1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 20 Sep 2025 07:35:56 AM IST
बिहार की राजनीतिक में हलचल - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीख बस घोषणा मात्र दूर है। इस माहौल में राज्य की सभी प्रमुख पार्टियाँ अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटी हुई हैं। चुनावी राजनीति का पारा लगातार चढ़ता जा रहा है और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। इसी कड़ी में बेतिया से भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने जन सुराज पार्टी और उसके प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) पर बड़ा हमला बोला है।
दरअसल, जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर और BJP के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। प्रशांत किशोर ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके जवाब में अब डॉ. जायसवाल ने कहा है कि बिहार की ठगी की पहचान कभी नटवरलाल हुआ करते थे, लेकिन अब PK उनसे भी बड़ा 'ठग' बन चुका है। उन्होंने कहा, “नटवरलाल ने आम लोगों को ठगा, लेकिन प्रशांत किशोर तो बिहार के बुद्धिजीवियों को ठगने का काम कर रहे हैं।” सांसद का आरोप है कि PK एक योजनाबद्ध तरीके से बिहार के युवाओं को सपने दिखाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने PK से सात बड़े सवाल पूछे थे, जिनमें से एक सवाल किसी पत्रकार ने गलती से प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछ लिया। इसके बाद PK समर्थकों की ओर से धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। संजय जायसवाल का कहना है कि जब एक पत्रकार ने फंडिंग से संबंधित सवाल किया, तब PK ने स्वीकार किया कि उन्हें एक आंध्र प्रदेश के सांसद की मदद से ₹14 करोड़ का चंदा मिला है। पर सवाल यह उठता है कि यह राशि एक घाटे में चल रही कंपनी से क्यों दिलवाई गई? क्या यह कानून के दायरे में है?
उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि वे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर जन सुराज पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट खुद देखें। उनका आरोप है कि इस रिपोर्ट में भारी गड़बड़ियाँ हैं। उन्होंने कहा कि जब ₹14 करोड़ की फंडिंग पार्टी ने स्वीकार की है, तो फिर वर्ष 2023-24 में पार्टी का कुल खर्च सिर्फ ₹35,000 कैसे हो सकता है?
संजय जायसवाल का दावा है कि वर्ष 2023-24 में जन सुराज पार्टी की ओर से पूरे बिहार में लगभग 200 गाड़ियाँ चलाई गईं, फाइव स्टार टेंट में खान-पान और रहने की व्यवस्था की गई, और हर जिले में कम से कम 10 कर्मचारियों को नियुक्त किया गया। फिर इन सबका खर्च महज ₹35,000 कैसे हो सकता है? यह आम लोगों की आँखों में धूल झोंकने जैसा है।
इतना ही नहीं, सांसद ने जन सुराज पार्टी की स्थापना की तारीख को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि 17 सितंबर 2024 को पार्टी का अध्यक्ष सरत कुमार मिश्रा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दर्ज है, जिनके और कोषाध्यक्ष अजीत सिंह के दस्तखत हर पृष्ठ पर हैं। फिर 2 अक्टूबर 2024 को गांधी मैदान में जन सुराज पार्टी की "उद्भव" की घोषणा कैसे हो गई? और केवल 15 दिनों में सरत कुमार मिश्रा की जगह उदय सिंह अध्यक्ष कैसे बन गए?
इस पूरे मामले पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भाजपा दोनों ने PK और जन सुराज पार्टी की फंडिंग को लेकर चुनाव आयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच की माँग की है। JDU ने तो यहां तक आरोप लगाया कि जन सुराज को फंडिंग "Joy of Giving Global Foundation" जैसे एनजीओ से हो रही है, जिसकी संरचना और कामकाज संदेह के घेरे में हैं।
बिहार की राजनीति में PK को बदलाव का चेहरा बताने की कोशिश की गई थी, लेकिन अब उन पर लग रहे आरोपों ने उनके 'बदलाव यात्रा' को संदेह के दायरे में ला दिया है। संजय जायसवाल का तंज है कि अगर PK सच में बिहार को बदलना चाहते, तो वह अपना "करोड़पति बनने का फॉर्मूला" ही बिहार के युवाओं को दे देते — वही सबसे बड़ा बदलाव होता।
प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी के ऊपर लगे आरोपों से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। चुनावी मौसम में यह मामला और भी गर्माने की संभावना है। ऐसे में चुनाव आयोग और अन्य जांच एजेंसियों पर निगाहें टिकी हैं कि वे इन सवालों पर क्या कार्रवाई करती हैं।