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Dharma Parivartan : बहला-फुसलाकर हिन्दुओं का करवाया जा रहा था धर्म परिवर्तन, स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हुई घर वापसी

स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद द्वारा 21 से 31 दिसंबर तक चलाए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के धरहरा पंचायत में एक विशेष आयोजन किया गया।

Dharma Parivartan : बहला-फुसलाकर हिन्दुओं का करवाया जा रहा था धर्म परिवर्तन, स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हुई घर वापसी

26-Dec-2025 10:29 AM

By First Bihar

Dharma Parivartan : स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा 21 दिसंबर से 31 दिसंबर तक जनजागरण एवं सामाजिक समरसता से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड अंतर्गत धरहरा पंचायत में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें धर्मांतरण का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। कार्यक्रम के दौरान सनातन संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मूल्यों पर विस्तार से चर्चा हुई।


इस आयोजन की खास बात यह रही कि कार्यक्रम के दौरान बायसी प्रखंड के रहने वाले लगभग 50 से अधिक लोगों ने विधिवत रूप से सनातन धर्म में घर वापसी की। बताया गया कि पूर्व में इन लोगों को बहला-फुसलाकर ईसाई धर्म अपनाया गया था। घर वापसी करने वाले लोगों ने सार्वजनिक रूप से सनातन धर्म को पुनः अपनाने और अपनी परंपराओं के अनुरूप जीवन जीने का संकल्प लिया।


कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी श्रद्धानंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। वक्ताओं ने उनके जीवन, विचारों और बलिदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानंद ने समाज सुधार, शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक चेतना के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने विशेष रूप से शुद्धि आंदोलन के माध्यम से समाज को संगठित करने का कार्य किया था, जो आज भी प्रासंगिक है।


विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपने संबोधन में कहा कि “स्वामी श्रद्धानंद जैसे महापुरुषों का बलिदान हमें यह सिखाता है कि धर्म केवल आस्था नहीं, बल्कि संस्कृति, पहचान और जीवन मूल्य भी है। सभी धर्म अपने-अपने निष्ठावान और बलिदानी महापुरुषों का स्मरण करते हैं, लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहना भी उतना ही आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि विहिप का उद्देश्य किसी के खिलाफ नफरत फैलाना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना और उन लोगों को सशक्त बनाना है जो भ्रम या दबाव में अपने मूल धर्म से दूर हो गए थे।


कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने यह भी कहा कि कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक या शैक्षणिक कमजोरियों का लाभ उठाकर लोगों का धर्मांतरण कराया जाता है। ऐसे में समाज के प्रत्येक वर्ग को जागरूक होने की जरूरत है। घर वापसी करने वाले लोगों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अब अपनी परंपराओं, त्योहारों और सामाजिक जुड़ाव का महत्व समझ में आया है।


धरहरा पंचायत में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और विहिप के पदाधिकारी उपस्थित रहे। पूरे आयोजन के दौरान शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण बना रहा। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सामाजिक एकता, सांस्कृतिक संरक्षण और आपसी सौहार्द बनाए रखने का संकल्प लिया।


विहिप की ओर से बताया गया कि स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस के तहत जिले के अन्य हिस्सों में भी संगोष्ठी, जनसंपर्क अभियान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को अपने इतिहास, संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि यह अभियान समाज में संवाद, समझ और आत्मविश्वास बढ़ाने की दिशा में एक प्रयास है।