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15-Feb-2025 06:15 AM
Ramzaan 2025: इस्लामी चंद्र कैलेंडर के अनुसार रमजान का महीना 29 या 30 दिनों तक चलता है और इसे इस्लाम के पांच प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। रमजान का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इस महीने में मुसलमान अपनी आस्था, इबादत, रोजा, दान और अल्लाह की खुशी के लिए विशेष ध्यान देते हैं।
कब से शुरू होगा रमजान 2025?
इस साल भारत में रमजान 1 मार्च 2025, शनिवार के दिन शुरू होगा। यह पवित्र महीना 30 या 31 मार्च 2025 की शाम तक जारी रहने की उम्मीद है। रमजान का अंतिम दिन और ईद-उल-फितर का निर्धारण नए चांद के दिखने पर होता है।
रमजान का महत्व और उपवास
रमजान के दौरान मुसलमान सूरज उगने से लेकर सूरज ढलने तक रोजा रखते हैं।
सहरी: रोजे की शुरुआत से पहले सूरज उगने से पहले कुछ खाया जाता है, जिसे सहरी कहते हैं।
इफ्तारी: सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने के लिए भोजन किया जाता है, जिसे इफ्तारी कहते हैं।
रमजान के महीने में अल्लाह की इबादत, कुरान की तिलावत और नेकी के कामों पर विशेष जोर दिया जाता है। यह महीना आत्मशुद्धि और अल्लाह के करीब जाने का अवसर प्रदान करता है।
दान और जकात का महत्व
रमजान में दान (सदक़ा) और जकात को विशेष महत्व दिया गया है। हर मुसलमान को अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। जकात, जो कि आय का एक निश्चित हिस्सा होता है, इस महीने में विशेष रूप से अल्लाह को खुश करने के लिए दी जाती है।
ईद-उल-फितर: रमजान का उत्सवपूर्ण समापन
रमजान का अंत ईद-उल-फितर के साथ होता है, जो इस्लामिक कैलेंडर के शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाई जाती है। इस दिन मुसलमान अपने आखिरी रोजे के बाद नए कपड़े पहनते हैं, विशेष नमाज अदा करते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ मिठाइयों और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं।
क्या करें रमजान में?
पांच वक्त की नमाज: नियमित रूप से नमाज पढ़ें और अल्लाह की इबादत में समय बिताएं।
दान करें: अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करें।
अल्लाह का शुक्रिया अदा करें: कुरान की तिलावत और जकात के जरिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करें।
नेकी के काम करें: रमजान के महीने में हर नेकी और इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है।
रमजान आत्म-नियंत्रण, त्याग और आध्यात्मिकता का महीना है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक ऐसा समय भी है जब मुसलमान अपने जीवन को सुधारने और जरूरतमंदों की मदद करने की कोशिश करते हैं। रमजान का पालन करने से न केवल आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि अल्लाह की बरकतें भी प्राप्त होती हैं।