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23-Jul-2025 09:30 AM
By First Bihar
Bihar Island: बिहार का भागलपुर जिला न केवल अपने रेशम उद्योग और जर्दालु आम के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह एक अनोखा पर्यटन स्थल भी है जो थाइलैंड जैसे गंतव्यों को भी टक्कर देता है। भागलपुर के कहलगांव में गंगा नदी के बीचों-बीच स्थित तीन पहाड़ियां शांति बाबा पहाड़, बंगाली बाबा पहाड़ और पंजाबी बाबा पहाड़ पर्यटकों के लिए एक अलौकिक आकर्षण का केंद्र हैं। पहले ये बुद्धा आश्रम, तापस आश्रम और नानकशाही आश्रम के नाम से जानी जाती थीं। बिहार सरकार ने अब इन्हें रॉक कट टेंपल के रूप में संरक्षित करने का फैसला लिया है जो बिहार पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
कहलगांव, भागलपुर से लगभग 25-30 किमी दूर गंगा नदी के बीच बने इस आइलैंड के लिए मशहूर है। राजघाट या बटेश्वर स्थान घाट से नाव के जरिए पर्यटक इन तीन पहाड़ियों तक पहुंचते हैं। इन पहाड़ियों का दृश्य इतना मनोरम है कि यह देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर खींचता है। गंगा की कल-कल बहती धारा और पहाड़ियों का प्राकृतिक सौंदर्य शांति और ध्यान के लिए आदर्श माहौल प्रदान करता है। हर साल लाखों पर्यटक यहां मंदिरों, गुफाओं और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।
यह क्षेत्र विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी का हिस्सा है, जहां गंगा में डॉल्फिन की अठखेलियां देखने को मिलती हैं। पर्यटक नाव से इन पहाड़ियों तक जाते समय डॉल्फिन के दर्शन का आनंद भी लेते हैं। गंगा का जलस्तर कम होने पर यह क्षेत्र पूरी तरह आइलैंड में बदल जाता है और ड्रोन व्यू से इसका सौंदर्य और भी निखरकर सामने आता है। यह स्थान आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों दृष्टिकोण से खास है।
बिहार सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग ने इन पहाड़ियों को बिहार प्राचीन पुरातत्व अवशेष व कलानिधि अधिनियम 1976 के तहत रॉक कट टेंपल के रूप में अधिसूचित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत इन पहाड़ियों की पुरातात्विक जांच होगी और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में और विकसित किया जाएगा। नगर पंचायत कहलगांव ने इस स्थान को रोपवे से जोड़ने का प्रस्ताव भी पास किया है, जिससे पर्यटकों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है।
ज्ञात हो कि इन तीन पहाड़ियों की अपनी-अपनी पौराणिक कहानियां हैं। शांति बाबा पहाड़, बंगाली बाबा पहाड़ और पंजाबी बाबा पहाड़ पहले बौद्ध, जैन और सिख आश्रमों के रूप में जाने जाते थे। इनके ऊपर बनी गुफाएं और मंदिर आध्यात्मिक शांति की तलाश में आने वालों को आकर्षित करते हैं। पुराणों में भी भागलपुर का जिक्र है, जहां मंदार पर्वत का उपयोग समुद्र मंथन में मथनी के रूप में किया गया था।
कैसे पहुंचें?
भागलपुर से: सड़क, रेल या नाव के जरिए कहलगांव पहुंचा जा सकता है। राजघाट या बटेश्वर स्थान घाट से नाव द्वारा इन पहाड़ियों तक पहुंचने में 20-30 मिनट लगते हैं।
पश्चिम बंगाल से: साहिबगंज के रास्ते गंगा नदी से क्रूज या नाव द्वारा कहलगांव पहुंचा जा सकता है।
विदेशी पर्यटक: कोलकाता या साहिबगंज से ट्रेन या क्रूज के जरिए इस स्थल तक पहुंचते हैं। नवगछिया तीनटंगा भी एक वैकल्पिक मार्ग है।
यह आइलैंड न केवल धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है, बल्कि यह बिहार पर्यटन को बढ़ावा देने में भी अब महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार की ओर से इसे रॉक कट टेंपल के रूप में संरक्षित करने और रोपवे जैसे बुनियादी ढांचे के विकास से यह स्थान थाइलैंड और मालदीव जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों को टक्कर दे सकता है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर, बूढ़ानाथ मंदिर और चंपापुर जैन मंदिर जैसे अन्य नजदीकी स्थल भी भागलपुर को पर्यटन का हब बनाते हैं।
कहलगांव की ये तीन पहाड़ियां बिहार का एक अनोखा पर्यटन स्थल हैं जो आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का अनूठा मिश्रण प्रदान करती हैं। सरकार के संरक्षण और विकास योजनाओं से यह स्थान जल्द ही वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना सकता है। यदि आप शांति, प्रकृति और इतिहास के प्रेमी हैं तो यह आइलैंड आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है।