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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Nov 2025 12:58:00 PM IST
बिहार की राजनीतिक - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुन लिया, जबकि विजय सिन्हा को उपनेता बनाया गया है। पार्टी के इस फैसले को 202 सीटों की भारी जीत के बाद एनडीए की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 नवंबर को गांधी मैदान में 10वीं बार शपथ लेने जा रहे हैं, और इन दोनों नेताओं की भूमिका सरकार और संगठन में बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है।
कौन हैं सम्राट चौधरी?
सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं, जिनकी छवि तेज-तर्रार, आक्रामक और जमीनी नेता की है। 16 नवंबर 1968 को मुंगेर के लखनपुर गांव में जन्मे चौधरी राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी छह बार विधायक और सांसद रहे, जबकि उनकी माँ पार्वती देवी भी तारापुर से विधायक रह चुकी हैं। शुरुआती शिक्षा स्थानीय स्कूलों में हासिल करने के बाद उन्होंने मदुरई कामराज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
राजनीति में उनकी शुरुआत वर्ष 1990 में हुई, जब राबड़ी देवी सरकार में वे कृषि मंत्री बने। तब से लेकर आज तक उन्होंने कई राजनीतिक भूमिकाएँ निभाईं, जो उन्हें बिहार की सत्ता में एक मजबूत खिलाड़ी बनाती हैं। वे 2000 और 2010 में परबट्टा से विधायक चुने गए और 2010 में विधानसभा में विपक्ष के चीफ व्हिप भी बने।
नीतीश कुमार के विरोध से लेकर आज सहयोग तक
सम्राट चौधरी का राजनीतिक स्टैंड कई बार सुर्खियों में रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर रुख अपनाया था। वे अक्सर पगड़ी पहनकर सार्वजनिक मंचों पर नजर आते थे, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि यह पगड़ी वे तब तक नहीं उतारेंगे, जब तक नीतीश कुमार को सत्ता से हटाकर दम नहीं लेंगे। लेकिन 2024 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन में वापसी की, तो सम्राट चौधरी को बिना पगड़ी के देखा गया। यह दृश्य राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चित रहा और इसे भाजपा-जदयू गठबंधन की मजबूती का संकेत माना गया।
राजद को दिया था बड़ा झटका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 में सम्राट चौधरी राजद में टूट की योजना बना रहे थे। कहा गया कि उन्होंने 13 विधायकों को साथ लेकर अलग समूह बनाने की कोशिश की थी, लेकिन योजना पूरी होने से पहले ही वे भाजपा में शामिल हो गए। उसी साल वे जीतन राम मांझी सरकार में मंत्री बने। राजद छोड़ने का उनका फैसला बिहार की राजनीति में एक बड़े मोड़ के रूप में देखा गया। भाजपा ने उन्हें एक ऐसे चेहरे के रूप में आगे बढ़ाया, जो ओबीसी, विशेषकर कोरी/कुशवाहा समुदाय पर मजबूत पकड़ रखता है।
भाजपा में बढ़ता कद और बड़ी जिम्मेदारियां
मार्च 2023 में भाजपा ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। यह नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि पार्टी बिहार में ओबीसी, कोरी-कुशवाहा समुदाय में अपना जनाधार मजबूत करना चाह रही थी। 2024 में चौधरी भाजपा विधायक दल के नेता बने और बाद में डिप्टी सीएम भी। मौजूदा चुनाव में उन्होंने तारापुर सीट से शानदार जीत दर्ज की, जिसके बाद अब पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।
विधानसभा स्पीकर पद पर अटकलें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा और जदयू दोनों विधानसभा स्पीकर पद पर दावा ठोक रहे हैं। जदयू की ओर से विजय चौधरी का नाम मजबूत माना जा रहा है, जबकि भाजपा की तरफ से प्रेम कुमार दावेदार हैं। पिछले कार्यकाल में यह पद भाजपा के नंद किशोर यादव के पास था, जबकि जदयू के नरेंद्र नारायण यादव उपाध्यक्ष थे। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटें जीती हैं, भाजपा 89, जदयू 85, लोजपा (रामविलास) 19, हम 5 और रालोमो 4। यह प्रचंड जनादेश आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में नए समीकरण तय करने वाला है।