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Bihar Teachers News: बिहार के सरकारी हाई स्कूलों में बच्चों को हिन्दी के टीचर पढ़ायेंगे अंग्रेजी और संस्कृत, शिक्षा विभाग का अजीबो-गरीब फरमान

Bihar Teachers News: बिहार के सरकारी स्कूलों में मैट्रिक औऱ इंटर के छात्रों को हिन्दी के टीचर संस्कृत और अंग्रेजी पढायेंगे. शिक्षा विभाग के नये आदेश से ये स्थिति उत्पन्न हुई है. आलम ये है कि स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में है.

Bihar Teacher News

07-Feb-2025 07:33 PM

By FIRST BIHAR

Bihar Teachers News: बिहार के सरकारी स्कूलों में 9वीं-10वीं से लेकर 11वीं और 12वीं के बच्चों को हिन्दी के टीचर अंग्रेजी और संस्कृत पढायेंगे. शिक्षा विभाग ने हिन्दी से पीजी करने के बाद नौकरी में शिक्षकों को कहा है कि वे बच्चों को संस्कृत पढ़ाय़ें, जबकि उन्होंने इंटर से लेकर पीजी तक कभी संस्कृत पढ़ा ही नहीं. हद देखिये, बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी हाई स्कूलों में अब सिर्फ तीन शिक्षकों को रखने का फैसला लिया है, जो हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगला, मैथिली, फारसी और अरबी भाषा जैसी तमाम भाषा पढ़ायेंगे. हिन्दी के टीचर से अंग्रेजी और संस्कृत का ज्ञान लेने वाले हाई स्कूल और इंटर के छात्र कैसी पढाई पढ़ेंगे, इसकी चिंता सरकार को नहीं है.


शिक्षा विभाग का नया फरमान

दरअसल, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने नया फरमान जारी किया है. ये फरमान सरकारी हाई स्कूल यानि माध्यमिक विद्यालयों को लेकर है. बिहार सरकार ने पहले से तय कर रखा था कि हर हाई स्कूल के लिए कुल 11 पद होंगे. अब नया फरमान जारी किया गया है, जिसमें माध्यमिक विद्यालयों में पहले से निर्धारित 11 पदों में से 03 पदों की कटौती कर दी गयी है. यानि किसी हाई स्कूल के लिए 8 पोस्ट होंगे, जिसमें हेडमास्टर, टीचर से लेकर चपरासी शामिल है.


पूरे मामले को समझिये

दरअसल, किसी सरकारी हाई स्कूल में कुल कितने पद होंगे, इसे लेकर बिहार सरकार ने 1980 में नियम बनाया था. 02 अक्टूबर 1980 को बिहार सरकार के वित्त विभाग और महालेखाकार की ओर से अधिसूचना नंबर 1999 जारी की गयी थी. इसमें कहा गया था कि हर स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, एक लिपिक एवं दो आदेशपाल होंगे. वहीं, हर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के कुल 09 पद थे. यानि 9 शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे.


अब नीतीश सरकार ने इस नियम को बदल दिया है. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने 5 फरवरी 2025 को नया आदेश निकाला है, इसमें स्कूलों में 6 पदों की कटौती कर दी है. किसी सरकारी स्कूल में भाषा की पढ़ाई के लिए अब तीन ही शिक्षक होंगे. यही शिक्षक छात्र-छात्राओं को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगला, मैथिली, फारसी और अरबी पढ़ायेंगे.


हिन्दी के टीचर अंग्रेजी पढ़ायेंगे

बिहार सरकार ने बिहार लोकसेवा आयोग यानि बीपीएससी के जरिये बड़े पैमान पर शिक्षकों की बहाली की है. बीपीएससी ने हाई स्कूल में विषय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की है. इंटरस्तरीय सरकारी स्कूल के लिए जो शिक्षक नियुक्त किये गये हैं, उनकी न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर है. यानि जिसने हिन्दी में पीजी किया, उसे हिन्दी का टीचर बनाया गया. इसी तरह  अंग्रेजी जैसे संस्कृत विषयों के लिए भी उस सब्जेक्ट में पीजी करने वालों को टीचर बनाया गया है.


