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13-Mar-2025 05:08 PM
PATNA: बिहार में किडनी रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य में एड्स संक्रमण के मामले पहले से ही अधिक थे, और अब किडनी संबंधी बीमारियों में भी वृद्धि देखी जा रही है। पिछले साल की तुलना में किडनी रोगियों की संख्या में 5% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे मुख्य कारणों में खैनी का सेवन, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अनियमित जीवनशैली और प्रदूषित जल शामिल हैं।
किडनी रोग के हॉटस्पॉट बने बिहार के दो जिले
विशेषज्ञों के मुताबिक, बिहार के रोहतास (शाहाबाद क्षेत्र) और मधेपुरा (कोसी क्षेत्र) में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां के लोग बड़ी मात्रा में आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन कर रहे हैं, जिससे किडनी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
डायलिसिस मरीजों की संख्या में उछाल
बिहार के अस्पतालों में डायलिसिस कराने वाले मरीजों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 22,000 से अधिक लोगों ने डायलिसिस करवाया। अनुमान है कि राज्य की कुल जनसंख्या का 10% किसी न किसी रूप में किडनी रोग से प्रभावित है। इनमें से 80% मामलों का कारण हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है, जबकि 20% मामलों में बीमारी अनुवांशिक, दर्द निवारक दवाओं के अत्यधिक सेवन या जन्मजात कारणों से होती है।
खैनी और पेन किलर किडनी के लिए घातक
डॉ. हेमंत कुमार, जो बिहार के प्रसिद्ध किडनी विशेषज्ञ हैं, बताते हैं कि खैनी चबाने, गुटखा और सिगरेट के सेवन से किडनी को नुकसान पहुंचता है। खासतौर पर कम उम्र के लड़कों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है, क्योंकि वे कम उम्र में ही इन आदतों को अपना लेते हैं।
वहीं, दर्द निवारक दवाओं (पेन किलर्स) का अत्यधिक उपयोग भी किडनी डैमेज कर सकता है। वैशाली जिले के नागेंद्र प्रसाद को घुटने के दर्द के कारण दो साल तक पेन किलर लेनी पड़ी, जिससे उनकी किडनी खराब हो गई। हालांकि, किडनी विशेषज्ञों के इलाज के बाद उनकी स्थिति में सुधार हुआ।
बच्चों में भी बढ़ रही किडनी संबंधी बीमारियां
चिंताजनक बात यह है कि बच्चे और युवा भी बड़ी संख्या में किडनी रोग से ग्रसित हो रहे हैं। हाल ही में पटना एम्स में पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, जहां एक मां ने अपने 34 वर्षीय बेटे को और एक पिता ने अपनी बेटी को किडनी दान कर उनकी जान बचाई।
जागरूकता और नियमित जांच की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि किडनी रोगों की रोकथाम के लिए अनियमित दिनचर्या, मिलावटी भोजन और तंबाकू उत्पादों के सेवन पर नियंत्रण जरूरी है। साथ ही, हर स्कूल में बच्चों की सालाना यूरिन जांच और वयस्कों को साल में कम से कम एक बार किडनी की जांच करवाने की सलाह दी गई है।