Bihar Crime News: विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बिहार में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा, हथियार और गोलियां बरामद Govardhan Asrani Death: दिवाली के जश्न के बीच दुखद खबर, हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन Govardhan Asrani Death: दिवाली के जश्न के बीच दुखद खबर, हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन Bihar News: मातम में बदली दिवाली की खुशियां, करंट लगने से बाप-बेटे की गई जान; लोगों में बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा Bihar News: मातम में बदली दिवाली की खुशियां, करंट लगने से बाप-बेटे की गई जान; लोगों में बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा Bihar Election 2025: RJD उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं होने पर भड़के मुकेश सहनी के भाई, केस करने की दे दी चेतावनी Bihar Election 2025: RJD उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं होने पर भड़के मुकेश सहनी के भाई, केस करने की दे दी चेतावनी Bihar News: बिहार में गंगा स्नान के दौरान बड़ा हादसा, दो बच्चों की डूबकर मौत; दो की बाल-बाल बची जान Bihar News: बिहार में गंगा स्नान के दौरान बड़ा हादसा, दो बच्चों की डूबकर मौत; दो की बाल-बाल बची जान Bihar Election 2025: बिहार में नामांकन दाखिल करते ही RJD उम्मीदवार गिरफ्तार, डकैती के मामले में पुलिस ने दबोचा; कोर्ट ने जारी किया था अरेस्ट वारंट
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 30 Jan 2025 08:12:45 PM IST
Bhishma Ashtami - फ़ोटो Bhishma Ashtami
Bhishma Ashtami: भीष्म अष्टमी और मासिक दुर्गा अष्टमी हिंदू धर्म के दो महत्वपूर्ण पर्व हैं, जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाते हैं। भीष्म अष्टमी महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह की स्मृति में मनाई जाती है, जबकि मासिक दुर्गा अष्टमी माता दुर्गा की उपासना का विशेष दिन होता है।
भीष्म अष्टमी का महत्व
भीष्म पितामह का जीवन त्याग, धर्म और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक था। उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और हस्तिनापुर के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी। महाभारत युद्ध के दौरान वे अर्जुन के बाणों से घायल होकर शरशय्या पर लेट गए थे और सूर्य के उत्तरायण होने तक अपने प्राणों का त्याग नहीं किया। उनकी इस महान आत्मा की शांति के लिए भीष्म अष्टमी के दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
भीष्म अष्टमी कब मनाई जाती है?
माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था, इसलिए हर साल यह तिथि उनके श्राद्ध और तर्पण के लिए समर्पित होती है। सनातन धर्म में इस दिन विशेष रूप से पितरों के उद्धार के लिए तर्पण करने की परंपरा है।
भीष्म अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भीष्म अष्टमी 5 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। तिथि का प्रारंभ 5 फरवरी की रात 2:30 बजे होगा और समापन 6 फरवरी की रात 12:35 बजे होगा।
श्राद्ध और तर्पण का शुभ समय:
सुबह 11:30 बजे से दोपहर 1:41 बजे तक
इस दिन के विशेष अनुष्ठान और पूजन विधि
स्नान और संकल्प: प्रातः काल पवित्र नदी या जल में स्नान करें और भीष्म पितामह को समर्पित व्रत एवं तर्पण का संकल्प लें।
तर्पण और पिंडदान: इस दिन विशेष रूप से जल में तिल और कुश डालकर तर्पण किया जाता है। जिन लोगों को संतान नहीं होती, वे इस दिन श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा: इस दिन श्रीहरि विष्णु का पूजन भी विशेष रूप से किया जाता है।
ब्राह्मण और जरुरतमंदों को भोजन कराना: इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व
वैदिक पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की मासिक दुर्गा अष्टमी भी है। इस शुभ अवसर पर दस महाविद्याओं की आठवीं देवी मां बगलामुखी की पूजा की जाएगी। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। मां बगलामुखी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।
मासिक दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त एवं योग
माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 5 फरवरी को देर रात 2:30 बजे प्रारंभ होगी और 6 फरवरी को देर रात 12:35 बजे समाप्त होगी। इस दिन विभिन्न शुभ योग भी बन रहे हैं:
सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग शाम 8:33 बजे से शुरू होकर पूरी रात रहेगा। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रवि योग: यह योग भी पूरे रात्रि तक प्रभावी रहेगा, जिससे पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
भद्रावास योग: दोपहर 1:31 बजे तक भद्रा स्वर्ग में रहेगी, जो शुभता का प्रतीक मानी जाती है।
पंचांग विवरण
सूर्योदय: सुबह 7:07 बजे
सूर्यास्त: शाम 6:04 बजे
चंद्रोदय: सुबह 11:20 बजे
चंद्रास्त: देर रात 1:30 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:22 बजे से 6:15 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:25 बजे से 3:09 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:01 बजे से 6:27 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:09 बजे से 1:01 बजे तक
मासिक दुर्गा अष्टमी का आध्यात्मिक संदेश
गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा और उनकी शक्ति स्वरूपा मां बगलामुखी की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन की गई पूजा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और साधक को सुख, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
भीष्म अष्टमी और मासिक दुर्गा अष्टमी दोनों ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्व हैं। जहां भीष्म अष्टमी हमें धर्म, त्याग और कर्तव्यपरायणता का संदेश देती है, वहीं मासिक दुर्गा अष्टमी हमें देवी शक्ति की उपासना का महत्व समझाती है। इस दिन विधिपूर्वक किए गए अनुष्ठान और पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।