1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Wed, 16 Jul 2025 05:39:44 PM IST
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PATNA: इस स्थिति की कल्पना कीजिये. पटना शहर में आप फोर व्हीलर या बाइक लेकर निकलें. जहां कहीं भी अपनी गाड़ी रोकें, वहां गुंडे से दिखने वाले लोग आपके पास पहुंच जायें और आपसे जबरन पार्किंग फी मांगने लगे. अगर आप उनका विरोध करें तो फिर वहीं आपकी पिटाई हो जाये. पटना की मेयर सीता साहू और उनके बेटे शिशिर कुमार की प्लानिंग कुछ ऐसी ही थी. पटना नगर निगम की आधा दर्जन से ज्यादा महिला पार्षदों ने आज मेयर औऱ मेयर के बेटे शिशिर कुमार के कारनामों की पोल खोली. महिला पार्षदों ने कहा-शिशिर की गुंडई से डर लगता है. कब किसकी जान चली जाये, ये पता नहीं
कुख्यात एजेंसी को शहर की पार्किंग का ठेका देने की थी प्लानिंग
पटना नगर निगम की लगातार दो बैठकों में भारी हंगामा हुआ. उस हंगामे की वजह जानिये. नगर निगम की आधा दर्जन से ज्यादा महिला वार्ड पार्षदों ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी पूरी कहानी बतायी. हंगामे की वजह है अमेजिंग इंडिया नाम की एक एजेंसी. नगर निगम ने इस कंपनी को पटना में स्मार्ट पार्किंग में पैसे वसूली का ठेका दिया था. महिला पार्षदों ने बताया कि निगम प्रशासन को बाद में पता चला कि ये एजेंसी ब़ड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रही थी. लोगों से जबरन पैसे वसूले जा रहे थे. नगर निगम को सही हिसाब नहीं दिया जा रहा था. इसके बाद नगर निगम प्रशासन ने कार्रवाई की. अमेजिंग इंडिया कंपनी का ठेका रद्द कर दिया गया.
निगम के पदाधिकारी पर किया जानलेवा हमला
महिला पार्षदों ने बताया कि नगर निगम द्वारा ठेका रद्द करने के बावजूद अमेजिंग इंडिया नाम की कंपनी ने स्मार्ट पार्किंग में पैसा वसूली जारी रखा. इसकी जानकारी मिलने पर नगर निगम के राजस्व पदाधिकारी को इसकी जांच और कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. निगम के पदाधिकारी जब जांच करने पहुंचे तो अमेजिंग इंडिया के कर्मचारियों ने पदाधिकारी पर ही जानलेवा हमला कर दिया. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और इस संबंध में एफआईआर भी दर्ज कराई गयी.
फिर उसी एजेंसी को ठेका देने की कोशिश
नगर निगम की महिला पार्षदों ने बताया कि मेयर औऱ उनके बेटे ने फिर अमेजिंग इंडिया एजेंसी को पार्किंग का ठेका देने की प्लानिंग रची थी. जून में जब नगर निगम की बैठक हुई तो इसका प्रस्ताव पेश कर दिया. प्रस्ताव में अमेजिंग इंडिया को फिर से काम देने की बात कही गयी थी. मेयर औऱ मेयरपुत्र को इतनी बेचैनी थी कि नगर निगम के सारे नियम-कानून को दरकिनार कर इसका प्रस्ताव पेश कर दिया गया. इसका विरोध किया गया तो जून की बैठक रद्द कर दी गयी.
महिला पार्षदों ने कहा कि 11 जुलाई को फिर से नगर निगम बोर्ड की बैठक बुलाकर यही प्रस्ताव पारित कराने की कोशिश की गयी. लेकिन उस दिन भी भारी विरोध हुआ. नगर निगम के आयुक्त ने भी इसे नियमविरूद्ध करार दिया. लिहाजा प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. महिला पार्षदों ने कहा कि भले ही प्रस्ताव पारित नहीं हुआ लेकिन मेयरपुत्र शिशिर कुमार ने गुंडई की सारी हदें पार कर दी.
