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05-Dec-2025 05:12 PM
By FIRST BIHAR
ED Action: एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 से अधिक संपत्तियों, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस और अनक्वोटेड इन्वेस्टमेंट्स को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। कुल कुर्क की गई संपत्तियों का मूल्य लगभग 1,120 करोड़ रुपए है। यह कार्रवाई रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) और यस बैंक से जुड़ी धोखाधड़ी की जांच के तहत की गई है।
अटैच की गई संपत्तियों में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की 7 प्रॉपर्टी, रिलायंस पावर लिमिटेड की 2 प्रॉपर्टी, रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की 9 प्रॉपर्टी, साथ ही रिलायंस वेंचर एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, M/s Phi मैनेजमेंट सॉल्यूशंस, M/s आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी, M/s Gamesa इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के नाम पर मौजूद FD और बैंक बैलेंस शामिल हैं। इसके अलावा अनक्वोटेड इन्वेस्टमेंट्स में की गई हिस्सेदारियां भी अटैच की गई हैं।
बता दें कि ED इससे पहले भी RCOM, RCFL और RHFL के बैंक धोखाधड़ी मामलों में 8,997 करोड़ से अधिक की संपत्तियां कुर्क कर चुका है। नई कार्रवाई के बाद समूह की कुल अटैच की गई संपत्तियां बढ़कर 10,117 करोड़ हो गई हैं।
जांच में सामने आया कि 2017–2019 के दौरान Yes Bank ने RHFL में 2,965 करोड़ और RCFL में 2,045 करोड़ निवेश किया था, जो बाद में NPA में बदल गए। दिसंबर 2019 तक RHFL का 1,353.50 करोड़ और RCFL का 1,984 करोड़ बकाया रह गया। RHFL और RCFL ने कुल 11,000 करोड़ से अधिक का सार्वजनिक धन प्राप्त किया, जिसे जटिल वित्तीय मार्गों से समूह कंपनियों तक पहुंचाया गया।
SEBI नियमों के अनुसार रिलायंस निप्पन म्यूचुअल फंड सीधे इन कंपनियों में निवेश नहीं कर सकता था, इसलिए धन को Yes Bank के माध्यम से 'सर्किटस रूट' अपनाकर समूह कंपनियों तक पहुंचाया गया। CBI द्वारा दर्ज FIR के आधार पर ED ने RCOM, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ भी जांच शुरू की है।
जांच में यह भी सामने आया कि 2010 से 2012 के बीच समूह ने देशी-विदेशी बैंकों से 40,185 करोड़ का ऋण लिया, जिसमें 9 बैंकों ने धोखाधड़ी की पहचान की। कई कंपनियों ने एक बैंक का कर्ज दूसरे बैंक के कर्ज चुकाने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया, जो ऋण शर्तों का उल्लंघन था।
ED ने कहा कि लगभग 13,600 करोड़ ‘एवरग्रीनिंग ऑफ लोन’ में 12,600 करोड़ संबंधित पक्षों को भेजे गए और 1,800 करोड़ FD/MF में निवेश कर समूह कंपनियों में रूट किए गए। कुछ धनराशि विदेशी रेमिटेंस के माध्यम से भारत से बाहर भेजी गई। ED ने स्पष्ट किया कि वह वित्तीय अपराधियों पर सख्त कार्रवाई जारी रखेगा और जनता के धन को उसके असली हकदारों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जांच अभी जारी है।