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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Feb 2025 06:27:30 PM IST
Pradosh Fast - फ़ोटो Pradosh Fast
Pradosh Fast: प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना की जाती है। भक्त श्रद्धा भाव से उपवास रखते हैं और शिव पूजन करते हैं, जिससे उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। फाल्गुन माह के पहले प्रदोष व्रत का आयोजन 11 मार्च 2025 को किया जाएगा। इस अवसर पर शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च, सुबह 08:13 AM
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 12 मार्च, सुबह 09:11 AM
प्रदोष काल: 11 मार्च, शाम 06:27 PM से 08:53 PM
इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। भक्तजन इस अवधि में जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
शुभ योग और नक्षत्र
इस बार के प्रदोष व्रत पर सुकर्मा और शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। साथ ही, अश्लेषा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन विशेष योगों में शिव उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
शिवलिंग का जल, दूध, शहद, गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, चंदन और अक्षत भगवान शिव को अर्पित करें।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें और रुद्राभिषेक करें।
संध्या के समय दीप जलाकर शिव चालीसा और आरती करें।
व्रत कथा का श्रवण करें और प्रसाद वितरण करें।
प्रदोष व्रत के लाभ
इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
जीवन में आने वाले कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
महत्वपूर्ण समयानुसार मुहूर्त
सूर्योदय: सुबह 06:35 AM
सूर्यास्त: शाम 06:27 PM
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:58 AM से 05:47 AM तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 PM से 03:17 PM तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:25 PM से 06:49 PM तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:06 AM से 12:55 AM तक
फाल्गुन माह का यह पहला प्रदोष व्रत विशेष संयोग लेकर आ रहा है। इस दिन शिवभक्तों के लिए उत्तम योग बन रहे हैं, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होगा और साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इसलिए, श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करें और शिव कृपा प्राप्त करें।