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Bihar politics jansuraj: दलित टोले की बदहाली पर फूटा पूर्व विधायक और जन सुराज नेता का गुस्सा ..."क्या अमृत महोत्सव इन गरीबों के लिए भी है?"

Bihar politics jansuraj: पूर्व विधायक और जन सुराज पार्टी के नेता किशोर कुमार ने सहरसा के एक दलित टोले की बदहाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या "अमृत महोत्सव" जैसी बड़ी सरकारी योजनाएं इन गरीबों के लिए भी हैं या सिर्फ दिखावे के लिए?

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 15 Apr 2025 09:51:18 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Bihar politics jansuraj: जन सुराज पार्टी के प्रदेश महासचिव और पूर्व विधायक किशोर कुमार ने सहरसा ज़िले के सौरबाज़ार प्रखंड अंतर्गत सुहथ पंचायत के बेलहा मुसहरी टोला का दौरा किया। उन्होंने स्थानीय लोगों से संवाद किया और उनके साथ बैठकर भोजन भी किया। यह टोला लगभग 480 घरों और करीब 900 लोगों की आबादी वाला है, जहां अनुसूचित जातियों के लोग वर्षों से उपेक्षा और अभाव में जीवन बिता रहे हैं।


किशोर कुमार ने बताया कि जब उन्होंने स्थानीय लोगों से भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में पूछा, तो चौंकाने वाली बात सामने आई ,टोले के अधिकतर लोग उनका नाम तक नहीं जानते थे। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक टोले की नहीं, बल्कि उस भारत की सच्चाई है, जहां आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और गरिमामय जीवन सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित हैं।"

टूटी शिक्षा व्यवस्था और जर्जर बुनियादी ढांचा

टोले की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। विद्यालय तो हैं, पर शिक्षक नियमित नहीं आते। पूरे टोले में मुश्किल से एक व्यक्ति दसवीं पास मिला, और उसे भी अंबेडकर के बारे में जानकारी नहीं थी। बच्चों का भविष्य पूरी तरह भगवान भरोसे है।

सरकारी योजनाएं कागज़ों तक सीमित

किशोर कुमार ने बताया कि नल-जल योजना और इंदिरा आवास योजना जैसी सरकारी योजनाएं सिर्फ नाम की हैं। पीने का पानी गंदा है, ज़्यादातर घर अब भी फूस के बने हुए हैं, और सड़कों के नाम पर सिर्फ कीचड़ भरी पगडंडियाँ हैं, जो बारिश में और भी बदतर हो जाती हैं।

दिहाड़ी मजदूरी और दो वक्त की रोटी भी सपना

यह बस्ती भूमिहीन और दिहाड़ी मजदूरों की है। यहां दैनिक भोजन में भात और कर्मी साग जैसे साधारण चीज़ें ही मिलती हैं। त्योहारों पर अगर आलू की सब्जी मिल जाए, तो वह "लक्ज़री" मानी जाती है।

अमृत महोत्सव पर सवाल

किशोर कुमार ने सवाल उठाया, “जब देश ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो क्या यह महोत्सव उन गरीबों के लिए भी है, जिनके लिए आज भी दो वक्त की रोटी और शिक्षा एक सपना है?” उन्होंने सरकार से अपील की कि सिर्फ "पिछड़े वर्गों के अधिकार" और "बाबा साहेब" के नाम पर राजनीति करना काफी नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह दलितों और वंचितों के जीवन में ठोस बदलाव लाने के लिए ज़मीनी स्तर पर प्रभावी कदम उठाए। कुमार ने दोहराया कि जन सुराज पार्टी समाज के अंतिम व्यक्ति तक संविधान की चेतना, अधिकारों और गरिमा को पहुँचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।