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20-Sep-2025 08:59 AM
By First Bihar
Cyber Crime Bihar: बिहार में दिन-ब-दिन बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जल्द ही राज्य में साइबर सुरक्षा ऑपरेशन सेंटर (SOC) की स्थापना की जाएगी, जो आर्थिक अपराध इकाई (EoU) के अधीन कार्य करेगा। इस अत्याधुनिक केंद्र को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा और इसके लिए गृह विभाग ने 14.74 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इस राशि का उपयोग उन्नत तकनीकी उपकरणों और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए किया जाएगा, जिससे साइबर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
पटना स्थित पुलिस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में ईओयू के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) नैयर हसनैन खान ने बताया कि बिहार में साइबर अपराध और साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी और संगठित बनाने के लिए SOC की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि अब तक की कार्रवाई असंगठित तरीके से विभिन्न थानों और इकाइयों के माध्यम से होती रही है, लेकिन SOC के जरिए एकीकृत और रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी।
ईओयू के डीआईजी (साइबर) संजय कुमार सिंह ने बताया कि SOC के गठन से पहले ही कई पहल की जा चुकी हैं। सी-डैक (C-DAC) के सहयोग से 24x7 सोशल मीडिया और साइबर गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। इसके लिए एक शोध एवं विकास (R&D) विंग भी बनाया गया है, जिसमें सी-डैक के दो वैज्ञानिकों को तैनात किया गया है। ये वैज्ञानिक किसी भी तकनीकी चुनौती का तुरंत समाधान निकालने में मदद करते हैं। SOC के आने के बाद, साइबर अपराध के मामलों में प्राथमिक सूचना, विश्लेषण, ट्रैकिंग और कार्रवाई की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी।
साइबर अपराध की जटिलता को समझाते हुए एडीजी ने हाल में पकड़े गए तीन साइबर अपराधियों रामप्रवेश कुमार, विकास कुमार और मिथिलेश कुमार का उदाहरण दिया। इनकी गिरफ्तारी मधेपुरा से की गई थी। जांच में सामने आया कि इन अपराधियों ने गूगल और यूट्यूब से साइबर फ्रॉड की ट्रेनिंग ली थी। वे फर्जी आधार सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर यूआईडीएआई की वेबसाइट से लोगों के बायोमेट्रिक डेटा चुरा लेते थे। बाद में इस डेटा का उपयोग सिलिकॉन फिंगरप्रिंट बनाकर ठगी के लिए करते थे।
इस मामले से यह भी सामने आया कि यूट्यूब और गूगल पर इस प्रकार का संवेदनशील और आपराधिक कंटेंट अब भी मौजूद है। बिहार पुलिस ने इस विषय में केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर जांच शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार से यह मांग की जाएगी कि इस पर रोक के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure - SOP) तैयार की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे कंटेंट को रोका जा सके और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी तय हो सके।
SOC की स्थापना से बिहार की साइबर सुरक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप मजबूत किया जा सकेगा। इससे न केवल अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी तेज होगी, बल्कि आम जनता को भी ऑनलाइन ठगी और डेटा चोरी जैसी घटनाओं से बचाया जा सकेगा। साथ ही, इस केंद्र के माध्यम से युवाओं को साइबर सुरक्षा जागरूकता और डिजिटल साक्षरता से भी जोड़ा जा सकेगा, जिससे समाज में डिजिटल जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
बिहार सरकार की यह पहल न केवल एक रणनीतिक कदम है, बल्कि एक दृढ़ राजनीतिक और प्रशासनिक संकल्प भी है कि अब राज्य में साइबर अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। तकनीक का इस्तेमाल अब सिर्फ अपराध रोकने के लिए नहीं, बल्कि साइबर जागरूकता फैलाने और डिजिटल भारत मिशन को सफल बनाने के लिए भी किया जाएगा।