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24-Sep-2025 03:22 PM
By First Bihar
Bihar Politics : दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट में चल रहे बहुचर्चित ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ मामले में अब अंतिम फैसला आने वाला है। सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को आदेश दिया कि 13 अक्टूबर को सुबह 10 बजे सभी आरोपी व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहें। यह आदेश विशेष जज डॉ. विशाल गोगने की अदालत ने दिया है। अदालत के इस निर्देश के बाद पूरे देश की निगाहें अब इस बहुचर्चित मामले के फैसले पर टिक गई हैं।
यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। सीबीआई का आरोप है कि इस दौरान नौकरी चाहने वालों को रेलवे में ग्रुप-डी की नियुक्तियां देने के एवज में उनकी जमीन बेहद कम दामों पर लालू यादव के परिवार या करीबी लोगों के नाम कराई गई। यानी जिन लोगों को नौकरी चाहिए थी, वे अपनी जमीन गिफ्ट डीड या रजिस्ट्री के जरिए यादव परिवार के नाम कर देते थे और बदले में उन्हें रेलवे की नौकरी मिल जाती थी। जांच एजेंसियों ने इसे स्पष्ट भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग करार दिया है।
इस केस में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती समेत परिवार के अन्य सदस्य और करीबी लोग आरोपी हैं। इनके खिलाफ सीबीआई और ईडी ने विस्तृत जांच की है। एजेंसियों ने आरोप लगाया कि इस तरह से यादव परिवार ने अपने लिए करोड़ों की जमीनें हड़पीं और उसे बाद में अपने नाम पर करवा लिया।
इस मामले का राजनीतिक असर भी बहुत गहरा है। राजद समर्थकों का कहना है कि यह केस महज एक राजनीतिक साजिश है, ताकि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बदनाम किया जा सके। वहीं विपक्ष का आरोप है कि यादव परिवार ने सत्ता में रहते हुए खुलेआम भ्रष्टाचार किया और सरकारी नौकरी जैसे संवेदनशील मुद्दे का दुरुपयोग कर अपने फायदे के लिए गरीबों की जमीन ले ली। आने वाला फैसला न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी बड़ा असर डाल सकता है, क्योंकि राजद और लालू परिवार का राजनीति में व्यापक प्रभाव है।
सीबीआई और ईडी की जांच में इस मामले से जुड़ी कई संपत्तियों और दस्तावेजों को जब्त किया गया है। करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्तियों पर भी कार्रवाई की गई। एजेंसियों का कहना है कि सबूत स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि जमीन लेने और नौकरी देने का लेन-देन सीधा जुड़ा हुआ है। कई गवाहों के बयान भी इस कथित घोटाले की पुष्टि करते हैं।
इस मामले पर मीडिया और जनता की लगातार नजर रही है। अदालत की कार्रवाई के हर पड़ाव को बड़ी बारीकी से रिपोर्ट किया गया है। अब जबकि 13 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाना है, बिहार समेत पूरे देश में राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। यह फैसला तय करेगा कि लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार इस मामले में दोषी ठहराए जाते हैं या उन्हें राहत मिलती है।
अगर अदालत लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ कड़ा फैसला सुनाती है तो यह राजद और महागठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा। वहीं, अगर उन्हें राहत मिलती है तो यह विपक्षी दलों के लिए करारा झटका साबित हो सकता है और राजद समर्थकों के लिए बड़ी जीत होगी। 13 अक्टूबर का दिन केवल अदालत ही नहीं, बल्कि बिहार और राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को भी गहराई से प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। यही वजह है कि सभी की निगाहें अब राउस एवेन्यू कोर्ट पर टिकी हुई हैं।