बॉटनी के शिक्षक पढ़ायेंगे जूलॉजी

अब बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक ने 5 फरवरी को नया आदेश निकाला है. जिसमें शिक्षकों के पद को कम कर दिया गया है. नतीजा ये होगा कि हिंदी पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए शिक्षकों को अंग्रेजी पढ़ाने की भी बाध्यता होगी. सरकार ने हाई स्कूलों में विज्ञान विषय में एक शिक्षक का पद रखा है. वहीं, इंटर स्तर के स्कूलों में सरकार ने जन्तु विज्ञान (जूलॉजी) और वनस्पति शास्त्र (बॉटनी) में से एक ही पद स्वीकृत किया है. यानि जिसने जूलॉजी में पीजी किया है, उसे बॉटनी पढ़ानी होगी, जिसने बॉटनी की पढ़ाई की उसे जूलॉजी पढ़ानी होगी. वह भी इंटर के छात्र-छात्राओं को. 


शिक्षक संघ का कड़ा विरोध

बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि शिक्षा विबाग ने अवैज्ञानिक, अव्यवहारिक तथा बिना सोचे-समझे फैसला लिया  है जिससे बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं का भविष्य संकट में पड़ गया है. उन्हें कहा है कि बिहार सरकार का फैसला बच्चों को अज्ञानता की दुनिया में ले जायेगा. बच्चों की प्रतिभा को खत्म करने की साजिश से शिक्षा विभाग को बाज आना चाहिये.


शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि सरकारी स्कूलों में 12 भाषाओं की विषयों में से 08 पद की कटौती कर दी गयी है. उसी तरह आर्ट्स विषयों में 8 की जगह सिर्फ 4 शिक्षक होंगे, ये छात्र-छात्राओं के प्रति भीषण अपराध है. बिहार सरकार ने राज्य सरकार के हर पंचायत मुख्यालय में उच्च माध्यमिक विद्यालयों यानि इंटर तक का स्कूल खोलने का फैसला लिया है, उन स्कूलो में पढ़ाई भी हो रही है. पहले से तय मानक के आधार पर शिक्षक तैनात किये गये थे और बच्चे उन विषयों का अध्ययन भी कर रहे हैं.


शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि सरकार के ताजा आदेश से पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को हटा देने का अपराध शिक्षा विभाग करेगा, इसका फल छात्र-छात्रायें भुगतेंगे. उन्हें किसी दूर के स्कूल में इसलिए जाना पड़ेगा क्योंकि उस विषय के शिक्षक को उनके स्कूल से ट्रांसफर कर हटा दिया गया है. 


शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि शिक्षा विभाग का हाल ये है कि हिंदी से स्नातकोत्तर शिक्षक को यह आदेश दिया जा रहा है कि वे संस्कृत भी पढ़ायेंगे. जबकि उनका इण्टर से लेकर स्नातकोत्तर तक संस्कृत विषय नहीं रहा है. सरकार ने किसी क्लास में 60 विद्यार्थियों से अधिक नामांकन होने पर एक और सेक्शन बनाने का निर्देश दिया है. अलग सेक्शन के लिए और ज्यादा शिक्षक की जरूरत होगी. लेकिन शिक्षकों का पद कम कर दिया गया है.


दो एमएलसी ने उठायी आवाज

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ही नहीं बल्कि एमएलसी प्रो. संजय कुमार सिंह और डॉ. संजीव कुमार सिंह ने सरकार से कहा है कि वह माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहले से स्वीकृत पद और अध्ययन-अध्यापन के विषय में कटौती नहीं करे. भारतीय संविधान में स्वीकृत उर्दू, संस्कृत, मैथिली, बंगला जैसे विषयों में किसी तरह की कटौती नहीं करने का प्रावधान है. बिहार के शिक्षा विभाग का मौजूदा आदेश संविधान का उल्लंघन है.


एमएलसी संजय कुमार सिंह ने इस मामले को बिहार विधान परिषद में उठाने का ऐलान किया है. उन्होंने विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया है. इसमें कहा गया है कि जो छात्र-शिक्षक अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं, उनके विषय और पदों की कटौती करना गंभीर मामला है. ये छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करना है और इसके गंभीर परिणाम होंगे. ऐसी स्थिति में, छात्र-अभिभावक किसी का भी सपना पूरा नहीं किया जा सकता है.