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18-Jun-2025 03:05 PM
By First Bihar
PATNA: घर में बिजली गुल होने के बाद खुद इन्वर्टर की मदद से लाइट और पंखे जलने लगते है. जिससे पता नहीं चलता कि कब बिजली गई और आई। जिस घर में इन्वर्टर नहीं होता वो बिजली गुल होने के बाद इस भीषण गर्मी में परेशान हो जाते हैं। अब इनकी इस परेशानी को दूर करने के लिए सरकार हाई कैपेसिटी का बैटरी इन्वर्टर लगाने जा रही है। जिससे लोगों को चौबीस घंटे बिजली मिलेगी। जब कभी बिजली गुल होगी तुरंत इन्वर्टर से जुड़ जाएगा जिससे लोगों को पता नहीं चलेगा कि बिजली गुल हुई है. लोगों को पर्याप्त बिजली इन्वर्टर से मिल सकेगा. अब लोगों को घर में इन्वर्टर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार खुद पावरफुल इन्वर्टर लगाने जा रही है।
बिजली संकट से जूझ रहे विद्युत उपभोक्ताओं के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। अब बिहार के 15 प्रमुख शहरों में बिजली कटौती के दौरान भी लोगों को चार घंटे तक निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सकेगी। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की साझेदारी से शुरू की गई एक उन्नत बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System - BESS) परियोजना के ज़रिए यह संभव होगा।
जैसे आमतौर पर घरों में इन्वर्टर और बैटरी का उपयोग बिजली जाने की स्थिति में किया जाता है, वैसे ही अब यह तकनीक बड़े स्तर पर अपनाई जा रही है। इस योजना के तहत 125 मेगावाट क्षमता की बैटरियों को राज्य के 15 ग्रिड सब-स्टेशनों में स्थापित किया जाएगा, जिससे कुल 500 मेगावाट-घंटा (MWh) ऊर्जा भंडारण संभव हो सकेगा।
केंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस परियोजना को मंजूरी दी है, जो वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) स्कीम के तहत संचालित की जाएगी। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा 135 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है। यह राशि कुल परियोजना लागत का 30% या 27 लाख रूपये प्रति मेगावाट-घंटा के रूप में प्रदान की जा रही है।
बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (BSPGCL) इस पूरी योजना का क्रियान्वयन करेगी। प्रत्येक सब-स्टेशन में 5 मेगावाट से लेकर 20 मेगावाट क्षमता तक की बैटरियां लगाई जाएंगी, जिनमें चार घंटे तक बिजली स्टोर करके जरूरत पड़ने पर ग्रिड को सप्लाई दी जा सकेगी।
इन शहरों को मिलेगा लाभ?
इस परियोजना के तहत इन 15 शहरों को शामिल किया गया है। जिसमें मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, भागलपुर (नया), सीतामढ़ी, फतुहा, मुशहरी, उदाकिशुनगंज, जमुई (नया), अस्थावां (नालंदा), जहानाबाद, रफीगंज, शिवहर, सीवान (नया), किशनगंज और बांका (नया) शामिल है।
अब तक 6 सब-स्टेशनों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और शेष स्थानों के लिए प्रक्रिया चल रही है। देश की कई प्रमुख ऊर्जा कंपनियों को इस टेंडर में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। ग्रिड से आपूर्ति बाधित होने पर 4 घंटे तक वैकल्पिक सप्लाई मिलेगी। यह प्रणाली सोलर और विंड एनर्जी जैसी अक्षय ऊर्जा को स्टोर कर उपयोग के लिए तैयार रखेगी। जब बिजली की मांग अधिक होती है, उस समय यह बैटरियां संतुलन बनाएंगी। राज्य अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अधिक आत्मनिर्भर हो सकेगा। यह प्रणाली जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाएगी, जिससे पर्यावरण को लाभ मिलेगा।
बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने इस परियोजना को राज्य की ऊर्जा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना बिहार की बिजली व्यवस्था को अधिक मजबूत, लचीला और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। यह पहल तकनीकी नवाचार और टिकाऊ विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।