ब्रेकिंग न्यूज़

Amit Shah Promise : अमित शाह ने पूरा किया अपना वादा, सम्राट और सिन्हा को सच में बनाया बड़ा आदमी; समझिए कैसे तैयार हुआ फार्मूला Deepak Prakash Love Story: नीतीश कैबिनेट के जींस‑शर्ट वाले मंत्री दीपक प्रकाश की कैसे हुई साक्षी मिश्रा से शादी? जानें नए मंत्री जी की पूरी लव स्टोरी IND vs SA: दूसरे टेस्ट से पहले भारतीय टीम में 2 बड़े बदलाव, इन खिलाड़ियों को मिला मौका NDA government Bihar : बिहार में नई सत्ता संरचना: एनडीए सरकार में बीजेपी की पकड़ और नीतीश की सीमित भूमिका की पूरी कहानी Bihar News: बिहार के शहरों में सस्ती बिजली, इस दिन से मिलेगा बड़ा फायदा; जानें पूरी डिटेल Bihar teacher transfer 2025 : 22,732 सरकारी शिक्षकों को मिलेगी नई पोस्टिंग, प्रक्रिया 16 दिसंबर से शुरू Bihar Crime News: बिहार में शिक्षक की गोली मारकर हत्या, पुलिस जांच में जुटी Bihar News: "हम मायके जाएम… तोरा घरे मार खाएं जाए?" भाई की शादी को लेकर पति-पत्नी का सड़क पर हाई वोल्टेज ड्रामा, भीड़ और पुलिस घंटों बेहाल Bihar Weather: बिहार के इन जिलों में कड़ाके की ठंड का अलर्ट, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत Bihar Politcis: क्या बिहार में भी चलेगा ‘योगी मॉडल’, BJP को गृह विभाग मिलते ही क्यों होने लगी बुलडोजर की चर्चा तेज?

Bihar Politics: नवरात्रि पर चर्चा में बेगूसराय का यह दुर्गा मंदिर, गैर-हिंदुओं की एंट्री बैन; गिरिराज सिंह का भी नाम जुड़ा

बेगूसराय में नवरात्र के अवसर पर धार्मिक और राजनीतिक माहौल गरमा सकता है। जिले के खतोपुर स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में कुछ बैनर लगाए गए हैं, जिनमें साफ लिखा है – “यह मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है, यहां गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है।

गिरिराज सिंह फैंस क्लब

24-Sep-2025 09:07 AM

By First Bihar

Bihar Politics: बेगूसराय में नवरात्र के अवसर पर धार्मिक और राजनीतिक माहौल गरमा सकता है। जिले के खतोपुर स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में कुछ बैनर लगाए गए हैं, जिनमें साफ लिखा है – “यह मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है, यहां गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है।” इन बैनरों पर एक ओर मां दुर्गा की शेर पर सवार प्रतिमा बनी हुई है, तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह की तस्वीर छपी है, जिनके हाथ में त्रिशूल दिखाया गया है।


इन बैनरों को गिरिराज सिंह फैंस क्लब बेगूसराय की ओर से लगाया गया है। क्लब से जुड़े भाजपा कार्यकर्ता आयुष ईश्वर ने इस कदम को आस्था और धार्मिक परंपरा से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि मंदिर हिंदुओं का आस्था स्थल है और यहां पूजा-अर्चना करने के लिए माताएं-बहनें आती हैं। ऐसे में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होना स्वाभाविक है। उन्होंने तर्क दिया – “हम मस्जिद में आरती नहीं करते, तो जो लोग अपने धर्म को मानते हैं, वे मस्जिदों में इबादत करें। मंदिर में आने की कोई जरूरत नहीं है।”


आयुष ईश्वर ने आगे कहा कि यह पहल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की सोच और प्रेरणा से की गई है। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह हमेशा हिंदू धर्म की रक्षा और सनातन संस्कृति की मजबूती की बात करते रहे हैं। इसी उद्देश्य से यह संदेश दिया गया है ताकि मंदिरों की पवित्रता बनी रहे और सनातन धर्म को और मजबूत किया जा सके।


हालांकि, इस बैनर को लेकर इलाके के कई लोगों ने आपत्ति जताई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह कदम समाज में विभाजन पैदा करने वाला है। उनका तर्क है कि मंदिर और मस्जिद दोनों आस्था और श्रद्धा के स्थल हैं, जिन्हें बांटने का कोई औचित्य नहीं है। कुछ लोगों ने कहा – “यह गलत है। मस्जिद में लोग जाते हैं, मंदिर में भी। दोनों एक ही हैं। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि सबको साथ लेकर चलना चाहिए, लेकिन यहां बांटने की कोशिश की जा रही है।”


लोगों ने इस विवाद को सीधे तौर पर राजनीति से जोड़ा है। उनका आरोप है कि 2025 विधानसभा चुनाव को देखते हुए हिंदू-मुसलमान का मुद्दा उठाया जा रहा है ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। उनके अनुसार, इस तरह के बैनर न तो धार्मिक सद्भाव को बढ़ाते हैं और न ही समाज में भाईचारे की भावना को।



इस विवाद पर जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर इसकी जिम्मेदारी लेने से इनकार किया। गिरिराज सिंह ने कहा – “वो लोग अपनी सोच से लगाए हैं। सनातन धर्म में जो व्यवहार है, उसी व्यवहार के तहत यह किया गया है।” उन्होंने इसे व्यक्तिगत पहल बताया और कहा कि उनके फैंस क्लब ने अपने तरीके से धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश की है।


बेगूसराय जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय जिले में इस तरह का विवाद चुनावी मौसम में और भी संवेदनशील हो जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम का सीधा असर समाज के दो बड़े समुदायों पर पड़ेगा। जहां भाजपा समर्थक इसे आस्था और धर्म रक्षा से जोड़ रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बता रहे हैं।