पर्दे के पीछे बैठकर मां को दे रहा था निर्दश
महिला पार्षदों ने बताया कि शिशिर कुमार को नगर निगम की बैठक में जाने का कोई अधिकार नहीं है. वह खुद को पार्षद प्रतिनिधि बताता है. लेकिन पार्षद प्रतिनिधि को नगर निगम की बोर्ड की बैठक में घुसने की इजाजत नहीं है. 11 जुलाई को भी जब नगर निगम बोर्ड की बैठक हो रही थी तो सारे पार्षद प्रतिनिधि के लिए अलग फ्लोर पर बैठने का इंतजाम था. लेकिन शिशिर कुमार वहीं मौजूद था, जहां नगर निगम की बैठक हो रही थी. वह बैठक वाले कमरे में पर्दे के पीछे बैठा था. वहीं से अपनी मां और मेयर सीता साहू को पल-पल निर्देश दे रहा था.
हथियारबंद बॉडीगार्ड्स के साथ पहुंचा था शिशर
महिला पार्षदो ने कहा कि शिशिर कुमार न सिर्फ खुद बोर्ड की बैठक वाले कमरे में बैठा था, बल्कि उसके साथ कई हथियारबंद लोग भी थे. वे सब शिशिर कुमार के निजी बॉडीगार्ड और बाउंसर्स थे. जब निगम की बैठक में हंगामा होने लगा तो शिशिर कुमार अपने हथियारबंद लोगों के साथ बैठक में घुस गया. उसने मेयर के प्रस्ताव का विरोध करने वाले पार्षदों के साथ गाली-गलौज और मारपीट करना शुरू कर दिया.
निगम के वकील को भी हटाने की कोशिश
महिला पार्षदों ने कहा कि अमेजिंग इंडिया नाम की एजेंसी को पार्किंग का ठेका देने के लिए बेचैन मेयर औऱ उनका बेटा शिशिर कुमार सारे हथकंडे अपना रहे हैं. निगम बोर्ड की बैठक में गलत तरीके से एक औऱ प्रस्ताव पेश कर दिया गया. इसमें नगर निगम के वकीलों की सूची को रद्द कर नये सिरे से वकीलों को रखने का भी प्रस्ताव है. महिला पार्षदों ने बताया कि इसका मकसद ये है कि कोर्ट में अमेजिंग इंडिया के खिलाफ केस लड़ रहे नगर निगम के वकील प्रतुल सिन्हा को हटा दिया जाये. क्योंकि वे मैनेज होने को तैयार नहीं है. अपनी मर्जी से नया वकील रखकर केस को रफा-दफा कर दिया जाये.
शिशिर की गुंडई से डर लगता है
महिला वार्ड पार्षदों ने कहा कि शिशिर कुमार की गुंडई से उन्हें डर लगने लगा है. हर आदमी को अपनी जान प्यारी होती है. शिशिर कुमार आदतन अपराधी है. उसके खिलाफ मर्डर का केस दर्ज है. उसने नगर निगम के कई पदाधिकारियों-कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की है. इस संबंध में कई केस दर्ज हो चुके हैं. शिशिर कुमार ने नगर निगम की महिला पदाधिकारी से साथ दुर्व्यवहार और बदसलूकी की. इससे आहत होकर वह नगर निगम से त्यागपत्र देकर चली गयी.
सरकार तत्काल मेयर पर कार्रवाई करे
महिला पार्षदों ने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल मेयरपुत्र पर नहीं बल्कि मेयर के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिये. सीता साहू के मेयर रहते पिछले सात सालों से नगर निगम भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी की गिरफ्त में आ गया है. ऐसे लोगों के खिलाफ अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो हालात और बिगड़ सकते हैं.