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24-Nov-2025 11:39 AM
By First Bihar
पूर्व बिहार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दिल्ली स्थित राउस एवेन्यू कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज के समक्ष एक महत्वपूर्ण अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में उन्होंने अपने और परिवार से जुड़े चार मामलों को मौजूदा जज से हटाकर किसी अन्य न्यायाधीश को स्थानांतरित करने की मांग की है। ये सभी मामले उसी अदालत में लंबित हैं जहाँ विशेष जज विशाल गोगने इनकी सुनवाई कर रहे हैं।
किन मामलों को ट्रांसफर करने की मांग की गई?
राबड़ी देवी ने जिन मामलों को ट्रांसफर करने की मांग की है, उनमें शामिल हैं—
IRCTC घोटाला मामला
कैश-फॉर-जॉब्स (नौकरी के बदले जमीन) मामला
इन दोनों मामलों से जुड़े ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस
इन मामलों में उनके पति और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पुत्र तेजस्वी यादव, अन्य परिवारजन और कई सह-अभियुक्त शामिल हैं।
जज पर पक्षपात का आरोप
अपनी अर्जी में राबड़ी देवी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जज गोगने अभियोजन पक्ष के पक्ष में झुके हुए दिखाई देते हैं और वे मामलों की सुनवाई “पूर्व नियोजित मानसिकता” के साथ कर रहे हैं। अर्जी में कहा गया है कि—“विशेष जज का व्यवहार कई मौकों पर अभियोजन पक्ष के प्रति अत्यधिक झुकाव दर्शाता है। इससे आवेदक के मन में यह आशंका उत्पन्न हो गई है कि न्यायाधीश निष्पक्ष नहीं हैं।”
राबड़ी देवी ने बताया कि यह apprehension (आशंका) सिर्फ कल्पना पर आधारित नहीं, बल्कि उन “कई विशिष्ट उदाहरणों” पर आधारित है जो केस की सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पर आए हैं। उनके अनुसार, न्यायाधीश का आचरण कोर्ट की उस निष्पक्षता को प्रभावित करता है जो किसी भी अभियुक्त को न्याय देने के लिए अनिवार्य है।
हालिया घटनाक्रम: 13 अक्टूबर को हुआ था चार्ज फ्रेम
जज गोगने ने 13 अक्टूबर को सीबीआई द्वारा दर्ज IRCTC स्कैम मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित कई अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक आरोप तय किए थे। इसी के बाद से यादव परिवार लगातार इस फैसले पर सवाल उठा रहा था।
आज की सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंह ने अदालत को सूचित किया कि केस ट्रांसफर करने की अर्जी प्रिंसिपल जज के समक्ष दायर की जा चुकी है और इसकी सुनवाई जल्द होने की संभावना है।
IRCTC घोटाला मामला क्या है?
सीबीआई के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे, तब उन्होंने IRCTC के दो होटल (रांची और पुरी) के संचालन का ठेका निजी कंपनी को दिया। बदले में आरोप है कि कंपनी ने यादव परिवार को प्रीमियम जमीन और कंपनी के शेयर के रूप में रिश्वत दी। सीबीआई ने इसे quid-pro-quo यानी "कुछ पाने के बदले कुछ देने" का घोटाला बताया है।
कैश-फॉर-जॉब्स केस
इस मामले में आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव के कार्यकाल में कई लोगों को रेलवे में ग्रुप-D की नौकरियाँ दी गईं, लेकिन बदले में उन लोगों ने अपनी जमीन यादव परिवार के नाम या उनसे जुड़े लोगों के नाम कर दी। कई ट्रांजेक्शन कथित रूप से बाजार मूल्य से बेहद कम कीमत पर हुए।
ED की मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई
ED ने इन दोनों मामलों में दर्ज FIR और चार्जशीट के आधार पर जांच कर लालू परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलाया है। एजेंसी का आरोप है कि जमीन के लेनदेन और फर्जी कंपनियों के माध्यम से अवैध संपत्ति को वैध बनाने की कोशिश की गई।
परिवार का तर्क और आगे की प्रक्रिया
राबड़ी देवी का कहना है कि जब तक मामलों की सुनवाई पक्षपात रहित माहौल में नहीं होगी, तब तक निष्पक्ष न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। उधर, मामले की ट्रांसफर अर्जी पर फैसला अब प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशंस जज करेंगे।यदि ट्रांसफर मंजूर होता है तो चारों मामलों की सुनवाई किसी अन्य जज को सौंपी जाएगी। अगर अर्जी खारिज होती है, तो फिर जज गोगने ही ट्रायल की आगे की कार्यवाही जारी रखेंगे।
इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ा दी है, क्योंकि यह मामला बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक हस्तियों में से एक लालू यादव और उनके पूरे परिवार से जुड़ा है। अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि क्या वास्तव में जज पर लगे आरोप किसी न्यायिक हस्तक्षेप के योग्य हैं या नहीं।