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Bihar Land Survey: जमीन मालिक ध्यान से पढ़ें खबर, ये कागजात नहीं है तो नहीं बनेगा आपके नाम से खतियान

बिहार में जमीन सर्वे का काम जारी है. इसको लेकर लगातार नये नियम सामने आ रहे हैं. जानिये अब किन दस्तावेजों को खतियान तैयार के लिए जरूरी कर दिया गया है.

BIHAR

17-Feb-2025 05:41 PM

PATNA: बिहार में जमीन सर्वे पूरा करने की आखिरी डेट को आगे बढ़ा दिया गया है, लेकिन सर्वे का काम जारी है. सर्वे को लेकर रोज नयी जानकारी दी जा रही है. अब खानदानी या पारिवारिक संपत्ति को लेकर नियमों की जानकारी दी गयी है. वहीं, जमीन बदलने के मामले में भी नियमों की जानकारी दी गयी है. अगर आप अपनी पारिवारिक या खानदानी संपत्ति का खतियान बनाना चाह रहे हैं तो इसके लिए कई कागजातों की जरूरत होगी.


रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी

जमीन सर्वे का काम देख रहे बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि खानदानी या पारिवारिक संपत्ति का अलग अलग खतियान बनाने के लिए बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर बंटवारा मौखिक हुआ है या फिर ऐसे कागज पर हुआ है जो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका कोई वैल्यू नहीं होगा. ऐसी स्थिति में संयुक्त खतियान बनेगा. जिसमें साझा परिवार के सभी सदस्यों का नाम दर्ज होगा. 


स्टांप पेपर पर भी दस्तावेज मान्य नहीं

Bihar Bhumi Survey के दौरान जमीन बदलने का मौखिक समझौता मान्य नहीं होगा. इसके लिए भी समझौते का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर आपने स्टांप पेपर भी समझौता किया है लेकिन वह रजिस्टर्ड नहीं है तो वह भी मान्य नहीं होगा. जमीन बदलने का रजिस्टर्ड दस्तावेज है, तब ही संबंधित नाम से खतियान बनेगा. समझौता रजिस्टर्ड नहीं होने की स्थिति में मूल मालिक के नाम से ही खतियान बनाया जाएगा. 


जमीन मालिकों को देने होंगे ये दस्तावेज

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ये स्पष्ट कर चुका है कि जमीन की रैयत के संबंध में स्व घोषणा के समय अपनी जमीन का रकबा, चौहद्दी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद की फोटो कॉपी, खतियान का नकल आदि दस्तावेज देना जरूरी है. अगर ऑनलाइन रसीद कट रही है तो वह रसीद भी देनी होगी.


मापी के दौरान रहना होगा मौजूद

कई ऐसे जमीन हैं, जिनका एरियल सर्वे में स्पष्ट नतीजा सामने नहीं आया है. सर्वे कार्यालय के पास एरियल सर्वे का जो नक्शा है, उसमें बगीचों के पास वाले कई प्लॉट्स को एक दिखाया गया है. ऐसे में सर्वे के दौरान अमीन स्थल पर मापी कर नक्शे में प्लॉट को अलग-अलग करेंगे. इस दौरान जमीन मालिक को जमीन पर रहना जरूरी होगा. 


बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि जमीन की मापी की जिम्मेदारी रैयतों यानि जमीन मालिक की होगी. उनकी स्व घोषणा के बाद सरकार के अमीन जमीन की मापी करेंगे. उस दौरान जमीन मालिक को दखल कब्जा की जानकारी देनी होगी. जमीन पर सही दखल कब्जा मिलने से सही खतियान बनाने में मदद मिलेगी. इसमें अगर कोई गड़बड़ी है तो रैयत को तीन बार अपील करने का मौका मिलेगा. 


अलग होगा खेसरा नंबर

सभी कागजात की जांच और जमीन की मापी के बाद रैयत को नया खतियान मिलेगा. नए खतियान में खेसरा नंबर बदल जायेगा यानि पुराना खेसरा नंबर नहीं रहेगा. उन्हें अपने प्लॉट का नक्शा भी मिलेगा. किसी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में अपील करने का मौका दिया जाएगा. समस्या को ठीक कर अधिकारी प्रपत्र 12 जारी करेंगे. इसके बावजूद  अगर सुधार नहीं होता है पर प्रपत्र 14 से अपील किया जा सकता है.


जमीन का मालिक नहीं मिला तो सरकारी हो जायेगी प्रॉपर्टी

सर्वे के दौरान ऐसी जमीन पायी जाती है जो जोत में हो और उससे संबंधित कोई कागजात नहीं है, ऐसे में जमीन के मूल मालिक की खोज होगी. सरकार की खोज में मूल मालिक के नहीं मिलने पर जमीन बिहार सरकार की घोषित की जा सकती है. सरकार के इस फरमान से सरकारी जमीन हड़पने वालों में हड़कंप मचा है. सरकारी जमीन पर बड़े पैमाने पर पक्के औऱ कच्चे मकान बना लिये गये हैं. उन्हें सरकार अपने कब्जे में ले सकती है.