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25-Sep-2025 03:04 PM
By First Bihar
AMIT SHAH : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज होती जा रही हैं। इस बार एनडीए ने चंपारण की राजनीतिक जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत करने की ठानी है। पश्चिम चंपारण इन दिनों बड़े नेताओं की सक्रियता का केंद्र बन गया है। 23 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिले में कई विकास योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया था, जिसे जनता को साधने की कोशिश के तौर पर देखा गया। अब 26 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह बेतिया पहुंचने वाले हैं।
अमित शाह का कार्यक्रम राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। वे बेतिया के कुमारबाग स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के ऑडिटोरियम में सारण-चंपारण प्रमंडल के 10 जिलों के भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि वे बूथ स्तर तक की चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। इस कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। खुद बेतिया एसपी ने स्थल का निरीक्षण किया और सभी आवश्यक निर्देश दिए।
नीतीश कुमार और अमित शाह का कुछ ही दिनों के अंतराल पर चंपारण दौरा एनडीए की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। नीतीश कुमार जहां विकास कार्यों के जरिए जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भाजपा बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर फोकस कर रही है। दोनों दलों के बीच इस तालमेल को कार्यकर्ताओं में जोश भरने और गठबंधन की मजबूती का संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चंपारण की राजनीतिक अहमियत ऐतिहासिक रही है। यहां की सीटें अक्सर सत्ता के समीकरण तय करने में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। यही वजह है कि एनडीए अपने बड़े चेहरों को यहां उतार रहा है। भाजपा और जदयू मिलकर यह संदेश देना चाहते हैं कि वे पूरी एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे और हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
दूसरी ओर, महागठबंधन भी चंपारण की अहमियत को समझता है। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने 26 सितंबर को पूर्वी चंपारण में प्रियंका गांधी की रैली आयोजित की है। प्रियंका गांधी का यहां आना महागठबंधन की ओर से बड़ा दांव माना जा रहा है। इससे यह साफ है कि महागठबंधन भी एनडीए की तरह चंपारण में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।
दोनों गठबंधनों की सक्रियता यह दिखाती है कि चंपारण इस बार भी बिहार की राजनीति में निर्णायक साबित हो सकता है। एक ओर अमित शाह कार्यकर्ताओं को संगठनात्मक मजबूती का संदेश देंगे, तो दूसरी ओर प्रियंका गांधी जनसभा के जरिए माहौल बनाने की कोशिश करेंगी। ऐसे में चंपारण का मैदान दोनों खेमों के लिए सियासी रणभूमि बन चुका है।
कुल मिलाकर, नीतीश कुमार और अमित शाह के प्रयास एनडीए की मजबूत चुनावी शुरुआत के संकेत हैं, वहीं महागठबंधन प्रियंका गांधी जैसे बड़े चेहरे को उतारकर सीधी चुनौती देने की रणनीति अपना रहा है। चंपारण की यह सियासी जंग आने वाले चुनाव परिणामों में अहम भूमिका निभा सकती है।