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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Feb 2025 07:22:45 AM IST
फाल्गुन अमावस्या - फ़ोटो फाल्गुन अमावस्या
Phalgun Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इसे पितरों की तिथि माना जाता है, जिसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करने का विधान है। फाल्गुन अमावस्या 2025 इस वर्ष 27 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन की गई पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान जीवन में सकारात्मकता लाने और पितृ दोष को शांत करने में सहायक होते हैं। आइए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन के खास नियम।
फाल्गुन अमावस्या 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 27 फरवरी 2025, सुबह 08:54 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 फरवरी 2025, सुबह 06:14 बजे
मुख्य पूजा दिवस: 27 फरवरी 2025
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
पितृ तर्पण और श्राद्ध: इस दिन पितरों के लिए तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
पुण्यदायी स्नान: गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।
दान-पुण्य का महत्व: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करना अत्यधिक फलदायी होता है।
आध्यात्मिक उन्नति: भगवद गीता, रामायण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष पुण्य मिलता है।
पितृ दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वे इस दिन विशेष पूजा करके इसका निवारण कर सकते हैं।
फाल्गुन अमावस्या की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करें।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
घर में भगवद गीता, रामायण या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और उनके मंत्रों का जाप करें।
तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचें।
"ॐ श्री पितराय नमः" और "ॐ पितृगणाय विद्महे..." जैसे मंत्रों का जाप करें।
इस दिन क्या न करें?
किसी का अपमान या बुरा नहीं बोलना चाहिए।
क्रोध और अहंकार से बचें।
मांसाहार और नशे का सेवन न करें।
इस दिन कोई भी अशुभ कार्य न करें।
फाल्गुन अमावस्या 2025 आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन है, जिसमें पितरों की कृपा पाने और पितृ दोष निवारण के लिए तर्पण, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं और पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं। इसलिए, इस पावन अवसर पर नियमपूर्वक पूजा करके पुण्य लाभ अवश्य प्राप्त करें।