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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 07 Aug 2025 04:59:30 PM IST
- फ़ोटो reporter
Raksha Bandhan 2025: सुपौल के छातापुर प्रखंड के पनोरमा पब्लिक स्कूल में यथासंभव काउंसिल द्वारा आयोजित राखी महोत्सव में हजारों बहनों ने यथासंभव काउंसिल के संरक्षक व वीआईपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया। यह आयोजन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द, महिला सशक्तिकरण और सेवा संकल्प का अद्वितीय उदाहरण बन गया।
हजारों की संख्या में उपस्थित बहनों ने राखी बांधते समय संजीव मिश्रा के साथ भावनात्मक रिश्ता साझा किया, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए संजीव मिश्रा भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि आज जब इतनी बड़ी संख्या में बहनों ने मुझे भाई का दर्जा दिया है, तो अब उनकी रक्षा, सम्मान और अधिकारों की लड़ाई मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी बन गई है। जिस कलाई पर आपने राखी बांधी है, वह अब केवल एक भाई की नहीं, बल्कि एक सेवक की है, जो हर हालात में आपके साथ खड़ा रहेगा।
संजीव मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि छातापुर क्षेत्र में बीते दो दशकों से विकास लगभग रुका हुआ है, और इस ठहराव का सबसे अधिक नुकसान यहां की महिलाओं और बच्चियों को हुआ है। आज भी यहां की बेटियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति करने नहीं, सेवा करने का रास्ता चुना है। मैंने हर गांव, टोला और गली में जाकर माताओं और बहनों की आंखों में छिपे दर्द को महसूस किया है। उनकी खामोशी में भी एक पुकार है समान अधिकार, सम्मान और आत्मनिर्भरता की।
उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए सबसे पहले महिलाओं को सशक्त करना होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन के क्षेत्र में ठोस कार्ययोजना बनाकर ही हम इस ठहराव को तोड़ सकते हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में छातापुर की कोई बेटी अपनी पढ़ाई अधूरी नहीं छोड़ेगी, कोई मां इलाज के लिए दर-दर नहीं भटकेगी, और कोई बहन अपने अस्तित्व को लेकर असुरक्षित महसूस नहीं करेगी।
कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में आईं बुजुर्ग महिलाओं ने संजीव मिश्रा को आशीर्वाद देते हुए कहा कि सजीव मिश्रा हमारे घर के है, भाई के जैसे हर परिस्थिति में वो खड़े रहते हैं। बच्चियों ने पुष्पों से उनका स्वागत कर अपने भाव प्रकट किए। आयोजन के दौरान संपूर्ण परिसर भावनात्मक और प्रेरक वातावरण से भर उठा।
संजीव मिश्रा ने अंत में कहा कि राखी का यह धागा मेरे लिए केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और संकल्प का प्रतीक है। यह रिश्ता अब किसी मंच या प्रचार का हिस्सा नहीं, बल्कि मेरे जीवन की सबसे पवित्र धरोहर बन गया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हर परिस्थिति में आपकी आवाज़ बनकर, आपकी उम्मीदों को पूरा करना ही मेरी प्राथमिकता रहेगी। मौके पर क्षेत्र की हजारों महिलाएं व यथासंभव काउंसिल के सदस्य मौजूद रहे।