Bihar News: बिहार के इन 46 प्रखंडों में खुलेंगे नए प्रदूषण जांच केंद्र, बिहार सरकार दे रही इतनी सब्सिडी Bihar News: बिहार के इन 46 प्रखंडों में खुलेंगे नए प्रदूषण जांच केंद्र, बिहार सरकार दे रही इतनी सब्सिडी Bihar Police News: बिहार के इस जिले के 24 थानों में नये थानाध्यक्षों की तैनाती, SSP के आदेश पर बड़ा फेरबदल Bihar Police News: बिहार के इस जिले के 24 थानों में नये थानाध्यक्षों की तैनाती, SSP के आदेश पर बड़ा फेरबदल Vaishali-Encounter: मारा गया कुख्यात अपराधी, पुलिस के साथ मुठभेड़ में हुआ ढेर--एसटीएफ का एक जवान घायल Bihar Crime News: बिहार में भूमि विवाद सुलझाने पहुंची पुलिस टीम पर हमला, डायल 112 के जवानों ने भागकर बचाई जान; 18 लोगों पर केस दर्ज बिहार में जीविका योजना से बदली महिलाओं की जिंदगी, 57 हजार करोड़ का मिला ऋण Bihar Politics: ‘नीतीश कुमार का विकास शहरों तक ही सीमित’ चचरी पुल के उद्घाटन के मौके पर बोले मुकेश सहनी Bihar Politics: ‘नीतीश कुमार का विकास शहरों तक ही सीमित’ चचरी पुल के उद्घाटन के मौके पर बोले मुकेश सहनी Kishtwar Cloudburst: किश्तवाड़ में बादल फटने से अबतक 33 की मौत, 100 से अधिक लोग घायल; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
19-Jun-2025 09:50 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार जिला पार्षद संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को राजधानी पटना में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष विश्वजीत दीपांकर ने की। इस बैठक में राज्य भर से आए सैकड़ों जिला पार्षदों ने भाग लिया और अपनी समस्याओं व सुझावों को साझा किया। बैठक में पुतला दहन के अलावा कुल आठ प्रस्ताव पारित किए गए, जो जिला पार्षदों की कार्यदशा, अधिकारों और हितों से जुड़े हैं।
बैठक का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जिला पार्षदों के मानदेय में वृद्धि को लेकर था। वर्तमान में जिला पार्षदों को प्रतिमाह मात्र ₹3750 का मानदेय मिलता है, जबकि पंचायत स्तर के प्रतिनिधि, यानी मुखिया को ₹7500 मासिक मानदेय दिया जा रहा है। पार्षदों का कहना है कि उनका कार्यक्षेत्र मुखिया से कहीं बड़ा होता है। एक जिला पार्षद के क्षेत्र में सात से नौ पंचायतें आती हैं, जबकि मुखिया केवल एक पंचायत के प्रतिनिधि होते हैं। इसलिए जिला पार्षदों ने कम से कम ₹20,000 मासिक मानदेय की मांग की है।
संघ ने इस असमानता को न केवल अनुचित, बल्कि जिला प्रतिनिधियों के कार्य के प्रति राज्य सरकार की उपेक्षा करार दिया। पूर्व में भी मुखिया का मानदेय लगभग ₹2500 से ₹5000 और फिर ₹7500 किया गया, जबकि जिला परिषद सदस्यों का मानदेय केवल ₹3750 तक ही पहुंच पाया है।
बैठक में पारित दूसरे अहम प्रस्ताव में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता और जिला परिषद की भूमिका को लेकर चिंता जताई गई। पार्षदों का आरोप है कि राज्य में पंचायती राज अधिनियम की अवहेलना कर मनरेगा के तहत कार्य किए जा रहे हैं। कई जिलों में बिना जिला परिषद की अनुमोदन के ही मनरेगा की राशि खर्च की जा रही है, जो कानून का खुला उल्लंघन है। संघ ने चेतावनी दी कि यदि इन अनियमितताओं पर तुरंत रोक नहीं लगी, तो जिला पार्षद आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
अन्य प्रस्ताव में जिला योजना समिति की नियमित बैठकें सुनिश्चित कराना, जिला परिषद कार्यालयों की आधारभूत संरचना में सुधार, कार्यपालक पदाधिकारियों द्वारा जिला पार्षदों की उपेक्षा पर कड़ा संज्ञान, पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जिला परिषद को और अधिक अधिकार देना, बजट आवंटन और उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, जिला पार्षदों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और मनरेगा समेत अन्य विकास योजनाओं में पार्षदों की भूमिका सुनिश्चित करना शामिल किया गया है।
इस बैठक में बिहार के विभिन्न जिलों से आए जिला परिषद सदस्यों ने जोर देकर कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो उन्हें राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।