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22-Dec-2025 10:14 AM
By First Bihar
Bihar politics : हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (से) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने बिहार से राज्यसभा की एक सीट पर अपनी दावेदारी को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। जानकारी के अनुसार, उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में अपने पुत्र और राज्य सरकार में मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन से कहा कि अगर राज्यसभा की सीट नहीं मिल रही है तो मंत्री पद का त्याग कर दीजिए। मांझी ने अपने पुत्र से कहा, “तू छोड़ दा मंत्री पद का मोह।” इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में इस मुद्दे को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है।
इस घटना के बाद फर्स्ट बिहार संवाददाता प्रेम राज ने बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री दिलीप जायसवाल से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी। दिलीप जायसवाल ने कहा कि जीतनराम मांझी एनडीए के घटक दल के मजबूत साथी हैं और उनके लिए हमेशा आदर और सम्मान की भावना है। उन्होंने बताया, “जीतनराम मांझी जी मीडिया को थोड़ा सा मिर्च मसाला मिल गया है, इसके अलावा उनके दिल में कुछ नहीं रहता। वह सदैव एनडीए के प्रति समर्पित हैं। आपने देखा कि पूरे बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने दिन-रात मेहनत की। इसलिए जो भी बात उन्होंने कही है, वह एनडीए को मजबूत बनाने के लिए कही है, किसी कमजोरी के लिए नहीं।”
इस दौरान जब संवाददाता प्रेम राज ने उनसे राज्यसभा टिकट की मांग पर सवाल किया, तो दिलीप जायसवाल ने कहा कि- यह पूरी तरह वाजिब है। उन्होंने बताया कि जब टिकट बंटवारे का समय आया था, तब भी जीतनराम मांझी ने अपनी बात रखने के लिए एक दोहा कविता का उपयोग किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी नेता या पार्टी का हमेशा अपने हित की बात करना स्वाभाविक है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वे विरोधी हैं। जायसवाल ने कहा, “हर नेता या पार्टी अपने हित और पार्टी की भलाई की बात करती है, लेकिन इसमें कहीं विरोध की बात नहीं होती।”
फर्स्ट बिहार के संवाददाता प्रेम राज ने इस दौरान उनसे एक और संवेदनशील सवाल किया कि उन्होंने कहा था कि जो सांसद या विधायक हैं, वह कमीशन खाते हैं। इस पर दिलीप जायसवाल ने चुप्पी साध ली और सिर्फ इतना कहा कि यह उनका व्यक्तिगत अनुभव हो सकता है। उन्होंने आगे कहा-, “जब उनसे मिलूंगा, तो पूछूंगा कि इसके पीछे क्या राज है।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जीतनराम मांझी का यह बयान उनके दृष्टिकोण और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी को दिखाता है। बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच संतुलन बनाए रखना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। राज्यसभा की सीट को लेकर सत्ता में दावेदारी और अपेक्षाएं अक्सर राजनीतिक हलचल को जन्म देती हैं। अन्य विश्लेषकों का कहना है कि मांझी का बयान परिवार और राजनीति के मिश्रण को भी उजागर करता है। एक ओर वे अपने पुत्र को सलाह दे रहे हैं कि अगर राज्यसभा का टिकट नहीं मिलता है तो मंत्री पद का त्याग कर दें, वहीं दूसरी ओर यह बयान पार्टी और गठबंधन की मजबूती को ध्यान में रखकर दिया गया प्रतीत होता है।
राजनीतिक हलचल के बीच अब यह देखना रोचक होगा कि राज्यसभा की सीट पर मांझी की दावेदारी कितनी मजबूत साबित होती है। वहीं, डॉ. संतोष कुमार सुमन की प्रतिक्रिया और मंत्री पद को लेकर उनका निर्णय भी भविष्य में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। इस बीच, बिहार में राजनीतिक विश्लेषक और जनता दोनों ही इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। राज्यसभा सीट का फैसला आने तक राजनीतिक गलियारों में अटकलों और चर्चाओं का दौर जारी रहेगा।
बहरहाल, जीतनराम मांझी का बयान और उनके पुत्र को दी गई सलाह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। यह घटना एनडीए में घटक दलों के बीच संतुलन, राज्यसभा सीटों की महत्वता और पार्टी की रणनीति को उजागर करती है।