ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Politics: ‘बिहार की सत्ता में लालू परिवार की कभी नहीं होगी वापसी’ बाबा साहेब के अपमान पर बोले रोहित कुमार सिंह Bihar Politics: ‘बिहार की सत्ता में लालू परिवार की कभी नहीं होगी वापसी’ बाबा साहेब के अपमान पर बोले रोहित कुमार सिंह Bihar Crime News: बिहार से फरार दो बदमाश झारखंड से अरेस्ट, 28 साल से पुलिस को दे रहे थे चकमा NEET UG Result 2025: नीट 2025 परीक्षा में पटना के छात्रों का जलवा, आकाश इंस्टिट्यूट से अधिकतर टॉपर्स NEET UG Result 2025: नीट 2025 परीक्षा में पटना के छात्रों का जलवा, आकाश इंस्टिट्यूट से अधिकतर टॉपर्स भाजपा के कार्यक्रम में हंगामा: महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष ने कार्यकर्ता पर उठाया चप्पल Bihar Politics: लालू यादव बाबा साहेब के विचारों को लेकर चलते हैं, अपमान का प्रश्न नहीं: मुकेश सहनी Bihar Politics: लालू यादव बाबा साहेब के विचारों को लेकर चलते हैं, अपमान का प्रश्न नहीं: मुकेश सहनी Bihar News: सीएम नीतीश कुमार ने निर्माणाधीन मीठापुर-महली एलिवेटेड रोड का लिया जायजा, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश Bihar News: सीएम नीतीश कुमार ने निर्माणाधीन मीठापुर-महली एलिवेटेड रोड का लिया जायजा, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश

National Panchayati Raj Day: National Panchayati Raj Day 2025: क्या है पंचायती राज व्यवस्था, क्यों मनाया जाता है यह दिन?

National Panchayati Raj Day: 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो स्थानीय स्वशासन को सशक्त करने और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का प्रतीक है।

पंचायती राज दिवस, National Panchayati Raj Day, प्रधानमंत्री मोदी, PM Modi, 73वां संविधान संशोधन, 73rd Constitutional Amendment, ग्राम पंचायत, ग्राम सभा, पंचायत पुरस्कार, Panchayat Awards, मधुबनी, Madh

24-Apr-2025 08:06 AM

By First Bihar

National Panchayati Raj Day: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 2025 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर ब्लॉक में स्थित लोहना उत्तर ग्राम पंचायत में आयोजित मुख्य समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान वे देशभर के पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे और राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025 प्रदान करेंगे।


इस दिन को मनाने की शुरुआत 2010 में हुई थी, जबकि 73वां संविधान संशोधन 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ था। यह संशोधन पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देता है और ग्राम, ब्लॉक तथा जिला स्तर पर त्रिस्तरीय संरचना सुनिश्चित करता है। इस व्यवस्था के तहत महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण, नियमित चुनाव, वित्तीय स्वायत्तता और राज्य वित्त आयोग व चुनाव आयोग जैसी व्यवस्थाएं शामिल की गई हैं।


 पंचायती राज प्रणाली: जनक, कार्य, बदलाव और सीमाएं

भारत में पंचायती राज व्यवस्था की नींव बलवंत राय मेहता ने रखी थी। उन्हें इस प्रणाली का जनक माना जाता है। उन्होंने त्रिस्तरीय व्यवस्था,ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद की परिकल्पना की थी, ताकि लोकतंत्र की जड़ें गांव तक मजबूत हों। भारत में 1992 में 73वां संविधान संशोधन लागू होने के बाद पंचायती राज संस्थाएं संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त हुईं। हालांकि, बिहार की स्थिति थोड़ी अलग है।


बिहार में पंचायतों की सीमित शक्तियां

बिहार में पंचायतों के पास कई ऐसे अधिकार नहीं हैं जो अन्य राज्यों की पंचायतों को प्राप्त हैं। कई कार्य आज भी सीधे राज्य सरकार के नियंत्रण में हैं। विशेषकर वित्तीय, प्रशासनिक और न्यायिक स्वायत्तता की भारी कमी देखी जाती है।


बिहार की पंचायती राज प्रणाली के मुख्य कार्य (सीमित दायरे में)

सरकारी योजनाओं का निष्पादन (प्रतिनिधि मात्र): पंचायतों के माध्यम से मनरेगा, नल-जल योजना, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन इन योजनाओं का बजट, चयन और मॉनिटरिंग मुख्य रूप से सरकारी विभागों  और मंत्रालयों  से  नियंत्रित किया जाता है।

स्थानीय विकास कार्यों की निगरानी: पंचायतें सड़कों, सार्वजनिक भवनों आदि के निर्माण कार्यों पर निगरानी रखती हैं, लेकिन निर्माण का अधिकार अधिकांशतः प्रखंड या जिला स्तर के अधिकारियों के पास होता है।

शिकायतों का समाधान: पंचायत प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर जन समस्याएं सुनते हैं और उन्हें संबंधित विभागों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।

 ग्राम सभाओं का आयोजन: पंचायतें ग्राम सभा के माध्यम से जनता को योजनाओं की जानकारी देने और फीडबैक लेने का माध्यम बनती हैं।

बिहार में क्या नहीं कर सकती बिहार की पंचायतें?

पंचायतों को कर लगाने का अधिकार नहीं है।

स्वतंत्र बजट और राजस्व जनरेशन की कोई व्यवस्था नहीं है।

न्यायिक अधिकार सीमित या नगण्य हैं।

अधिकतर योजनाएं सिर्फ नाम मात्र के लिए पंचायतों को जिम्मेदारी देकर राज्य सरकार द्वारा चलाई जाती हैं।


बता दे कि बिहार में पंचायती राज व्यवस्था आज भी पूरी तरह सशक्त नहीं हो पाई है। संविधान में दिए गए अधिकारों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा फासला है। जब तक पंचायती संस्थाओं को वास्तविक वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार नहीं मिलते, तब तक यह प्रणाली गांवों के समग्र विकास में सीमित भूमिका ही निभा पाएगी। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का उद्देश्य पंचायतों की भूमिका को प्रोत्साहित करना, स्थानीय प्रशासन में जनभागीदारी को बढ़ावा देना और ग्रामीण विकास में पंचायतों की भूमिका को सम्मान देना है।