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18-Mar-2025 08:11 PM
BIHAR NEWS: बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने विभागीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। विभाग के प्रधान सचिव ने मंगलवार को सभी मुख्य अभियंताओं को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी पत्र लिखकर कहा है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर शीघ्र कानूनी कार्रवाई की जाए।
बिहार सिंचाई अधिनियम, 1997 और बिहार सिंचाई, बाढ़ प्रबंधन और जल निस्सरण नियमावली, 2003 के तहत, जल संसाधन विभाग ने अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए सभी कार्यपालक अभियंताओं को सक्षम प्राधिकार के रूप में नामित किया है। इन अतिक्रमणों के कारण जल प्रबंधन, सिंचाई योजनाओं और बाढ़ सुरक्षा उपायों में रुकावटें आ रही हैं। अतिक्रमण हटाने से विभागीय योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा और राज्य में नदी जल प्रबंधन की स्थिति को बेहतर बनाया जा सकेगा।
बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने विभागीय भूमि पर अवैध कब्जा हटाने के लिए अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। विभाग के प्रधान सचिव ने मंगलवार को विभाग के सभी मुख्य अभियंता को पत्र लिख कर विभाग की भूमि पर अतिक्रमण करने वालों व्यक्तियों (अतिक्रमणकारियों) पर संबंधित थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाने के निर्देश दिये हैं। साथ ही उन्होंने राज्य के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिख कर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा दर्ज कराई जाने वाली प्राथमिकी का आवेदन प्राप्त होने पर अविलंब विधि सम्मत कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार सिंचाई अधिनियम, 1997 और बिहार सिंचाई, बाढ़ प्रबंधन एवं जल निस्सरण नियमावली, 2003 में किये गये प्रावधानों के तहत जल संसाधन विभाग द्वारा विभागीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए विभाग के सभी संबंधित कार्यपालक अभियंता को सक्षम प्राधिकार नामित किया गया है।
इन अतिक्रमणों के कारण जल प्रबंधन, सिंचाई योजनाओं और बाढ़ से सुरक्षा के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो रही है। विभागीय भूमि पर अतिक्रमण हटने से जल प्रबंधन, सिंचाई और बाढ़ से सुरक्षा की योजनाओं को और बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। साथ ही विभागीय योजनाओं को समय पर पूरा करने में सहायता मिलेगी, जिससे राज्य में नदी जल का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित हो सकेगा।