के कॉलेज निरीक्षक एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के नोडल अधिकारी प्रो. राजीव कुमार ने बताया कि हम भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को ध्यान में रखते हुए धातु विज्ञान और वास्तु शास्त्र जैसे विषयों को पुनर्जीवित करने जा रहे हैं। प्राचीन भारत में धातुओं के निर्माण की विधियाँ, उनके उपयोग और वास्तु में दिशाओं व कोणों की व्याख्या जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को छात्रों को पढ़ाया जाएगा। 


यह कोर्स वैकल्पिक विषय के रूप में शुरू किया जाएगा और इसमें 50 अंकों का मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम (Value Added Course) होगा, जिसमें थ्योरी और प्रोजेक्ट वर्क दोनों अनिवार्य होंगे। प्रोजेक्ट वर्क के माध्यम से छात्रों को व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी, जैसे प्राचीन तरीके से धातु निर्माण की विधि या वास्तु के अनुसार भवन का प्रारूप तैयार करना। बीआरएबीयू में स्नातक के चौथे सेमेस्टर में 100 अंकों के अतिरिक्त विषय के रूप में स्काउट गाइड को भी जोड़ा जा रहा है। इस विषय को लागू करने के लिए बीआरएबीयू के डीएसडब्ल्यू प्रो. आलोक प्रताप सिंह ने स्काउट गाइड के अधिकारियों के साथ बैठक की है। यह पहली बार है जब विश्वविद्यालय अपने डिग्री कोर्स में इस प्रकार का व्यावहारिक और व्यक्तित्व विकास से जुड़ा विषय जोड़ रहा है। 


विश्वविद्यालय प्रशासन भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े विषयों के लिए अलग से प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय भी स्थापित करेगा। इन प्रयोगशालाओं में केवल भारतीय ज्ञान से संबंधित विषयों के प्रयोग किए जाएंगे। प्रो. राजीव ने बताया कि प्रारंभ में विश्वविद्यालय के शिक्षकों से पुस्तकें लेकर विशेष पुस्तकालय की शुरुआत की जाएगी, जिसे बाद में विस्तार दिया जाएगा। विश्वविद्यालय की योजना केवल धातु विज्ञान और वास्तु शास्त्र तक सीमित नहीं है। इसके तहत नक्षत्र विज्ञान (Jyotish/Vedic Astronomy), प्राचीन भौतिकी, गंधर्व शास्त्र (भारतीय संगीत शास्त्र), नाट्य शास्त्र, प्राचीन वनस्पति विज्ञान, प्राचीन रसायन शास्त्र, और समुद्र शास्त्र जैसे विषयों को भी वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में शामिल करने की तैयारी है। 


छात्रों को इन विषयों में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिलेगा। बीआरएबीयू की यह पहल न केवल भारतीय पारंपरिक विज्ञानों और कलाओं को सम्मान देने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी है। इससे छात्रों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय परंपरा की वैज्ञानिक विरासत से भी परिचित होने का अवसर मिलेगा।