School News: स्कूलों के नाम में न लगाएं ग्लोबल या इंटरनेशनल, सरकार ने जारी किया सख्त आदेश School News: स्कूलों के नाम में न लगाएं ग्लोबल या इंटरनेशनल, सरकार ने जारी किया सख्त आदेश RAID IN PATNA : पटना सिविल कोर्ट कैंपस की दुकान में रेड, इस वजह से नाराज हुए फूड इंस्पेक्टर; शॉप सील करने का आदेश AADHAAR Card Online Update: आधार कार्ड को अब घर बैठे करें अपडेट, जानिए.. नाम, मोबाइल नंबर और एड्रेस चेंज करने का आसान तरीका AADHAAR Card Online Update: आधार कार्ड को अब घर बैठे करें अपडेट, जानिए.. नाम, मोबाइल नंबर और एड्रेस चेंज करने का आसान तरीका Bihar Road Authority : बिहार सरकार खुद बनाएगी एक्सप्रेस-वे, केंद्र पर नहीं रहेगा भरोसा! यूपी मॉडल पर बनेगी विशेष अथॉरिटी Bihar Crime News: बिहार में दो पक्षों के बीच दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, गोलीबारी का वीडियो वायरल Bihar Crime News: बिहार में दो पक्षों के बीच दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, गोलीबारी का वीडियो वायरल Fake railway ticket : AI से टिकट बनाकर यात्रा कर रहा था स्टूडेंट कर ग्रुप, TTE को हुआ शक; जानिए फिर क्या हुआ Success Story: कौन हैं IPS नचिकेता झा, जिन्हें मिली NSCS में बड़ी जिम्मेवारी; कैसे हासिल किया मुकाम?
20-Dec-2025 02:11 PM
By First Bihar
Bihar news : महाराष्ट्र के नागपुर जिले में मंगलवार सुबह एक भीषण औद्योगिक हादसे ने कई परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। नागपुर–चंद्रपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के पास स्थित बुटीबोरी एमआईडीसी क्षेत्र में ‘अवादा इलेक्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड’ की सोलर पैनल निर्माण फैक्ट्री में एल्युमिनियम की पानी की टंकी फटने से बिहार के छह मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि नौ अन्य मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में से तीन की हालत चिंताजनक बताई जा रही है, जिनका इलाज नागपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हादसा सुबह करीब 9:30 बजे उस समय हुआ, जब फैक्ट्री परिसर में बनी एक बड़ी एल्युमिनियम पानी की टंकी की टेस्टिंग की जा रही थी। टंकी की क्षमता जांचने के लिए रामा बांध से लाए गए पानी को अत्यधिक दबाव के साथ उसमें भरा जा रहा था। इसी दौरान अचानक जोरदार धमाका हुआ और टंकी फट गई। विस्फोट इतना तेज था कि टंकी का ढांचा पानी के तेज बहाव के साथ ढह गया और पास में काम कर रहे मजदूर उसकी चपेट में आ गए।
हादसे में जान गंवाने वाले सभी मजदूर बिहार के रहने वाले थे। मृतकों की पहचान पश्चिम चंपारण जिले के अरविंद ठाकुर (28) और बुलेट इंद्रजीत शाह (30), पहाड़पुर निवासी अशोक पटेल (42), मुजफ्फरपुर जिले के अजय पासवान (26), सुधांशु कुमार साहनी (36) और शमीम अंसारी (42) के रूप में हुई है। इनमें से दो मजदूर मुजफ्फरपुर जिले से और दो पश्चिम चंपारण जिले से थे, जबकि अन्य अलग-अलग इलाकों के निवासी थे।
मुजफ्फरपुर जिले के करजा थाना क्षेत्र के गबसरा गांव के रहने वाले सुधांशु कुमार और अजय कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। इसी गांव के एक अन्य मजदूर प्रकाश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, प्रकाश के पैर में फ्रैक्चर है और सीने में गंभीर चोट आई है। वहीं पश्चिम चंपारण के चनपटिया प्रखंड के मिश्रौली पटखौली गांव के अरविंद कुमार ठाकुर और बुलेट कुमार की भी इस हादसे में मौत हो गई, जिससे पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा राहत दल मौके पर पहुंचे। मलबे में दबे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कड़ी मशक्कत के बाद सभी घायलों और मृतकों को बाहर निकालकर नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया। फैक्ट्री परिसर में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया और काम पूरी तरह ठप हो गया।
पुलिस की प्राथमिक जांच में यह आशंका जताई जा रही है कि टंकी के निर्माण में तकनीकी खामी रही होगी या घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया होगा, जिसके कारण वह उच्च दबाव सहन नहीं कर सकी। अधिकारियों ने फैक्ट्री प्रबंधन से टंकी के डिजाइन, निर्माण प्रक्रिया और सुरक्षा मानकों से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। मामले की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है।
इस दर्दनाक घटना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले बिहार के प्रत्येक मजदूर के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि घायलों के इलाज में किसी प्रकार की कमी न हो और उन्हें हर संभव चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की है।
हादसे के बाद बिहार और महाराष्ट्र, दोनों राज्यों में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों के पालन और मजदूरों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की मांग तेज हो गई है। इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विकास और औद्योगिकीकरण की दौड़ में मजदूरों की जान कितनी सुरक्षित है।