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Bihar News: काली कमाई के कितने धनकुबेर ? पुल निगम के P.E. के ठिकानों से जमीन क्रय के 24 पेपर मिले, इस विभाग का ये 'सरकारी सेवक' भी किसी से कमजोर नहीं...खूब किया है खेला, जान लीजिए....

Bihar News: बिहार में धनकुबेर सरकारी सेवकों की लंबी लिस्ट है. सेवाकाल में हुई कमाई का पैसा जमीन में खपाई जा रही है. निगरानी ने पुल निगम के अभियंता के ठिकानों पर रेड किया तो जमीन खरीद के 24 कागजात मिले. वैसे परिवहन विभाग का यह सरकारी सेवक भी कम नहीं.

Bihar News,Dhankuber Officer,Transport Department, बिहार समाचार, पटना न्यूज, परिवहन विभाग

20-Jan-2025 02:20 PM

By Viveka Nand

Bihar News: जनवरी 2025 में निगरानी ब्यूरो, आर्थिक अपराध इकाई और विशेष निगरानी इकाई भ्रष्ट सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी दिखाई है. 16-17 जनवरी को निगरानी ब्यूरो ने पुल निर्माण निगम के एक धनकुबेर प्रोजेक्ट इंजीनियर के ठिकानों पर रेड किया तो अकूत संपत्ति की जानकारी लगी. आय से अधिक संपत्ति मामले में निगरानी ने यह कार्रवाई की है. पुल निर्माण निगम के प्रोजेक्ट इंजीनियर जंग बहादुर सिंह के चार ठिकानों पर निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी की तो जमीन क्रय के एक-दो-तीन-चार नहीं बल्कि 34 कागजात मिले हैं. दरअसल, सरकारी अधिकारी-कर्मी सेवा काल में अर्जित पैसे को जमीन में खपाते हैं. इसके लिए तरह-तरह के हथकंड़े अपनाते हैं. पत्नी-रिश्तेदार के नाम पर संपत्ति अर्जित कर सरकार की नजरों से बचने की कोशिश करते हैं. सिर्फ पुल निगम के प्रोजेक्ट इंजीनियर  जंग बहादुर सिंह ने ही ऐसा खेल किया, ऐसी बात नहीं, सैकड़ों ऐसे सरकारी सेवक हैं, जिन्होंने सेवा काल में अकूत संपत्ति बनाई है. साथ ही सरकार से छुपाकर बैठे हैं. एक सरकारी सेवक के बारे में बताते हैं...जमीन खरीदते समय पत्नी को हाऊस वाइफ बताया, जब सरकार के यहां जानकारी देने की बारी आई तो पत्नी को स्वावलंबी बताकर वाईफ के नाम पर अर्जित संपत्ति की जानकारी नहीं दी. यह खेल लंबे समय से चल रहा है. हालांकि परिवहन विभाग के 'मोटर निरीक्षक'  स्तर के उक्त अधिकारी की पोल खुल गई है. सचिवालय के गलियारे में भी उक्त सरकारी सेवक की चालाकी की खूब चर्चा हो रही है. 

काली कमाई के कितने कुबेर..?

परिवहन विभाग के एक 'निरीक्षक' स्तर के सरकारी सेवक हैं. इन्होंने 2014 से लेकर 2021-22 तक पत्नी के नाम पर 5-6 से अधिक प्लॉट की खरीद की. सभी कागजातों में पत्नी को हाऊस वाइफ बताया. जमीन निबंधन के कई कागजात में अपना स्थाई पता रोहतास और दो में पटना के शाष्त्रीनगर मोहल्ले का उल्लेख किया. जमीन खरीदते समय पत्नी हाऊस वाइफ थीं...लेकिन संपत्ति का ब्योरा देते समय वाईफ बिजनेसमैन हो गईं. लिहाजा एक भी संपत्ति की जानकारी साझा नहीं किया. 2024 तक का रिकार्ड इसकी गवाही दे रहा है. अगर इस बार जानकारी साझा भी कर देते हैं, तब भी फंसेगे.क्यों कि लंबे समय से संपत्ति अर्जित कर रहे, लेकिन सरकार को जानकारी नहीं दे रहे. 2025 में अचानक इतनी संपत्ति के बारे में जानकारी सरकार को दी तो और भी सवाल उठेंगे. 

संपत्ति अर्जित करना गलत नहीं, छुपाना अपराध 

दरअसल, परिवहन विभाग के पर्यवेक्षकीय संवर्ग के इस सरकारी सेवक ने पत्नी के नाम पर तो अकूत संपत्ति अर्जित की है. अब विभाग के मोटर निरीक्षक की पोल खुलते हुए दिख रही है. संपत्ति अर्जित करना गलत नहीं, लेकिन सरकार की आंख में धूल झोककर संपत्ति बनाना, सरकारी सेवा में रहने के दौरान अवैध तरीके से संपत्ति बनाना अपराध है. सरकार की जांच एजेंसियां समय-समय पर ऐसे धनकुबेरों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं. इस धनकुबेर मोटर निरीक्षक की संपत्ति का हिसाब-किताब जान लीजिए. NOV 2014 की बात कर लेते हैं. परिवहन विभाग के इस मोटर इंस्पेक्टर ने पत्नी अ#### (हाऊस वाइफ) के नाम पर रोहतास जिले के नोखा में 8 डिसमिल जमीन, वैल्यू लगभग 17 लाख रू से अधिक, लैंड टाइप- डेवलपिंग. पत्नी का एड्रेस है.. जिला रोहतास बताया गया है.

अब बात जुलाई 2020 की. नोखा इलाके में सिंचित भूमि 62.50 एकड़,(सरकारी मूल्य- 5 लाख 82 हजार) का निबंधन पत्नी अ#### ती (हाऊस वाइफ) के नाम पर किया गया. इस निबंधन पेपर में पता राजधानी पटना(शाष्त्रीनगर) का दिया गया है. अक्टूबर 2011 को पत्नी अ#### (हाऊस वाईफ) और एक और महिला के नाम पर ज्वाइंट तिलौथू सर्किल में 28 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कराई गई. सरकारी वैल्यू दिखाय गया... 250000 रू.

जून 2021 को पत्नी अ#### (हाऊस वाइफ,पता पटना) और एक और ##### कुमार के नाम पर दिनारा सर्किल में सिंचित भूमि चार टूकड़ा में जमीन कुल रकबा- (25,69,30,27 डिसमिल) यानि 151 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कराई गई। इसके अलावे भी कई प्लॉट हैं, जिसके बारे में उल्लेख करेंगे. परिवहन इंस्पेक्टर ने 2024 में भी पत्नी के नाम पर संपत्ति अर्जित की है.

आगे बताते हैं....परिवहन विभाग के पर्यवेक्षकीय संवर्ग के सरकारी सेवक के बारे में बताया जाता है कि ये उत्तर बिहार के सबसे बड़े शहर में पदस्थापित हैं. बड़ा के साथ-साथ एक छोटा जिला गिफ्ट के तौर पर मिला हुआ है. वैसे बता दें, 2023 में सस्पेंड भी हुए. इसके बाद इनका निलंबन तोड़ा गया, पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहे, फिर दो जिलों का दायित्व दिया गया. आगे बताएं कि, इस मोटर निरीक्षक के खिलाफ 2016 में निगरानी ब्यूरो ने (AOPA) के तहत केस दर्ज किया था. तब ये उप्र सीमा से सटे जिला में पदस्थापित थे. निगरानी ब्यूरो में यह केस अभी जांच में ही है. यानि आठ सालों से निगरानी ने केस को जांच में रखा है.