1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 26 Sep 2025 03:01:55 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला भले ही मुख्यधारा में दिख रहा हो, लेकिन अब एक नया और अनोखा राजनीतिक रुख सामने आया है। हमेशा अपने विवादास्पद और धारदार बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज इन दिनों बिहार दौरे पर हैं और उन्होंने एक नया राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता गौ-माता की रक्षा है, जिसे वे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आत्मा मानते हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार की देसी नस्ल की गायें लगभग विलुप्त हो चुकी हैं और इस पर किसी भी सरकार ने आज तक ठोस कदम नहीं उठाया। इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने ऐलान किया कि आगामी विधानसभा चुनावों में वे हर एक विधानसभा सीट यानी 243 सीटों पर ‘गौ-रक्षक’ उम्मीदवार खड़े करेंगे।
उन्होंने इसे राजनीतिक विरोध का प्रतीकात्मक तरीका बताते हुए कहा कि, हमारे पूर्वजों ने कई तरीके अपनाए, लेकिन आज तक किसी नेता ने इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं किया। अब वक्त है कि मतदाता खुद आगे आएं और गौ-माता की रक्षा के लिए वोट करें।
स्वामी जी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है और न ही वे किसी दल के साथ गठबंधन करेंगे। वे सभी सीटों पर ऐसे स्वतंत्र उम्मीदवारों को तलाशेंगे जो गौरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाएं, और उन्हें आध्यात्मिक आशीर्वाद भी देंगे। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर निर्वाचन क्षेत्र से कम से कम एक ऐसा उम्मीदवार मैदान में हो जो गो-रक्षा के लिए समर्पित हो।
अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी जोड़ा कि, हमने हर दल को सत्ता में देखा, पर गौ माता के लिए कोई काम नहीं हुआ। अब हम सीधे जनता से अपील करते हैं, वोट उसी को दें जो गौहत्या को पाप माने और गो-रक्षा को अपने कर्तव्यों में शामिल करे।
हालांकि फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है। संभावना है कि 6 अक्टूबर तक चुनाव आयोग इसका ऐलान कर सकता है। जैसे ही तारीखों की घोषणा होगी, राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी जाएगी।
फिलहाल बिहार की राजनीति में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है, लेकिन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह गैर-राजनीतिक हस्तक्षेप आगामी चुनाव में नया विमर्श खड़ा कर सकता है खासकर गौ-रक्षा और सांस्कृतिक भावनाओं को लेकर वोटर्स की सोच को प्रभावित करने की कोशिश के रूप में।