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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 09:48:13 AM IST
बिहार कैबिनेट - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Cabinet 2025: बिहार की राजनीति ने 20 नवंबर 2025 को एक ऐतिहासिक मोड़ लिया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह ने जहां नीतीश कुमार के रिकॉर्ड को सुर्खियों में लाया, वहीं सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट और जमुई से भाजपा विधायक श्रेयसी सिंह ने। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे जल्द ही नई कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ लेंगी। 34 वर्ष की उम्र में मंत्री पद तक पहुंचना न केवल उनके राजनीतिक कद को मजबूत करता है, बल्कि बिहार की राजनीति में युवाओं के प्रतिनिधित्व का एक नया अध्याय भी खोलता है।
श्रेयसी सिंह वे चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने खेल और राजनीति दोनों में अपनी ठोस पहचान बनाई है। 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर और 2018 में गोल्ड जीतकर वे भारत के निशानेबाजी इतिहास की प्रमुख शख्सियत बन गईं। खेल की दुनिया में अपना नाम बनाने के बाद उन्होंने राजनीति की राह अपनाई। उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2020 में भाजपा ज्वाइन की। पहली बार चुनाव लड़कर जमुई विधानसभा सीट पर शानदार जीत दर्ज की और 2025 में दूसरी बार और भी बड़े अंतर से जीत हासिल कर अपने राजनीतिक भविष्य को मजबूत कर लिया।
श्रेयसी की पृष्ठभूमि केवल खेल और राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक रूप से भी वे बेहद मजबूत हैं। उनके शपथपत्र के अनुसार उनकी कुल संपत्ति 4.39 करोड़ से अधिक है। इसमें चल संपत्ति 1,04,51,700 है, जिसमें बैंक खातों में जमा राशि, फिक्स्ड डिपॉजिट, नकद और निवेश शामिल हैं। वहीं उनकी अचल संपत्ति 3,35,00,000 है, जिसमें दिल्ली में दो फ्लैट, गिद्धौर में पैतृक आवास, दिल्ली के महरौली में 1 बीघा जमीन और गिद्धौर में करीब 34 एकड़ भूमि शामिल है। इस संपत्ति और आर्थिक स्थिरता ने उन्हें युवाओं में ईमानदार और पारदर्शी नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
नीतीश सरकार की संभावित कैबिनेट में श्रेयसी सिंह सबसे युवा चेहरा मानी जा रही हैं। उनकी खेल पृष्ठभूमि, साफ-सुथरी छवि, प्रबंधन क्षमता और एमबीए की शिक्षा उन्हें युवा प्रतिनिधि बनाती है। वे हमेशा से युवाओं, विशेषकर खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाओं और अवसरों पर जोर देती रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्रेयसी सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करना भाजपा-नीतीश गठबंधन की रणनीतिक चाल हो सकती है। इससे महिला नेतृत्व, युवा राजनीति और 'नए बिहार' की छवि को मजबूती मिलेगी।
श्रेयसी का परिवार भी राजनीति में प्रभावशाली रहा है। उनके पिता दिग्विजय सिंह केंद्रीय राजनीति में सक्रिय रहे और उनकी माता पुतुल कुमारी सांसद रह चुकी हैं। यह राजनीतिक पृष्ठभूमि उन्हें नेतृत्व और संगठन कौशल प्रदान करती है। उनका सार्वजनिक छवि विवादों से दूर, सरल और स्थिर मानी जाती है, जो उन्हें युवा और अनुभवी नेताओं के बीच विशेष बनाती है।
पावर सर्किल में चर्चा है कि उन्हें कैबिनेट में खेल, युवा, पर्यटन, संस्कृति या महिला एवं बाल विकास जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिल सकती है। उनका खेल अनुभव और युवा संपर्क इन क्षेत्रों के लिए उन्हें उपयुक्त बनाता है। उनके लिए यह पद केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि युवाओं को प्रेरित करने और खेल एवं सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने का अवसर भी है।
श्रेयसी सिंह की कैबिनेट में एंट्री बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा और युवाओं की भागीदारी को दर्शाती है। उनके पास न केवल खेल और राजनीतिक अनुभव है, बल्कि संगठनात्मक क्षमता और जनता के साथ संवाद करने का कौशल भी मौजूद है। युवा नेता के रूप में उनका यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण और खेल-समर्थन योजनाओं को नई दिशा देने में सहायक होगा।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनकी नियुक्ति बिहार में युवा और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के साथ-साथ भाजपा की रणनीतिक ताकत को भी मजबूत करेगी। यह कदम चुनावी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे पार्टी को युवा मतदाताओं और खेल समुदाय में समर्थन मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
नीतीश कुमार की 10वीं पारी में श्रेयसी सिंह की शामिल होना यह संकेत देता है कि बिहार की राजनीति अब नए, योग्य और युवा नेताओं को अवसर दे रही है। गोल्ड मेडलिस्ट से युवा मंत्री बनने तक का उनका सफर यह दिखाता है कि खेल और कड़ी मेहनत के माध्यम से राजनीतिक क्षेत्र में भी सफलता पाई जा सकती है। मैदान में गोल्ड जीतने वाली श्रेयसी अब सियासत में भी ‘गोल्डन शुरुआत’ करने जा रही हैं, और यह बिहार की राजनीति के लिए एक प्रेरणादायक कहानी बन गई है।