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12-Sep-2025 12:24 PM
By First Bihar
BIHAR ELECTION : बिहार की राजनीति में इस समय विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी बाकी है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सत्ता पक्ष की प्रमुख पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को राजधानी पटना में बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में खासा उत्साह है, क्योंकि माना जा रहा है कि यह बैठक चुनावी रणनीति तय करने में अहम साबित होगी।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही खेमों में सीट बंटवारे पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, दोनों गठबंधनों में अंदरखाने बातचीत जारी है और जल्द ही इस पर फैसला भी लिया जा सकता है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान इस बार ज्यादा बढ़ सकती है, क्योंकि सभी दल अपनी हिस्सेदारी मजबूत करना चाहते हैं।
शुक्रवार को पटना में होने वाली बैठक में बीजेपी के कई बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और वरिष्ठ नेता राममाधव भी बैठक में मौजूद रहेंगे। यह बैठक बीजेपी कोर कमेटी की बड़ी बैठक से पहले बुलाई गई है। बताया जा रहा है कि संगठन की इस अहम बैठक में चुनाव से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।बैठक में बीजेपी बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा, जिम्मेदारियों का बंटवारा और सीट फॉर्मूले पर चर्चा इस बैठक का मुख्य एजेंडा होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सकता है। बूथ स्तर तक पार्टी की पकड़ मजबूत करने, सोशल मीडिया के जरिए युवाओं तक पहुंच बनाने और चुनाव प्रचार की दिशा तय करने जैसे मुद्दों पर बात होगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि गठबंधन धर्म निभाते हुए सीट बंटवारे में पार्टी अपने हित कैसे साधे।विधानसभा चुनाव से पहले जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एनडीए की ओर से इन दिनों विधानसभा स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। शुक्रवार को बांका जिले के धोरैया में यह सम्मेलन आयोजित है। इसके अलावा सासाराम, हथुआ, अस्थावां, सिमरी बख्तियारपुर, नवादा, महाराजगंज, मोहनिया, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी और बछवाड़ा में भी ऐसे कार्यक्रम किए जाएंगे।
बीजेपी का मानना है कि इन सम्मेलनों से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और संगठनात्मक मजबूती चुनावी सफलता की कुंजी बनेगी। यह सम्मेलन मतदाताओं से सीधा जुड़ने और एनडीए सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का साधन भी हैं। जहां बीजेपी और एनडीए अपने स्तर पर रणनीति बना रहे हैं, वहीं महागठबंधन भी पीछे नहीं है। राजद और कांग्रेस सहित अन्य दल लगातार बैठकें कर रहे हैं। विपक्षी दलों की रणनीति है कि भाजपा की कमजोरियों को मुद्दा बनाकर चुनाव में फायदा उठाया जाए। बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा जैसे मुद्दों पर विपक्ष जनता का ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा है।
बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों और गठबंधन की राजनीति पर टिकी रही है। इस बार भी चुनावी परिदृश्य कुछ अलग नहीं दिख रहा है। बीजेपी जहां अपने परंपरागत वोट बैंक को साधने में जुटी है, वहीं सहयोगी दल जेडीयू और अन्य दल अपनी-अपनी शर्तें रख सकते हैं। सीट बंटवारे को लेकर बातचीत में पेच फंसने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन चुनाव से पहले किसी भी कीमत पर गठबंधन टूटने की गुंजाइश कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का चुनाव बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। यदि भाजपा और एनडीए दोबारा सत्ता में आते हैं तो उनकी पकड़ और मजबूत होगी, जबकि महागठबंधन को जीत मिलती है तो बिहार की सत्ता समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे।