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IRCTC Tender Scam Case: 23 जुलाई का दिन लालू फैमिली के लिए काफी अहम, IRCTC टेंडर घोटाले में कोर्ट सुनाएगा फैसला

IRCTC Tender Scam Case: IRCTC होटल घोटाला मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट 23 जुलाई को फैसला सुनाएगी। लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर होटल लीज के बदले ज़मीन लेने का आरोप है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 29 May 2025 04:27:27 PM IST

IRCTC Tender Scam Case

लालू परिवार की बढ़ेगी परेशानी! - फ़ोटो google

IRCTC Tender Scam Case: 23 जुलाई का दिन लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन सीबीआई द्वारा दर्ज आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला से जुड़े मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आ सकता है। कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य को आरोपी बनाया गया है।


दरअसल, IRCTC होटल घोटाला मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट 23 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगी। गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। साल 2005-06 में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, उस समय रेलवे के रांची और पुरी स्थित बीएनआर (BNR) होटलों को IRCTC को ट्रांसफर किया गया था। इन्हें बेहतर रख-रखाव और संचालन के लिए लीज पर देने की योजना बनाई गई थी।


सीबीआई के अनुसार, इन होटलों को लीज पर देने के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुईं। यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिया गया था। उस समय IRCTC के मैनेजिंग डायरेक्टर पी. के. गोयल ने यह प्रक्रिया पूरी की थी। 17 जुलाई 2017 को CBI ने लालू प्रसाद यादव समेत पांच लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस सिलसिले में देशभर में उनके 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।


CBI का आरोप है कि विनय और विजय कोचर को होटलों की लीज दिलाने के बदले लालू यादव ने पटना में तीन एकड़ जमीन प्राप्त की थी। कोचर बंधुओं ने यह जमीन सरला गुप्ता की कंपनी को बेच दी, और बाद में उस कंपनी का मालिकाना हक राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की कंपनी के पास चला गया। इसी जमीन पर बाद में बिहार का सबसे बड़ा मॉल बनाया जा रहा था।


फिलहाल तेजस्वी यादव इस मामले में 2019 से जमानत पर हैं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें और उनकी मां राबड़ी देवी को जमानत दी थी। यदि ट्रायल के दौरान CBI आरोपों को साबित कर देती है, तो संबंधित धाराओं के तहत दोषियों को अधिकतम 7 वर्ष की सजा हो सकती है।