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01-Dec-2025 11:47 AM
By First Bihar
Bihar Vidhan Sabha : बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधायकों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम काफी ध्यान आकर्षित करने वाला रहा। इस दौरान कई नवनिर्वाचित विधायकों ने विधानसभा में अपने कर्तव्यों की शपथ ली, लेकिन कुछ ऐसे भी दृश्य देखने को मिले, जिन्होंने लोगों को हैरान कर दिया। इनमें सबसे चर्चा में रहे कांग्रेस के विधायक सुरेंद्र प्रसाद, जो वाल्मिनगर विधानसभा सीट से जीतकर आए हैं।
सत्र के दौरान जब विधायकों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू हुआ, तो सुरेंद्र प्रसाद मंच पर उतरे। परंतु, शपथ लेते समय उन्होंने शब्दों के उच्चारण में असुविधा महसूस की। कई बार “निष्ठा” और “अक्षुण्ण” जैसे शब्दों को सही तरीके से पढ़ने में वह फंसते नजर आए। इससे विधानसभा में मौजूद अन्य विधायक और अधिकारियों के चेहरे पर हल्की मुस्कान भी देखने को मिली।
सुरेंद्र प्रसाद की यह स्थिति यह दर्शाती है कि विधानसभा में प्रवेश करने वाले नए विधायक शपथ ग्रहण के दौरान कितनी गंभीरता और निष्ठा के साथ अपने शब्दों को सही रूप में उच्चारित करने का प्रयास करते हैं। हालांकि यह घटना सुरेंद्र प्रसाद के राजनीतिक करियर या उनके कार्यों पर कोई असर नहीं डालती, लेकिन जनता और मीडिया के लिए यह एक दिलचस्प दृश्य साबित हुआ।
कांग्रेस के इस विधायक ने वाल्मिनगर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। उनकी जीत ने यह दिखाया कि जनता ने उन्हें विश्वास दिया है, और अब उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे विधानसभा में अपने क्षेत्र और राज्य के हित में कार्य करें। शपथ ग्रहण के समय फंसना कोई असामान्य बात नहीं है, खासकर नए विधायकों के लिए। यह अनुभव उनके लिए भी सीख का मौका है कि कैसे आधिकारिक और औपचारिक शब्दों को सहजता से उच्चारित किया जाए।
बिहार विधानसभा का यह शपथ ग्रहण कार्यक्रम न केवल विधायकों के लिए बल्कि जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें विधायक अपने पद और कर्तव्यों के प्रति निष्ठा का संकल्प लेते हैं। सुरेंद्र प्रसाद की स्थिति ने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा में शामिल होने से पहले विधायकों को शब्दों और शपथ के महत्व की पूरी तैयारी करनी चाहिए।
इस शपथ ग्रहण के मौके पर यह भी देखा गया कि नए और पुराने विधायक सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मिलकर लोकतांत्रिक संस्कृति का प्रदर्शन किया। सुरेंद्र प्रसाद जैसे नए विधायक यह अनुभव लेकर आगे बढ़ेंगे कि विधानसभा में शब्दों की निष्ठा और सही उच्चारण कितनी महत्वपूर्ण है।