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22-Jun-2025 08:23 PM
By First Bihar
ARRAH: आरा के ग्रैंड रिसॉर्ट में आज धर्म जागरण समन्वय, भोजपुर विभाग एवं जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में भव्य संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक चेतना, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता का भी प्रतीक बनकर उभरा। भोजपुर - बक्सर के विभिन्न जिलों से पधारे संतों, साध्वियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और हजारों की संख्या में साधु संत शामिल रहे l
प्रान्त के सांस्कृतिक प्रमुख प्रज्ञापुत्र निर्मल संत सम्मेलन के कार्यक्रम संयोजक अजय सिंह ने कहा कि “हर मंदिर को सशक्त करना होगा, हर घर में हमारी धार्मिक सभ्यता के प्रति आस्था और गंभीरता जरूरी है। हो सकता है आने वाली पीढ़ी तक हमारी धार्मिक पद्धति और हिन्दू संस्कृति की पहुंच और पहचान न बन पाए अगर हम आज भी सजग न हुए। हमें अपनी स्कूलों में धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी।” उन्होंने आगे कहा, “जैसे अन्य समुदाय अपने धर्म को लेकर एकजुट और कट्टर हैं, वैसे ही हिंदुओं में भी धार्मिक गंभीरता और आस्था का भाव जागना जरूरी है। हमें अपने मूल्यों की रक्षा के लिए संगठित होना होगा।”
सम्मेलन में नवादा नरहठा मठ के महंथ पूज्य रंगनाथ स्वामी जी, चरित्रवन बक्सर के गोविंदाचार्य स्वामी जी, स्वामी राघवाचार्य जी, स्वामी पद्मनभ जी महाराज, स्वामी बैकुंठनाथ जी और स्वामी विधिचार्य जी महाराज जैसे प्रसिद्ध संतों की उपस्थिति ने सभा को विशेष गरिमा प्रदान की। साथ ही साध्वी लक्ष्मी माता, धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्र प्रमुख सूबेदार जी, प्रान्त संयोजक अनिल दुबे, विधि प्रमुख भूषण कुमार, सह संयोजक अरुण कुमार, कार्यक्रम के संयोजक अजय सिंह,पटना विभाग संयोजक राज किशोर जी, प्रान्त के परियोजना प्रमुख राकेश कुमार, सह प्रमुख यशवंत नारायण ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस सम्मेलन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाज के विविध वर्गों की भी सक्रिय भागीदारी रही। मेयर इंदु देवी, विधान परिषद सदस्य जीवन कुमार, भाजपा के जिला अध्यक्ष दुर्गा राज, सियाराम सिंह, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रान्त मंत्री नितीश पटेल, रामनवमी शोभायात्रा संयोजक शम्भू चौरसिया, विभाग प्रचारक राणा प्रताप, कार्यक्रम के मीडिया संयोजक अभय विश्वास भट्ट, NHAI के पूर्व निदेशक वीर बहादुर सिंह, हरिओम, युवराज जैसे अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति ने सम्मेलन को सार्थकता दी।
संतों ने अपने वक्तव्यों में धर्म को जीवन का केंद्र मानते हुए कहा कि यह समय सनातन संस्कृति को पुनः जीवंत करने का है। उन्होंने समाज में फैल रही नशाखोरी, अशिक्षा और सांस्कृतिक भ्रम को दूर करने के लिए मंदिरों को सामाजिक केंद्र के रूप में स्थापित करने पर बल दिया। कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित सभी संतों और नागरिकों ने समाज में धार्मिक चेतना, सांस्कृतिक समरसता और राष्ट्रभक्ति को मजबूत करने का संकल्प लिया। पूरे आयोजन में आध्यात्मिकता, श्रद्धा और सामाजिक एकजुटता का दृश्य देखने को मिला। यह सम्मेलन भोजपुर की धरती पर धर्म, संस्कृति और समाज के समन्वय का ऐतिहासिक उदाहरण बन गया।