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BIHAR NEWS : पटना में DRI की बड़ी कार्रवाई, साधु वेश में वन्यजीव तस्करों का भंडाफोड़; करोड़ों के तेंदुए की खाल बरामद

BIHAR NEWS : , डीआरआई की पटना इकाई को लंबे समय से यह जानकारी मिल रही थी कि कुछ लोग वन्यजीवों के अंगों और खाल की अवैध तस्करी में शामिल हैं। पुख्ता जानकारी मिलते ही टीम ने जाल बिछाकर कार्रवाई की।

डीआरआई

18-Sep-2025 04:52 PM

By First Bihar

BIHAR NEWS : बिहार की राजधानी पटना से एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रहा है। जहां बिहार की राजधानी पटना में डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) की टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वन्यजीवों की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में टीम ने दो तस्करों को गिरफ्तार किया, जो साधु का वेश धारण कर अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे थे। उनके पास से एक जोड़ी तेंदुए की खाल बरामद की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही है। 


सूत्रों के मुताबिक, डीआरआई की पटना इकाई को लंबे समय से यह जानकारी मिल रही थी कि कुछ लोग वन्यजीवों के अंगों और खाल की अवैध तस्करी में शामिल हैं। पुख्ता जानकारी मिलते ही टीम ने जाल बिछाकर कार्रवाई की। टीम ने साधु के भेष में घूम रहे दो संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया और तलाशी के दौरान उनके पास से तेंदुए की खाल बरामद हुई।


प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गिरफ्तार तस्कर सिर्फ तेंदुए की खाल की तस्करी ही नहीं कर रहे थे, बल्कि हाथी के अंगों और मॉनिटर लिजर्ड के शिकार और व्यापार में भी शामिल थे। यह सभी गतिविधियां भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वन्यजीवों की तस्करी गंभीर अपराध माना जाता है और इसमें पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।  अधिकारियों ने बताया कि यह नेटवर्क नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते इन अंगों और खालों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने की फिराक में था। इस अवैध व्यापार से जुड़े लोग इनकी तस्करी कर भारी मुनाफा कमाते हैं।


वन्यजीवों की खाल और अंगों की मांग विदेशों में खासकर तंत्र-मंत्र, अंधविश्वास और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में होती है। माना जाता है कि तेंदुए की खाल को तांत्रिक विद्या और विशेष अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों-करोड़ों रुपये तक पहुंच जाती है। यह मांग ही तस्करी नेटवर्क को लगातार सक्रिय बनाए रखती है।


डीआरआई अधिकारियों ने इस कार्रवाई को एक बड़ी उपलब्धि बताया है। टीम ने कहा कि दोनों गिरफ्तार तस्करों से गहन पूछताछ की जा रही है, ताकि उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य सदस्यों तक भी पहुंचा जा सके। प्रारंभिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह कई राज्यों में सक्रिय था और लंबे समय से इस कारोबार को चला रहा था।


अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार तस्करों को वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) और वन विभाग के हवाले कर दिया गया है। इनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।


डीआरआई अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं। फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन तस्करों का नेटवर्क किन-किन राज्यों तक फैला हुआ है और इनके संपर्क में कितने लोग शामिल हैं।